basant panchami

Basant Panchami 2023: भारत वर्ष को ऋतुओं का देश भी कहा जाता है। यहां पर बसंत, ग्रीष्म, शरद, हेमन्त, शिशिर ऋतुओं की अनुपम छटा देखने को मिलती है। इन सब ऋतुओं का अपना अलग महत्व है। बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है। शास्त्रों में बसंत ऋतु के सन्दर्भ में कहा गया है कि जिस ऋतु में मानव जगत ही नही, अपितु प्रकृति प्रदत्त बृक्ष लता आदि भी आनन्दित होते हैं, उसे बसंत कहते हैं। माघ मास की शुक्ल पंचमी को बसंत पंचमी मनाई जाती है।

इस साल 26 जनवरी को वसंत पंचमी का पर्व मनाया जा रहा है। हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ शुक्ल पंचमी 25 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से लेकर अगले दिन 26 जनवरी को सुबह 10 बजकर 30 मिनट तक रहेगी। उदय तिथि के आधार पर 26 जनवरी को ही बसंत पंचमी का पुनीत त्योहार है। इस दिन रवि योग भी बन रहा है। जो हर दृष्टि से बड़ा ही शुभ कारी माना जाता है।

इस दिन विद्या और वाणी की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन माँ सरस्वती का प्रकटीकरण हुआ था। इस कारण इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। इससे अज्ञानता दूर होती है। ज्ञान की रश्मियों से पूरा मन अभिसिन्चित होने लगता है। सुखद पहलु ओं की अनुभूति होने लगती है।

इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने के साथ ही पीले वस्त्र तथा हल्दी का तिलक भी लगाने का बिधान है।  पीला रंग सुख समृद्धि का प्रतीक है। इस पर्व को ऋषि पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। बसंत पंचमी में किसी कार्य करने की शुरुआत के लिए मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती है। यह पर्व अपने आप में बड़ा ही शुभ कारी माना जाता है।

इस पर्व पर जन्म लेना भी अपने आप में बड़ा ही शुभ कारी माना जाता है। ऐसा व्यक्ति भविष्य में नया कीर्तिमान स्थापित करता है। इसी दिन प्रगति वादी काव्य धारा के प्रणेता सूर्य कान्त त्रिपाठी निराला का जन्म हुआ था। यह पर्व प्रमुख देश भक्त वीर बालक हकीकत की भी याद दिलाता है। महाकवि कालीदास ने इसे ऋतु उत्सव तथा हजारीप्रसाद द्विवेदी ने मादक उत्सवों का काल कहा। बसंत पंचमी के पावन पर्व से पृथ्वी पर सच्चे स्वर्ग की अनुभूति होने लगती है।

बसंत पंचमी 2023 शुभ मुहूर्त Basant Panchami 2023 Shubh Muhurat:

  • पंचमी आरंभ: 25 जनवरी 2023, दोपहर 12:34 बजे से
  • पंचमी समाप्त- 26 जनवरी 2023, सुबह 10:30 बजे तक
  • उदयातिथि के अनुसार, बसंत पंचमी 26 जनवरी 2023 को मान्य होगी.
  • पूजा के लिए शुभ मुहूर्त- 26 जनवरी 2023, सुबह 07:12 से दोपहर 12:34 तक.

बसंत पंचमी के दिन क्यों होती है मां सरस्वती की पूजा

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, ज्ञान देवी मां सरस्वती शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ही ब्रह्माजी के मुख से प्रकट हुई थीं। इसलिए बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। सरस्वती मां को ज्ञान की देवी कहा जाता है। इसलिए इस दिन पूरे विधि विधान से मां सरस्वती की पूजा करने से वो प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।

सरस्वती पूजा विधि

बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा पूरी आस्था और विश्वास के साथ की जाती है. इस दिन विभिन्न शिक्षण संस्थानों में मां सरस्वती की पूजा के साथ-साथ घरों में भी उनकी पूजा करने की परंपरा है.

  • मां सरस्वती की पूजा से पहले नहा-धोकर सबसे पहले पीले वस्त्र धारण कर लें.
  • पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं.
  • अपने ठीक सामने पीला वस्त्र बिछाकर मां सरस्वति की मूर्ति को उस पर स्थापित करें.
  • देवी की मूर्ति अथव चित्र स्थापित करने के बाद सबसे पहले कलश की पूजा करें.
  • इसके उपरांत नवग्रहों की पूजा करें और फिर मां सरस्वती की उपासना करें.
  • इसके बाद पूजा के दौरान उन्हें विधिवत आचमन और स्नान कराएं.फिर देवी को श्रंगार की वस्तुएं चढ़ाएं.
  • जिसके बाद रोली मौली, केसर, हल्दी, चावल, पीले फूल, पीली मिठाई, मिश्री, दही, हलवा आदि का प्रसाद मां के सामने अर्पित कर ध्यान में बैठ जाएं.

बसंत पंचमी पर बने ये हैं 4 अत्यन्त शुभ योग

पंचांग के अनुसार इस बार बसंत पंचमी का पर्व 26 जनवरी 2023 को मनाया जाएगा। इस दिन मां सरस्वती की पूजा के लिए कई शुभ योग बने हैं। फिर भी सुबह 7.12 बजे से दोपहर 12.34 बजे तक का समय सर्वार्धिक शुभ माना गया है। इस समय की मां भगवती की विधिवत पूजा की जा सकती है।

सर्वार्थसद्धि योग

समस्त शुभ योगों में महत्वपूर्ण सर्वार्थसिद्धि योग इस बार बसंत पंचमी के दिन सायं 6.57 बजे से लेकर अगले दिन सुबह 7.12 बजे तक रहेगा। इस योग में किसी भी शुभ कार्य की शुरूआत की जा सकती है।

रवि योग

बसंत पंचमी पर सायं 6.57 बजे से अगले दिन सुबह 7.12 बजे तक रवि योग रहेगा। यह भी एक शुभ योग है तथा यह तब बनता है जब चन्द्रमा सूर्य से 4 नक्षत्र की दूरी पर होता है।

शिव योग

ज्योतिष के अनुसार जब नवें भाव का स्वामी ग्रह दसवें भाव तथा दसवें भाव का स्वामी ग्रह पांचवे भाव में हो तो शिव योग का निर्माण होता है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह भी एक बहुत ही शुभ योग माना गया है। यह 26 जनवरी को सुबह 3.10 बजे से दोपहर 3.29 बजे तक रहेगा.

सिद्ध योग

जब किसी विशेष दिन, तिथि तथा नक्षत्र का मिलन होता है तो उस योग को सिद्ध योग कहा जाता है। इस योग में शुरू किए गए सभी कार्यों में निस्संदेह सफलता मिलती है। अतः इसका विशेष महत्व है। इस बार बसंत पंचमी पर सिद्ध योग भी बन रहा है।

लेखक: अखिलेश चन्द्र चमोला