Dhanteras 2023: हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक धनतेरस का पर्व इस साल आज यानी 10 नवंबर को है। धनतेरस के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर और आरोग्य का आशीर्वाद प्रदान करने वाले धनवंतरि की विशेष पूजा के साथ बर्तन, नई चीजों की खरीदारी का विशेष महत्व होता है। ऐसी मान्यता है जो कोई भी धनतेरस के दिन खरीदारी करता है, उसके घर पर सुख और समृद्धि आती है। धनतेरस के दिन किसी भी प्रकार का सामान आदि खरीदने के लिए अत्यंत ही शुभ माना जाता है। विशेष रूप से वाहन, घर, सोना, चांदी, बर्तन, कपड़े, धनिया, झाडू खरीदने का महत्व है। मान्यता है कि इस दिन सोना, चांदी, बर्तन, जमीन की खरीदने से इनमें बढ़ोतरी होती है।

धनतेरस पर खरीदारी का शुभ मुहूर्त

धनतेरस पर शुभ मुहूर्त में खरीदारी करना अच्छा माना जाता है। पंचांग के अनुसार धनतेरस पर आज 10 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से लेकर अगले दिन यानी 11 नवंबर की सुबह तक खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त है।

धनतेरस लक्ष्मी पूजा मुहूर्त

धनतेरस के पावन पर्व पर भगवान गणेश, मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा की जाती है। धनतेरस पर लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 10 नवंबर, शुक्रवार को शाम 05 बजकर 47 मिनट से शाम 07 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। प्रदोष काल- शाम 05 बजकर 30 मिनट से शुरू होकर 08 बजकर 08 मिनट तक रहेगा।

धनतेरस पर क्या खरीदें?

धनतेरस के दिन सोना-चांदी के अलावा बर्तन, वाहन और कुबेर यंत्र खरीदना शुभ होता है। इसके अलावा झाड़ू खरीदना भी अच्छा माना जाता है। मान्यता है इस दिन झाड़ू खरीदने से मां लक्ष्मी मेहरबान रहती हैं। वहीं यदि धनतेरस के दिन आप कोई कीमती वस्तु नहीं खरीद पा रहे हैं तो साबुत धनिया जरूर घर ले आएं। मान्यता है इससे धन की कभी कमी नहीं होती है। इसके अलावा आप गोमती चक्र भी खरीद सकते हैं। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।

धनतेरस पर क्या नहीं खरीदें?

  1. इस दिन लोहा या लोहे से बनी वस्तुएं घर लाना शुभ नहीं माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार यदि आप धनतेरस के दिन लोहे से बनी कोई भी वस्तु घर लाते हैं, तो घर में दुर्भाग्य का प्रवेश हो जाता है।
  2. धनतेरस पर एल्युमिनियम या स्टील की वस्तुएं न खरीदें। मान्यता है कि स्टील या एल्युमिनियम से बने बर्तन या अन्य कोई सामान खरीदने से मां लक्ष्मी रूठ जाती हैं।
  3. ज्योतिष के अनुसार यदि आप धनतेरस के दिन घर में कोई भी प्लास्टिक की चीज लेकर आएंगे तो इससे धन के स्थायित्व और बरकत में कमी आ सकती है, इसलिए धनतेरस के दिन प्लास्टिक की वस्तुएं भी न खरीदें।
  4. धनतेरस के शुभ अवसर पर शीशे या कांच की बनी चीजें भी बिल्कुल नहीं खरीदनी चाहिए। ज्योतिष के अनुसार धनतेरस के दिन चीनी मिट्टी या बोन चाइना की कोई भी वस्तु नहीं खरीदनी चाहिए।
  5. धनतेरस के दिन धारदार सामान जैसे कैंची, चाकू आदि नहीं खरीदना चाहिए।
  6. सिर्फ धनतेरस ही नहीं बल्कि हिंदु धर्म में सभी त्योहारों में काला रंग पहनना शुभ नहीं माना जाता है। इसलिए धनतेरस के दिन भी काले रंग की चीज़े खरीदने से बचें।

धनतेरस के दिन क्या करें :

