ग्रेटर नोएडा : यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण टेंडर की नियम व शर्तों में बड़े पैमाने पर बदलाव करने जा रहा है। किसी भी विकास कार्य का टेंडर जारी करने से पूर्व वह जमीन पूरी तरह से प्राधिकरण के कब्जे में होनी चाहिए। साथ ही उसी काम का टेंडर जारी किया जाएगा, जो बहुत ही जरूरी हो तथा उस पर किसी तरह का न्यायालय से स्थगनादेश न हो। यही नहीं टेंडर में पारदर्शिता लाने के लिए टेंडर ओपन करते समय सभी ठेकेदारों को बुलाया जाएगा। उसकी उपस्थिति में ही टेंडर ओपन होंगे।
प्राधिकरण सूत्र बताते हैं कि ई टेंडरिंग होने के बाद भी टेंडर बिड में गड़बड़ की जा रही है। कुछ मामले पकड़ में भी आ चुके हैं। पारदर्शिता तथा भ्रष्टाचार भर अंकुश लगाने के लिए प्राधिकरण ने टेंडर की नियम व शर्तों में पर्वितन करने का निर्णय लिया है। प्राधिकरण किसी भी सेक्टर में विकास कार्य का टेंडर जारी करने से पूर्व उस जमीन पर किसी तरह का स्थगनादेश या विवाद की जानकारी हासिल करेगा। जब तक कोई भी जमीन प्राधिकरण के कब्जे में नहीं होगी, टेंडर जारी नहीं किया जाएगा। पहले प्राधिकरण किसानों से जमीन पर कब्जा लेगा, उसके बाद ही टेंडर ओपन होंगे। देखा यह गया है कि टेंडर जारी होने के कई-कई साल तक कार्य पूरा नहीं हो पाता है, जिससे प्राधिकरण को काफी नुकसान होता है।
सूत्र बताते हैं कि अधिकारियों की मिलीभगत से चंद ठेकेदारों को ही सभी टेंडर मिल जाते हैं। फिर वही ठेकेदार अपनी मनमर्जी से काम करते हैं। जमीन विवादित होने पर विकास कार्य पूरे नहीं हो पाते हैं और मामला लटका ही रहता है। प्राधिकरण ने टेंडर प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए ई टेंडरिंग के साथ-साथ टेंडर ओपन करते समय ठेकेदार या उनका प्रतिनिधि मौजूद रहेगा। इससे पहले वह व्यवस्था नहीं थी।