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Deepawali 2022 : प्रकाश का त्योहार दिवाली हर साल कार्तिक अमावस्या को मनाई जाती है। दिवाली का त्योहार केवल एक दिन नहीं, बल्कि पूरे पांच दिनों का होता है। धनतेरस से दिवाली का प्रारंभ होता है और भैया दूज से इसका समापन होता है। इस वर्ष दीपावली के साथ 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण और 8 नवंबर को चंद्र ग्रहण पड़ने से मंत्र एवं यंत्र साधना के लिए अद्भुत संयोग है।

उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल ज्योतिषीय विश्लेषण करते हुए बताते हैं कि  प्रकाश का त्योहार दिवाली हर साल कार्तिक अमावस्या को मनाई जाती है। नरक चतुर्दशी या काली चौदस कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी ति​थि को होता है। इस वर्ष 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण और उसके बाद 8 नवंबर को चंद्र ग्रहण पड़ रहा है, इसलिए यह दीपावली मंत्र एवं यंत्र साधना के लिए वरदान के समान है। शीघ्र विवाह, संतान प्राप्ति, आयु रक्षा, नौकरी की प्राप्ति और नौकरी में तरक्की घर में सुख और शांति, व्यापार में वृद्धि एवं रोग निवारण हेतु इस दीपावली पर मंत्रों की ध्वनि को परिवर्तित कर जो यंत्र बनाए जाएंगे वह लोगों को दीर्घकालिक फायदा पहुंचाएंगे उन्होंने कहा कि इसके लिए लोग समय पर उनसे संपर्क कर सकते हैं।

धनतेरस 22 अक्टूबर  को

इस साल धनतेरस का त्योहार 22 अक्टूबर दिन शनिवार को है। इस दिन प्रदोष काल में माता लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर और देवताओं के वैद्य धन्वंतरी की पूजा करते हैं। परिवार की उन्नति के लिए धनतेरस पर सोना, चांदी, धनिया, झाड़ू आदि खीरदते हैं। धनतेरस के दिन प्रदोष व्रत भी रखा जाता है। इस बार धनतेरस पर शनि प्रदोष व्रत है। इस बार यम का दीपक भी धनतेरस को ही निकाला जाएगा।

नरक चतुर्दशी या काली चौदस 2022

ज्योतिष शास्त्र में अंतरराष्ट्रीय हस्ताक्षर आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल बताते हैं कि नरक चतुर्दशी या काली चौदस कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी ति​थि को होता है। काली चौदस पश्चिम बंगाल में मनाते हैं। नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली भी कहते हैं। कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि को श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था, इसलिए इस दिन नकर चतुर्दशी मनाते हैं। हालांकि इस साल काली चौदस की पूजा 23 अक्टूबर की रात को होगी, लेकिन नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली 24 अक्टूबर को दिवाली के साथ ही मनाई जाएगी।

दिवाली 24 अक्टूबर  को

कार्तिक अमावस्या को दिवाली का त्योहार मनाते हैं। इस साल दिवाली 24 अक्टूबर को है। इस दिन रात्रि के शुभ समय में माता लक्ष्मी और गणेश जी की विधिपूर्वक पूजा करते हैं और घर को दीपक से रौशन करते हैं। इस दिन जब भगवान श्रीराम लंका विजय करके माता सीता के साथ अयोध्या लौटे थे, तब दिवाली मनाई गई थी। तब से यह परंपरा चली आ रही है।

गोवर्धन पूजा या अन्नकूट 25 अक्टूबर को

दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा या अन्नकूट का त्योहार मनाते हैं। इस साल गोवर्धन पूजा या अन्नकूट 26 अक्टूबर दिन बुधवार को है, क्योंकि दिवाली के अगले दिन 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण है। इंद्रदेव के घमंड को चूर करने और गोकुल के लोगों की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर धारण कर लिया था। उसके बाद से ही गोवर्धन की पूजा की जाने लगी। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को अन्नकूट का भोग लगाते हैं।

भाई दूज 26 अक्टूबर को

भाई दूज का त्योहार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाते हैं, इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। क्योंकि इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर भोजन करने गए थे। तब उन्होंने यमुना को वरदान दिया था कि इस दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर जाएगा, उसे मृत्यु का भय नहीं सताएगा। इस साल भैया दूज 26 अक्टूबर को है। इसलिए भाई को चाहिए कि इस दिन अवश्य बहन के घर पहुंचकर भोजन ग्रहण करें और  सामर्थ्य अनुसार उसे दक्षिणा प्रदान करें।

आचार्य का परिचय
नाम-आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल
पब्लिक सर्विस कमीशन उत्तराखंड से चयनित प्रवक्ता संस्कृत।
निवास स्थान- 56 / 1 धर्मपुर देहरादून, उत्तराखंड। कैंप कार्यालय मकान नंबर सी 800 आईडीपीएल कॉलोनी वीरभद्र ऋषिकेश
मोबाइल नंबर-9411153845