दीपावली के पंच पर्व : दीपावली पर्व मंगलवार से प्रारंभ होकर शनिवार को समाप्त हो रहा है। इसलिए तंत्र मंत्र यंत्र साधना के लिए बन रहा है बहुत बड़ा संयोग। दीपों का उत्सव दीपावली का पर्व पांच दिवसीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है। जिसे दीपावली के पंच पर्व कहा जाता है। आचार्य चंडी प्रसाद घिल्डियाल इसकी पौराणिक और प्रमाणिकता पर चर्चा करते हुए बताते हैं कि रामायण को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं। जब भी दशहरा आता है तो उसके 20 दिन बाद दिवाली आती है। जब गूगल मैप पर लंका और अयोध्या की दूरी देखी जाती है तो यह 3150 किलोमीटर बताता है और इसमें वॉकिंग डिस्टेंस भी 20 दिन आता है। भगवान राम को वहां से अयोध्या आने में 20 दिन ही लगे थे। दीपावली का त्यौहार श्रीराम, सीता और लक्ष्मण के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है।
पंचोत्सव
जैसे नवरात्रि पर नौ दिन, दुर्गा माता के नौ स्वरुपों की आराधना की जाती है, ठीक उसी भांति दीवाली के अवसर पर पंचोत्सव मनाने की परंपरा है। किस दिन क्या पर्व होगा और उस दिन क्या छोटे छोटे कार्य व उपाय करने चाहिए, उसका दैनिक विवरण को समझते हुए यदि इस त्यौहार को मनाया जाता है तो यह पूर्ण रूप से मनुष्य के भाग्य को बदलने की सामर्थ्य रखता है। इसकी शुरूआत धनतेरस से हो जाती है। इसके बाद नरक चौदस, अन्नकूट और भैय्या दूज का पर्व मनाया जाता है।
दीपावली से जुड़े पांच पर्व अपने साथ सुख-समृद्धि, आरोग्यता, प्रेम और स्नेह को समेटे हुए है। धनतेरस से प्रारंभ होकर पावन पर्व नरक चतुर्दशी, दीपावली महापर्व, गोवर्धन पूजा से होते हुए भाई और बहन के प्रेम का प्रतीक माने जाने वाले भाई दूज पर जाकर समाप्त होता है। आस्था और विश्वास के इन पांच दिनों में अलग-अलग देवी-देवताओं के लिए अलग-अलग समय पर अलग-अलग प्रकार से पूजा करके सुख-समृद्धि और संपन्नता का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
विभिन्न पर्वों के दिवस एवं पर शुभ मुहूर्त
- धनतेरस : (02 नवंबर2021)
दीपावली के पांच महापर्व की शुरुआत धनतेरस से होती है। धनतेरस का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह पावन पर्व 02 नवंबर 2021 को पड़ रहा है। धनतेरस के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर और आरोग्य का आशीर्वाद प्रदान करने वाले धनवंतरि की विशेष पूजा का विधान है। इस दिन को किसी भी प्रकार का सामान आदि खरीदने के लिए अत्यंत ही शुभ माना जाता है। इस दिन प्रदोषकाल में यमराज के लिए चौमुखा दीपक मुख्य द्वार पर जलाया जाता है। इस साल कार्तिक अमावस्या कि तिथि 04 नवंबर को सुबह 06 बजकर 03 मिनट से शुरू हो कर 05 नवंबर को रात 02 बजकर 44 मिनट तक रहेगी।
धनतेरस 2021 तिथि और शुभ मुहूर्त
- धनतेरस2021- 02 नवंबर, मंगलवार
- धनतेरसमुहूर्त – शाम 06 बजकर 18 मिनट से लेकर रात के 08 बजकर 11 मिनट तक
- धनतेरसपर शुभ खरीदारी की अवधि :1 घंटे 52 मिनट तक
- प्रदोषकाल : 17:35 मिनट से 20:11 मिनट तक
- वृषभकाल : 18:18 मिनट से 20:14: मिनट तक
आचार्य चंडी प्रसाद घिल्डियाल बताते हैं कि धनतेरस के बाद दूसरे नंबर पर नरक चतुर्दशी आता है।
- नरकचतुर्दशी (03 नवंबर)
दीपावली महापर्व का यह दूसरा दिन होता है। जिसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है। यह पर्व इस साल 03 नवंबर 2021 को मनाया जाएगा। नरक से जड़े दोष से मुक्ति पाने के लिए शाम के समय द्वार पर दिया जलाया जाता है। मान्यता यह भी है कि हनुमान जी का जन्म कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को हुआ था, इसलिए उनके भक्त इस दिन विधि-विधान से उनकी जयंती मनाते हैं। यह भी मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध करके 16,100 कन्याओं को उसके चंगुल से मुक्त कराया था। इस पर्व को रूप चौदस भी कहते हैं। एक और मान्यता है कि इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर उबटन लगाकर स्नान करने से रुप एवं सौंदर्य में वृद्धि होती है।
