Raksha Bandhan 2024

Raksha Bandhan 2024: अनूठी परम्परा ओं की वाहक भारतीय संस्कृति में हर पर्व त्योहार की अद्भुत मान्यता है। इन सभी त्योहारों का भी शास्त्रीय पद्वति के अनुसार अपना अपना महत्व है। रक्षाबंधन भाई के प्रति बहन के असीम स्नेह और बहन के प्रति भाई के कर्तव्य को उजागर करने वाला त्योहार है।

यह त्योहार भाई बहन के प्रेम का प्रतीक है। श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को मनाये जाने वाले इस त्योहार में बहन भाई की कलायी पर रक्षा सूत्र बांधती है। और भाई बहन को आजीवन रक्षा का वचन देता है। रक्षाबंधन के विषय में कई कथाओं का विवरण मिलता है। मान्यता है कि शिशुपाल वध के समय भगवान श्रीकृष्ण की तर्जनी में चोट आ गई थी। तब द्रौपदी ने खून रोकने के लिए अपनी साडी फाड़कर चीर उनकी अंगुली में लगा दी। इस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था। श्रीकृष्ण ने चीरहरण के समय उनकी लाज बचाकर यह कर्ज चुकाया था।

यह भी कहा जाता है कि सिकंदर की पत्नी ने अपने पति के शत्रु पुरू को राखी बान्धकर अपना भाई बनाया था और युद्ध के समय सिकंदर को न मारने का वचन लिया था। पुरू ने युद्ध के दौरान हाथ में बन्धी राखी का और अपनी बहन को दिये हुए बचन का सम्मान करते हुए सिकंदर को जीवन दान दिया था।

एक मान्यता के अनुसार मेवाड़ को सुल्तान बहादुर शाह से बचाने के लिए चितौड़गढ़ की रानी कर्णावती ने हुमायूं को राखी भेजी थी। तब हुमायूं ने भी उन्हें बहन का दर्जा देकर उनकी जान बचाई थी। कहा जाता है कि मेवाड़ की रानी कर्णावती को गुजरात के सुल्तान बहादुरशाह द्वारा मेवाड़ पर हमला करने की पूर्व सूचना मिली। रानी लड़ने में असमर्थ थी। अत: उन्होंने मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेज कर मेवाड़ की रक्षा करने का आग्रह किया। हुमायूं ने मुसलमान होते हुए भी राखी की लाज रखी और मेवाड़ पहुंच कर बहादुरशाह के विरूद्ध मेवाड़ की ओर से लड़ते हुए प्रदेश की रक्षा की।

रक्षाबंधन के विषय में एक अन्य कथा भी प्रचलित है’ एक बार राक्षसों और देवताओ में 12 वर्षौं तक भीषण युद्ध हुआ। इसमें देवताओ के राजा इंद्र बुरी तरह पराजित हुए और तब गुरू बृहस्पति के कहने पर उन्होने श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को ब्राहमणों के हाथो से रक्षा सूत्र बांधा तो उन्हे बिजय प्राप्त हुई ‘और तब से निरन्तर यह त्योहार मनाया जाता है।

रक्षाबंधन की पावनता से यमलोक भी अक्षूता नही है। इस दिन मृत्यु के देवता यम को उनकी बहन यमुना ने राखी बांधी और अमर होने का वरदान मांगा। यम ने इस पर्व के विषय में कहा जो भाई अपनी बहन से राखी बन्धवायेगा” वह लम्बी उम्र जीयेगा। उसे कष्टों से छुटकारा मिलेगा।

भद्रा काल में क्यों नहीं बांधी जाती है राखी

कहा जाता है कि भद्रा शनिदेव की बहन थी। भद्रा को ब्रह्मा जी से यह श्राप मिला था कि जो भी भद्रा में शुभ या मांगलिक कार्य करेगा, उसका परिणाम अशुभ ही होगा। इसीलिए रक्षाबंधन पर भद्राकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए। इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है। ऐसा कहा जाता है कि लंकापति रावण की बहन ने भद्राकाल में ही उनकी कलाई पर राखी बांधी थी और एक वर्ष के अंदर उसका विनाश हो गया था।

रक्षाबंधन का शुभ मूहुर्त

इस वर्ष रक्षाबंधन पर क्ई तरह के अद्भुत व प्रभाव कारी संयोग बन रहे हैं। पूर्णिमा तिथि 3 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर रात्रि  11 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी।

उदय तिथि के अनुसार 19 अगस्त को रक्षाबंधन मनाया जायेगा। इस दिन भद्रा भी है। भद्रा सुबह 5  बजकर 53 मिनट से शुरू होकर 1 बजकर 32 मिनट तक है। इस कारण रक्षा सूत्र धारण करने में भाईयो को प्रतिक्षा करनी पडेगी। इस पर्व पर कई तरह के शुभ योग भी बन रहे हैं। स्वार्थ सिद्वि योग” ” रवि योग ” धनिष्ठा नक्षत्र समेत कई शुभ प्रभाव कारी योगों का निर्माण हो रहा है। रक्षाबंधन का सही समय 1 बजकर 35 मिनट से लेकर  4 बजकर 20 मिनट तक राखी बांधने का शुभ मूहुर्त है।

लेखक: अखिलेश चन्द्र चमोला

कला निष्णात- स्वर्ण पदक प्राप्त के साथ बिभिन्न राष्ट्रीय सम्मानो पाधियों से सम्मानित।