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खरमास की समाप्ति के बाद 13 अप्रैल वैशाखी से शादियों के लग्न रखे गए थे परंतु इस बार कोरोनावायरस की वजह से शादियों के लगन आगे नवंबर दिसंबर में तैयार हो रहे हैं जिससे लोगों के मन में यह आशंका घर कर रही है कि आगे के यह लगन सही होंगे अथवा नहीं.

इस संदर्भ में उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल से संपर्क करने पर उन्होंने बताया है कि दुर्भिक्ष मकर जीवे राज युद्ध पशु क्षय के अनुसार आजकल बृहस्पति जो नवग्रहों में गृहस्थ धर्म के कारक भी हैं अपनी नीच राशि में दो दुष्ट ग्रहों शनि एवं मंगल के प्रभाव में हैं इसलिए नाम मात्र की राशियों को छोड़कर अन्य राशियों पर विवाह के दिन शुभ नहीं है 4 मई 2020 को मंगल कुंभ राशि में चले जाएंगे तथा 17 मई को बृहस्पति वक्र गति में आएंगे और 30 जून तक अपनी नीच राशि में ही संचरण करेंगे जो विवाह के लिए बहुत अच्छी स्थिति नहीं है.

राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज आईडीपीएल में संस्कृत प्रवक्ता डॉ चंडी प्रसाद ने आगे बताया कि इस समय पृथ्वी 180 अंश पर कालसर्प योग से ग्रसित चल रही है यह स्थिति 16 जुलाई तक रहेगी सूर्य के मिथुन राशि में राहु के साथ जाने पर आंशिक कालसर्प योग रहेगा तथा 1 सितंबर 2020 को पृथ्वी पूर्ण रूप से कालसर्प योग से बाहर निकलेगी इसलिए विजयादशमी के दिन भी विवाह हो सकते हैं परंतु पुनः नवंबर 20 तारीख को  बृहस्पति 13 माह के लिए पूर्णरूपेण अपनी नीच राशि मकर में चले जाएंगे इसलिए ग्रह उपचार के साथ 20 नवंबर से 11 दिसंबर के बीच शादियों के लग्न शुभ रहेंगे.