Akshaya-Tritiya

कल एक ऐसा पर्व है जिसके नाम के आगे ही अक्षय है। अक्षय का अर्थ अनंत, विनाश का अभाव, जो सदा बना रहने वाला, सदा एक जैसा रहने वाला, जिसका क्षय या विघटन न हो, अविनाशी, क्षयरहित, आदि को हिंदी में ‘अक्षय’ कहते हैं। मंगलवार (3 मई) को देश में ‘अक्षय तृतीया’ का पर्व मनाया जाएगा।

भारतीय ज्योतिष शास्त्र, सनातन धर्म का सबसे अहम और शुभ दिन इसे माना जाता है। इसी दिन परशुराम जयंती भी है सनातन धर्म के अनुसार इस तिथि को शुभ कार्यों के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन किए कार्यो का क्षय नहीं होता।अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त है कोई भी शुभ कार्य का प्रारंभ किया जा सकता है। यह वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर मनाया जाता है।

हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार अक्षय तृतीया सर्वाधिक सर्व सिद्धि योग वाली तिथि है। इस दिन किए जाने वाले सभी अच्छे कर्मों का अच्छा परिणाम प्राप्त होता है और उसका लाभांश कभी नष्ट नहीं होता इसलिए इसे ‘अक्षय’ कहा जाता है । इसी दिन वसंत ऋतु का समापन और ग्रीष्म ऋतु का प्रारंभ होता है। यह पर्व सुख समृद्धि के साथ धार्मिक, मांगलिक कार्यों, शुभ मुहूर्त खरीदारी, स्नान-दान के साथ भगवान परशुराम जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन सोने की खरीदारी भी शुभ मानी जाती है।

अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान विष्णु ने छठे अवतार भगवान परशुराम के रूप में माता रेणुका के गर्भ से जन्म लिया था। इसी दिन उत्तराखंड स्थित चार धाम कपाट खुलने की भी शुरुआत होती है। ‌बता दें कि कल अक्षय तृतीया पर गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट पूरे विधि विधान के साथ खोले जाएंगे। इसी के साथ चार धाम यात्रा की भी शुरुआत हो जाएगी। वहीं केदारनाथ के कपाट 6 मई और बदरीनाथ के कपाट 8 मई को खुलेंगे।

इस बार अक्षय तृतीया का पर्व पंच महायोगशुभ योग में मनाया जाएगा

इस बार अक्षय तृतीया बहुत ही ‘शुभ घड़ी’ में पड़ रहा है। इस पर्व को लेकर इस बार ज्योतिषियों में उल्लास छाया हुआ है। बता दें कि इस बार अक्षय तृतीया रोहिणी नक्षत्र में पड़ेगी। इस बार पांच ग्रहों की शुभ स्थिति और पांच राजयोग में ये महापर्व मनेगा। अक्षय तृतीया पर ऐसा ‘पंच महायोग’ आज तक नहीं बना। इस दिन तिथि और नक्षत्र का संयोग 24 घंटे होने से खरीदारी, निवेश और लेन-देन के लिए पूरा दिन शुभ रहेगा।

ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र शास्त्री ने बताया कि अगले 100 सालों तक ऐसा शुभ संयोग नहीं बनेगा जैसा इस बार अक्षय पर्व पर बन रहा है। अक्षय तृतीया पर रोहिणी नक्षत्र का संयोग बहुत शुभ माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस तिथि का विशेष महत्व है, क्योंकि ये तिथि सालभर में आने वाले 4 अबूझ मुहूर्तों में से एक है। अक्षय तृतीया के अलावा देवउठनी एकादशी, वसंत पंचमी और भड़ली नवमी को भी अबूझ मुहूर्त माना जाता है। अक्षय तृतीया के दिन को शादी-विवाह समेत हर तरह के मांगलिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। अक्षय तृतीया के दिन दान अवश्य करना चाहिए। कहा जाता है कि अक्षय तृतीया को दिया हुआ दान अगले जन्म में हमें कई गुना अधिक हो करके प्राप्त होता है और इस जन्म में हमारा मन शांत और शुद्ध बनता है।

अक्षय तृतीया के दिन धरती पर कई अवतरित-आलौकिक घटनाएं हुईं

  • आज ही के दिन मां गंगा का अवतरण धरती पर हुआ था ।
  • भगवान परशुराम का जन्म आज के दिन हुआ था ।
  • मां अन्नपूर्णा का जन्म भी आज ही के दिन हुआ था ।
  • द्रोपदी को चीरहरण से कृष्ण ने आज ही के दिन बचाया था ।
  • कृष्ण और सुदामा का मिलन आज ही के दिन हुआ था ।
  • कुबेर को आज ही के दिन खजाना मिला था ।
  • सतयुग और त्रेता युग का प्रारम्भ आज ही के दिन हुआ था ।
  • ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण भी आज ही के दिन हुआ था ।
  • प्रसिद्ध तीर्थ स्थल गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट आज ही के दिन खोले जाते हैं ।
  • वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में साल में केवल आज ही के दिन श्री विग्रह चरण के दर्शन होते हैं अन्यथा साल भर वो वस्त्र से ढंके रहते हैं ।
  • इसी दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था।

शंभू नाथ गौतम