इस वर्ष नरक चतुर्दशी का त्योहार 03 नवंबर 2021, को मनाया जायेगा। यह धनतेरस के बाद मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी को कई और नामों से भी मनाया जाता है जैसे- नरक चौदस, रूप चौदस और रूप चतुर्दशी आदि। दिवाली से पहले मनाए जाने के कारण इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा होती है। घर के कोनों में दीपक जलाकर अकाल मृत्यु से मुक्ति की कामना की जाती है।
तेल मालिश का समय : सुबह 06:06:05 से 06:34:57 तक, अवधि : 28 मिनट
- दीपावली (04नवंबर)
दीपों से जुड़ा महापर्व दीपावली का पावन पर्व इस साल 04 नवंबर 2021 को मनाया जायेगा। इस दिन धन की देवी माता लक्ष्मी, ऋद्धि-सिद्धि के देवता गणपति, धन के देवता कुबेर के साथ महाकाली की पूजा का विधान है। सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए इन सभी देवी-देवताओं की रात्रि में साधना-आराधना की जाती है और उनके स्वागत में विशेष रूप से दीप जलाए जाते हैं।
- दिवाली और लक्ष्मी पूजा तिथि- गुरुवार, 04 नवंबर 2021
- लक्ष्मीपूजा मुहूर्त : 18:10:28 से 20:06:18 तक
- अवधि: 1 घंटे 55 मिनट
- प्रदोषकाल :17:34:09 से 20:10:27 तक
- वृषभकाल : 18:10:28 से 20:06:18 तक
आचार्य चंडी प्रसाद घिल्डियाल बताते हैं कि दीपावली का सबसे महत्वपूर्ण और सिद्ध समय होता है।
- दिवालीमहानिशीथ काल मुहूर्त और लक्ष्मी पूजा मुहूर्त : 23:38:52 से 24:30:58 तक
- महानिशीथकाल : 23:38:52 से 24:30:58 तक
- सिंहकाल : 24:42:01 से 26:59:43 तक
- दिवालीशुभ चौघड़िया मुहूर्त
- प्रातःकालमुहूर्त्त (शुभ) :06:34:58 से 07:57:21 तक
- प्रातःकालमुहूर्त्त (चल, लाभ, अमृत): 10:42:09 से 14:49:21 तक
- सायंकालमुहूर्त्त (शुभ, अमृत, चल): 16:11:45 से 20:49:32 तक
- रात्रिमुहूर्त्त (लाभ): 24:04:55 से 25:42:37 तक
- गोवर्धनपूजा (05 नवंबर)
दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का पावन पर्व मनाया जाता है। इस साल यह गोवर्धन पूजा का पर्व 05 नवंबर 2021 को पड़ने जा रहा है। इसे अन्नकूट उत्सव भी कहते हैं। इस दिन घर की गाय और अन्य जानवरों के साथ गोवर्धन की पूजा का बहुत महत्व है। इस दिन घरों एवं मंदिरों आदि में गोबर से गोवर्धन बनाकर पूजे जाते हैं।
गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है। हिदूं पंचांग के अनुसार गोवर्धन का त्योहार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर यह पर्व मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट भी किया जाता है। इस त्योहार में भगवान कृष्ण के साथ गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा का विधान है। इसी दिन भगवान कृष्ण को 56 भोग बनाकर लगाया जाता है।
- गोवर्धनपूजा- 05 नवंबर 2021
- गोवर्धनपूजा का शुभ मुहूर्त : 06:37 मिनट से 08:4 9मिनट तक
- अवधि: 2 घंटे 12 मिनट
- गोवर्धनपूजा का सायंकाल मुहूर्त :15: 21 मिनट से 17:33 मिनट तक
- अवधि: 2 घंटे 11 मिनट
- भाईदूज (06 नवंबर)
आचार्य चंडी प्रसाद घिल्डियाल बताते हैं कि प्राचीन काल से ही गोवर्धन पूजा के अगले दिन भैयादूज का पर्व मनाया जाता है। इस साल भाई और बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाने वाला यह पावन पर्व 06 नवंबर 2021 को मनाया जाएगा। इस दिन यदि संभव हो तो यमुना में जाकर स्नान करना चाहिए। यदि संभव न हो तो नहाने के पानी में यमुना जल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। इस दिन बहनें अपने भाईयों को टीका करती हैं और भाई उसके बदले में उन्हें उपहार देता है।
भाई दूज पांच दिवसीय दीपावली पर्व का आखिरी दिन का त्योहार होता है। भाई दूज कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाईयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि की मनोकामनाएं मांगती हैं। इस त्योहार को भाई दूज या भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया कई नामों से जाना जाता है।
भाई दूज का मुहूर्त
भाई दूज तिलक का समय : दोपहर 01 बजकर 12 मिनट से लेकर 03 बजकर 24मिनट तक।