साल के पहले चंद्र ग्रहण का असर भारत में नहीं है। यह उपछाया का ग्रहण है। जिसका असर आंशिक तौर पर रहता है। चंद्र ग्रहण लाल रंग में नजर आ रहा है, जिसे ब्लड मून कहा जाता है। वैज्ञानिक व धार्मिक दृष्टि से चंद्र ग्रहण एक अहम घटना होती है। सूर्य और चंद्रमा के बीच जब पृथ्वी आ जाती है तो चंद्र ग्रहण की घटना होती है। इस समय में पृथ्वी की छाया चंद्रमा की रोशनी को ढंक लेता है। जब सूर्य की रोशनी पृथ्वी के करीब से गुजर कर चांद तक पहुंचती है तो इसका नीला और हरा रंग वातावरण में बिखर जाता है, क्योंकि इनकी वेवलेंथ कम होती है। जबकि लाल रंग की वेवलेंथ ज्यादा होती है और वो चंद्रमा तक पहुंच पाता है। ऐसे वक्त चंद्रमा लाल रंग का दिखाई देने लगता है।
चंद्रग्रहण को दक्षिण-पश्चिमी यूरोप, दक्षिण-पश्चिमी एशिया, अफ्रीका, अधिकांश उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, अटलांटिक और अंटार्कटिका में देखा जा रहा है। भारत में चंद्र ग्रहण दिखाई नहीं देने के कारण इसका सूतक काल मान्य नहीं है। धार्मिक नजरिए से सूतक काल को अशुभ माना जाता है। चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक काल का समय ग्रहण के शुरू होने के 9 घंटे पहले लग जाता है। धार्मिक मान्यता है कि सूतककाल के दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है।
बता दें कि चंद्र ग्रहण एक प्रकार की खगोलीय घटना है। चंद्र ग्रहण तीन प्रकार का होता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण, आंशिक चंद्र ग्रहण और उपछाया चंद्र ग्रहण। आज का चंद्र ग्रहण सुबह 7 बजकर 58 मिनट पर लग गया है। यह 11 बजकर 25 मिनट पर खत्म हो जाएगा। चंद्र ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 27 मिनट की है। इस दौरान चंद्रमा पर राहु और केतु की बुरी दृष्टि रहेगी। उसके बाद ग्रहण का मोक्ष हो जाएगा।