Sawan Shivratri 2023: वैसे तो शिवरात्रि हर महीने आती है। परन्तु सावन में आने वाली शिवरात्रि सबसे खास मानी जाती है। इस दिन शिव पूजा का विशेष महत्व है। भगवान शिव का प्रिय महीना सावन 4 जुलाई से शुरू हो चुका है, जो 31 अगस्त तक रहेगा यानी पूरे 59 दिन तक। ऐसा सावन का अधिमास होने के कारण होगा।
इस साल सावन शिवरात्रि आज यानी 15 जुलाई 2023 शनिवार को है। हिंदू धर्म में शिवरात्रि महादेव का सबसे बड़ा पर्व है। इसे चतुर्दशी तिथि को मनाते हैं। मान्यता है कि इस दिन शिव जी का प्राकट्य हुआ था और इसी दिन शिव जी का विवाह भी हुआ था। इस दिन महादेव की उपासना से सुख की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत, उपवास, मंत्रजाप और रात्रि जागरण का महत्व है। सावन का महीना शिव जी का महीना है। इस दिन लोग कांवड़ में जल भरकर शिवलिंग पर अर्पित करते हैं।
क्यों खास है सावन शिवरात्रि?
धर्म ग्रंथों के अनुसार, चतुर्दशी तिथि के स्वामी स्वयं भगवान शिव हैं। इसलिए इस हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का व्रत किया जाता है। इसे शिव चतुर्दशी भी कहते हैं। इस तरह फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि और अन्य 11 महीनों के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का व्रत करने का विधान है। लेकिन सावन मास की शिवरात्रि का महत्व इन सभी में सबसे ज्यादा माना गया है। इसका कारण है कि सावन मास को शिवजी की भक्ति का महीना कहा जाता है और इस महीने में आने वाली शिवरात्रि महादेव की पूजा के लिए सबसे खास मानी गई है।
महाशिवरात्रि और सावन शिवरात्रि में अंतर
बहुत से लोगों को महाशिवरात्रि और सावन शिवरात्रि में अंतर नहीं पता। जानिए इन दोनों शिवरात्रि में क्या अंतर है। महाशिवरात्रि हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। ये शैव धर्म को मानने वालों का सबसे बड़ा त्योहार है। शिवपुराण के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव पहली बार लिंग रूप में यानी अपने निराकार स्वरूप में प्रकट हुए थे। इसीलिए हर साल इस तिथि पर महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इसके साथ ही महाशिवरात्रि के दिन शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए यह दिन बेहद खास होता है और शिवजी को यह दिन बहुत प्रिय है। माता पार्वती की कठोर तपस्या के बाद शिवजी ने उनको पत्नी रूप में स्वीकार किया था और इस शुभ दिन पर विवाह किया था।
सावन शिवरात्रि शुभ मुहूर्त:
हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन की शिवरात्रि कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जा रही है। इसकी तिथि 15 जुलाई यानी आज रात 08 बजकर 32 मिनट पर शुरू हो जाएगी और समापन 16 जुलाई यानी कल रात 10 बजकर 08 मिनट पर होगा। शिवरात्रि का पूजन मुहूर्त 16 जुलाई को रात 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा।
पूजा का शुभ मुहूर्त
- प्रथम पहर की पूजा- शाम 7:21 बजे से रात 9:54 बजे तक
- द्वितीय पहर की पूजा- रात 9:54 बजे से देर रात 12:27 बजे तक (16 जुलाई)
- तृतीय पहर की पूजा- रात 12:27 बजे से देर रात 03:00 बजे तक (16 जुलाई)
- चतुर्थ पहर की पूजा- रात 03:00 बजे से सुबह 05:33 बजे तक (16 जुलाई)
इस बार सावन शिवरात्रि पर दो शुभ योग वृद्धि और ध्रुव योग बने हैं। वृद्धि योग सुबह 08 बजकर 22 मिनट तक है। इस योग में पूजा पाठ करने से पुण्य फल में वृद्धि होती है। इसके बाद से ध्रुव योग प्रारंभ होगा। जो पूरे रात रहेगा। सावन शिवरात्रि के दिन मृगशिरा नक्षत्र है। यह सुबह से लेकर रात 12:23 बजे तक है।
सावन शिवरात्रि पूजन विधि
सावन की शिवरात्रि पर सवेरे-सवेरे स्नान के बाद पीले या सफेद रंग के साफ वस्त्र धारण करें। पूजा के स्थान पर भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी, भगवान कार्तिकेय और भगवान शिव के वाहन नंदी की प्रतिमा स्थापित करें और उनकी पूजा करें। मासिक शिवरात्रि की पूजा में शिव परिवार को पंचामृत से स्नान कराया जाता है। पूजा में बेल पत्र, फल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य और इत्र जरूर शामिल करें। इस दिन व्रत करने वालों को शिव पुराण या शिवाष्टक का पाठ अवश्य करना चाहिए। पूजा का समापन शिव आरती के साथ करें।
इस बार 2 सावन शिवरात्रि का संयोग
वैसे तो आमतौर पर सावन में एक ही बार शिवरात्रि का संयोग बनता है, लेकिन इस बार 2 बार सावन शिवरात्रि का संयोग बनेगा। ऐसा सावन का अधिक मास होने के कारण होगा। पहली सावन शिवरात्रि 15 जुलाई, शनिवार को है। सावन की दूसरी शिवरात्रि का व्रत 14 अगस्त, सोमवार को किया जाएगा। इसके पहले सावन में दो शिवरात्रि साल 2004 में आई थी, क्योंकि इस साल भी सावन का अधिक मास था।