Kawad Yatra 2025: हिंदू धर्म में श्रावण मास को बहुत ही पवित्र महीनों में गिना जाता है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि समाप्त होने के साथ सावन आरंभ हो जाता है, जिससे भगवान शिव का सबसे प्रिय मास माना जाता है। सावन मास के सोमवार का विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा करने के साथ-साथ व्रत रखने का विधान है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने के साथ शिवलिंग में जल आदि चढ़ाने से हर तरह के ग्रह दोषों से निजात मिलने के साथ-साथ सुख-समृद्धि, धन-संपदा की प्राप्ति होती है। सावन के सोमवार के दिन कुंवारी कन्याएं वृत करती हैं। भगवान भोले के भक्त सावन के सोमवार का विशेष रूप से इंतजार करते हैं।

इस पूरे एक माह भगवान शिव की विधिवत पूजा करने के साथ जलाभिषेक, दुधाभिषेक सहित अन्य धार्मिक कार्य किए जाते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल सावन माह की शुरुआत 11 जुलाई को रात 2 बजकर 6 मिनट से हो रही है और इसका समापन 9 अगस्त को होगा। इस बार सावन पूरे 30 दिनों का रहेगा। इस पूरे माह में कुल 4 सावन सोमवार पड़ने वाले हैं। सावन सोमवार के दौरान भगवान शिव की विधिवत पूजा करने के साथ-साथ व्रत रखने का विधान है। पहले सावन सोमवार में आयुष्मान योग, सौभाग्य योग जैसे योगों का निर्माण हो रहा है। आइए जानते हैं पहला सावन सोमवार किस दिन पड़ रहा है। सावन के पहले सोमवार को सुबह ब्रह्म मुहूर्त के अलावा सूर्योदय से यानी सुबह 5:33 से लेकर दोपहर से पहले जल अर्पित करना शुभ हो सकता है।

कब है पहला सावन सोमवार?

श्रावण मास इस साल 11 जुलाई 2025, शुक्रवार से आरंभ हो रहा है, जो 9 अगस्त को पूर्णिमा के साथ समाप्त होता है। ऐसे में सावन का पहला सोमवार 14 जुलाई 2025 को पड़ रहा है।

वही उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में सावन का महीना 16 जुलाई से लग रहा है. दरसल  उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र, नेपाल और हिमाचल के कुछ हिस्सों में सौर पंचांग के अनुसार महीने शुरू व खत्म होते हैं। अर्थात जब सूर्य भगवान एक राशि से दूसरी राशि परिवर्तन करते हैं, उस दिन से उत्तराखंड, हिमाचल और नेपाल में महीना शुरू और ख़त्म होते हैं। सूर्य की राशि परिवर्तन को संक्रांति कहते हैं। यह संक्रांति हमेशा आंग्ल (अंग्रेजी) महीनों के बीच में पड़ती है। अर्थात प्रतिमाह संक्रांति 14, 15, 16  या 17 तारीख के आस पास पड़ती है। इसलिए हमेशा उत्तराखंड का सावन का महीना 16 या 17 जुलाई के आस पास से 15 , 16  अगस्त में ख़त्म होता है।

कब से शुरू हो रही कांवड़ यात्रा?

भगवान शिव की पवित्र यात्रा, जिसे कांवड़ यात्रा कहा जाता है, की शुरुआत सावन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा ति​थि से होती है। इस साल 2025 में कांवड़ यात्रा 11 जुलाई दिन शुक्रवार से शुरू होगी। सावन मास में चार सोमवार पड़ेंगे। कांवड़ यात्रा सावन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर कृष्ण चतुर्दशी तक यानी सावन शिवरात्रि तक चलती है। कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि होती है, तो इसलिए कृष्ण पक्ष को भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए अच्छा माना जाता है। वैसे तो आप पूरे सावन माह में शिवलिंग का जलाभिषेक करके पुण्य लाभ अर्जित कर सकते हैं।

सावन शिवरात्रि कब है?

साल 2025 में सावन माह की शिवरात्रि 23 जुलाई को मनाई जाएगी। यह पर्व हर साल सावन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आता है। पंचांग के अनुसार, चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 23 जुलाई को सुबह 4 बजकर 39 मिनट से होगी और इसका समापन 24 जुलाई की रात 2 बजकर 28 मिनट पर होगा। इसलिए शिव भक्त 23 जुलाई को सावन शिवरात्रि का व्रत रखेंगे और दिनभर व्रत-पूजन कर रात को भगवान शिव का जलाभिषेक करेंगे। यह दिन भोलेनाथ को प्रसन्न करने और मनोकामनाएं पूर्ण कराने के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इसीलिए 23 जुलाई को जलाभिषेक करेंगे।

पहले सावन सोमवार को बन रहे शुभ योग

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल सावन सोमवार के दिन काफी शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र के साथ आयुष्मान योग, सौभाग्य योग के अलावा गजानन संकष्टी चतुर्थी का व्रत भी रखा जा रहा है। इसके साथ ही ग्रहों की स्थिति के हिसाब से इस दिन सावन सोमवार को गुरु आदित्य योग, विपरीत, मालव्य आदि योगों का निर्माण हो रहा है।

सावन सोमवार 2025 की तिथियां

प्रथम सावन सोमवार व्रत- 14 जुलाई

दूसरा सावन सोमवार व्रत- 21 जुलाई

तीसरा सावन सोमवार व्रत- 28 जुलाई

चौथा सावन सोमवार व्रत- 4 अगस्त