Hindu New Year is starting from tomorrow along with Chaitra Navratri

Chaitra Navratri  Hindu Nav Varsh 2022: आज विक्रम संवत 2078 का आखिरी दिन है। एक बाद 2079 शुरू हो जाएगा। भारतीय संस्कृति और हिंदू शास्त्रों के हिसाब से कल का दिन धार्मिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष से नवरात्रि की शुरुआत होती है। वहीं साथ ही हिंदू नववर्ष भी शुरू हो रहा है। हिंदू नववर्ष के पहले दिन को हिंदू संवत्सर या फिर विक्रम संवत के नाम से जाना जाता है।

सोशल मीडिया पर इस बार हिंदू नव संवत्सर को लेकर 2 दिन पहले ही बधाई संदेश शुरू हो गए हैं। अलग-अलग प्रदेशों में इसे अलग तरीके से मनाया जाता है। महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक इस दिन को उगादी, पंजाब में बैसाखी और सिंधी चेती चंडी के नाम से मनाते हैं। इस बार हिंदू नव वर्ष की शुरुआत 2 अप्रैल शनिवार से हो रही है। चैत्र नवरात्रि को लेकर देशभर के देवी मंदिरों को खूब सजाया गया है। 9 दिन पूरे भक्त दुर्गा माता की आराधना करते हैं। इन दिनों मां वैष्णों देवी जाने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ जाती है। नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है।

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को चैत्र नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है और अष्टमी और नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन किया जाता है। बता दें कि हिंदू संवत्सर का शुभारंभ जिस दिन से होता है, उस दिन के ग्रह को नए संवत्सर का राजा माना जाता है। हिंदू संवत्सर 2079 में न्याय का देवता माने जाने वाले शनिदेव नववर्ष के स्वामी यानी राजा हैं। साथ ही पद, प्रतिष्ठा, मान, सम्मान और महात्वाकांक्षाओं को पूरा करने वाले वृहस्पति हिंदू नववर्ष के मंत्री होंगे।

2 अप्रैल, प्रथम नवरात्र को देवी के शैलपुत्री रूप का पूजन किया जाता है। 3 अप्रैल, नवरात्र की द्वितीया तिथि को देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। 4 अप्रैल, तृतीया तिथि को देवी दुर्गा के चन्द्रघंटा रूप की आराधना की जाती है। 5 अप्रैल, नवरात्र पर्व की चतुर्थी तिथि को मां भगवती के देवी कूष्मांडा स्वरूप की उपासना की जाती है। 6 अप्रैल, पंचमी तिथि को भगवान कार्तिकेय की माता स्कंदमाता की पूजा की जाती है। 7 अप्रैल, षष्ठी तिथि को मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। 8 अप्रैल, सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि की पूजा का विधान है। 9 अप्रैल, अष्टमी तिथि को मां महागौरी की पूजा की जाती है, इस दिन कई लोग कन्या पूजन भी करते हैं। 10 अप्रैल नवमी तिथि को देवी सिद्धदात्री स्वरूप का पूजन किया जाता है। सिद्धिदात्री की पूजा से नवरात्र में नवदुर्गा पूजा का अनुष्ठान पूर्ण हो जाता है।

घट स्थापना का शुभ मुहूर्त

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार नवरात्र के पहले दिन घट स्थापना का विशेष महत्व होता है। इसका शुभ मुहूर्त सुबह छह बजकर 10 मिनट से आठ बजकर 31 मिनट तक है। इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजे से 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। बताया कि शनिवार को माता रानी के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा की जाएगी। इसमें सभी भक्त स्नान कर अपने-अपने घरों में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ कलश स्थापना करेंगे।

  • घट स्थापना शुभ मुहूर्त- शनिवार, दो अप्रैल 2022, 06: 10 सुबह से 08:31 सुबह है।
  • अवधि – 02 घण्टे 21 मिनट
  • घटस्थापना अभिजित मुहूर्त – 12:00 दोपहर से 12:50 दोपहर तक
  • अवधि – 00 घण्टे 50 मिनट्स
  • घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर हैl
  • प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – अप्रैल 01, 2022 को 11:53 बजे सुबह से
  • प्रतिपदा तिथि समाप्त – अप्रैल 02, 2022 को 11:58 बजे सुबह तक

चैत्र नवरात्रि 2022 किस दिन किस देवी की पूजा

  1. चैत्र नवरात्रि पहला दिन: मां शैलपुत्री पूजा, 02 अप्रैल
  2. चैत्र नवरात्रि दूसरा दिन: मां ब्रह्मचारिणी पूजा, 03 अप्रैल
  3. चैत्र नवरात्रि तीसरा दिन: मां चंद्रघंटा पूजा, 04 अप्रैल
  4. चैत्र नवरात्रि चौथा दिन: मां कुष्मांडा पूजा, 05 अप्रैल
  5. चैत्र नवरात्रि पांचवा दिन: देवी स्कंदमाता पूजा, 06 अप्रैल
  6. चैत्र नवरात्रि छठां दिन: मां कात्यायनी पूजा, 07 अप्रैल
  7. चैत्र नवरात्रि सातवां दिन: मां कालरात्रि पूजा, 08 अप्रैल
  8. चैत्र नवरात्रि आठवां दिन: मां महागौरी पूजा, दुर्गाष्टमी, 09 अप्रैल
  9. चैत्र नवरात्रि नौवां दिन: मां सिद्धिदात्री पूजा, 10 अप्रैल
  10. चैत्र नवरात्रि पारण एवं हवन, 11 अप्रैल

चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना विधि
चैत्र नवरात्रि के लिए कलश स्थापना करने जा रहे हैं तो पहले कलश स्थापना की विधि जान लें-

कलश स्थापना नवरात्रि के पहले दिन की जाती हैl कलश स्थापना के लिए मिट्टी के बर्तन (कलश), पवित्र स्थान से लाई गई मिट्टी या बालू, गंगाजल, सुपारी, चावल, नारियल, लाल धागा, लाल कपड़ा, आम या अशोक के पत्ते,और फूल की जरूर होती हैl

  • कलश स्थापना से पहले अपने घर के मंदिर को अच्छी तरह साफ कर लें और लाल कपड़ा बिछा देंl
  • अब इस कपड़े पर कुछ चावल रख देंl
  • जौ को मिट्टी के चौड़े बर्तन में बो देंl
  • अब इस पर पानी से भरा कलश रखेंl
  • कलश पर कलावा बांधेंl
  • साथ ही कलश में सुपारी, एक सिक्का और अक्षत डाल देंl
  • कलश में आम या अशोक के पांच पत्ते रखेंl
  • कलश के ऊपर लाल चुनरी में लपेटा हुआ नारियल रखेंl