  1. धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करें।
  2. धनतेरस के दिन झाडू खरीदकर उसका पूजन करे।
  3. शाम के समय घर पर दिया प्रज्वलित करें।
  4. मंदिर, गोशाला, नदी के घाट, कुओं, तालाब, बगीचों में भी दीपक लगाएं।
  5. धनतेरस के दिन तांबे, पीतल, चांदी के नए बर्तन और सोने के सिक्के, आभूषण खरीदने चाहिए।

हिन्दू धर्म में धनतेरस का महत्व:

धनतेरस का त्यौहार दीपावली से दो दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन धन के देवता भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। हर साल धनतेरस कार्तिक मास के 13वें दिन और दिवाली से दो दिन पहले मनाया जाता है। लक्ष्मी की अनुकम्पा को ही धन तेरस का त्योहार उजागर करता है। इस वर्ष 10 नवम्बर को यह अद्भुत पर्व है। इस पुनीत पर्व पर पूजा पाठ व जप तप करने से महामृत्युन्जय के जप के समान महात्म्य की प्राप्ति होती है। अकाल मृत्यु से रक्षा होती है। परिवार में खुशहाली का वातावरण बनता है। जीवन के प्रत्येक क्षणों में सफलता के समाचार मिलने शुरू हो जाते हैं। इस दिन धनवन्तरि देव की पूजा की जाती है। इसी कारण इस पर्व को धनवन्तरि जयन्ती के नाम से भी जाना जाता है।

धनतेरस पौराणिक कथा

शास्त्रो मे विवरण है कि एक समय देवताओ के आगे आसुरी शक्ति का प्रभाव वहुत अधिक बढ गया था। ऐसी स्थिति मे देवता स्वयं को असहाय महसूस करने लग गये थे। देवताओ को अमृत पिलाने की इच्छा से भगवान धनवन्तरि अमृत से भरा कलश लेकर समुद्र से प्रकट हुये थे। इसलिए इस दिन धातू से जुड़े बर्तन या आभूषण खरीदने का चलन निकल पड़ा। इस दिन कोई न कोई सोने का आभूषण या नवीन बर्तन खरीदना बडा ही शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन खरीददारी करने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है। इस अवसर पर धनिया के बीज खरीद कर भी लोग घर में रखते हैं।

धन का स्वामी कुबेर को माना जाता है। कहा जाता है कि कुवेर ने ब्रहमा और शिव को खुश करने के लिये बडा ही कठोर तप किया। तपस्या से भगवान शिव और ब्रह्मा बडे खुश हुये। और कुबेर को सभी धन सम्पदा का स्वामी बना दिया। और कहा जो भी श्रद्धा व भक्ति भाव से तेरे नाम का स्मरण करेगा उसके जीवन मे निर्धनता नही आयेगी। उस पर मां लक्ष्मी की अनुकम्पा बनी रहेगी। इसीलिए इस दिन सर्व प्रथम पूजा मे कुबेर यन्त्र, पीला वस्त्र, अक्षत अष्ट गन्ध, नाला, फूल, घी, दीपक, तरह-तरह के पकवान, पानी, सुपारी, एकाक्षी नारियल, गोमती चक्र, सियार सिह्गी आदि की आवश्यकता होती है। इस दिन उत्तर दिशा की ओर कुबेर।यन्त्र को स्थापित करें। अपने आप पीले बस्त्र पहने चौकी पर पीला वस्त्र बिछाये। साथ ही गोमती चक्र को भी चौकी पर रखे चार मुह वाला दीपक जलाये। दीपक को अपने बाये हाथ की ओर रखे। फिर गणेश भगवान व कुबेर की पूजा करे, विनियोग और न्यास करे। इसके बाद श्रद्धा, भक्ति भाव से ग्यारह सौ बार ऊं श्री वित्तेश्वराय नमः का जप करने के बाद गणेश व मा लक्ष्मी की आरती करे। आरती के बाद कुबेर यन्त्र को अपने पूजा स्थान मे रखै। सियार सिह्गी को अपने खजाने मे रखे। इस तरह का विधान करने से जीवन मे धन की कमी देखने को नही मिलती है। सुखद अनुभूतिया होने लगती है।