उत्तराखंड को देवभूमि और ऋषि-मुनियों की तपस्थली के रूप में जाना जाता है। यहां महान ऋषियों ने तपस्या कर आत्मसाक्षात्कार प्राप्त किया। भगवान शिव के अनन्य उपासक आदि गुरु शंकराचार्य ने भी श्रीनगर स्थित श्री यंत्र टापू में मां भगवती के महत्व को स्वीकारते हुए कहा था कि सैकड़ों अपराध करने वाला भी यदि मां जगदंबा कहकर उनकी शरण में आता है तो उसे वह गति प्राप्त होती है, जो देवताओं के लिए भी दुर्लभ है।
मां भगवती अत्यंत करुणामयी हैं, जो केवल नामोच्चारण मात्र से ही भक्तों के मनोरथ पूर्ण कर देती हैं। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से 1 अक्टूबर तक मनाई जाएगी। नवरात्र का अर्थ है—नौ दिन और नौ रातें, जिनमें साधक पूर्ण एकाग्रता से मां की आराधना, जप और तप करता है। वर्ष में चार बार—चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ मास में नवरात्रि मनाई जाती है। इनमें चैत्र और आश्विन की नवरात्रियां (बसंत और शारदीय नवरात्र) विशेष मानी जाती हैं, जबकि आषाढ़ और माघ की नवरात्रियां गुप्त नवरात्र कहलाती हैं।
घटस्थापना और विशेष योग
इस वर्ष शारदीय नवरात्रि में शुक्ल और ब्रह्म योग के साथ कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। मां भगवती का आगमन हाथी पर हो रहा है, जो धन-धान्य और समृद्धि का प्रतीक है। घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 22 सितंबर को प्रातः 6:09 से 8:06 बजे तक रहेगा।
पूजा-विधि और नियम
- शुद्ध रेत में जौ बोकर संकल्प लें और अखंड ज्योति जलाएं।
- पूजा में दुर्वा, तुलसी और तमाल के फूलों का प्रयोग न करें।
- फल अर्पण में अनार, केला, आम और जामुन प्रमुख माने गए हैं।
- नवरात्रि में मांस-मदिरा से दूर रहें, भूमि पर शयन करें, व्यर्थ वार्तालाप और वासनात्मक विचारों से बचें।
- प्रतिदिन छोटी कन्याओं को भोजन कराकर उनमें मां के स्वरूप का दर्शन करें।
- दुर्गा सप्तशती का पाठ नवरात्रि में विशेष फलदायी होता है।
मां दुर्गा के नौ स्वरूप
नवरात्रि में मां के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, जो साधक को भिन्न-भिन्न सिद्धियां प्रदान करते हैं।
- शैलपुत्री – मूलाधार चक्र को जाग्रत करती हैं।
- ब्रह्मचारिणी – तपस्या और इन्द्रिय-निग्रह का प्रतीक।
- चंद्रघंटा – सांसारिक दुखों से मुक्ति।
- कुष्मांडा – रोग और विघ्नों का नाश।
- स्कंदमाता – अद्भुत आभामंडल की दात्री।
- कात्यायनी – चारों पुरुषार्थों की प्रदात्री।
- कालरात्रि – भय और मृत्यु पर विजय दिलाने वाली।
- महागौरी – बुरे विचारों का शमन करती हैं।
- सिद्धिदात्री – लौकिक व आलौकिक सिद्धियों की प्रदात्री।
उपवास का महत्व
नवरात्रि में उपवास से शरीर को विश्राम मिलता है और मन सकारात्मक विचारों से परिपूर्ण होता है। मां दुर्गा सच्चे मन से की गई प्रार्थना और आराधना से भक्त की हर इच्छा पूर्ण करती हैं।
ऋग्वेद में भी कहा गया है कि संपूर्ण सृष्टि का संचालन भगवती शक्ति ही करती हैं। जब-जब देवताओं पर संकट आया, उन्होंने भी मां नवदुर्गा की आराधना कर ही मुक्ति पाई।
लेखक: डॉ. अखिलेश चन्द्र चमोला


