जनसंख्या

प्रत्येक वर्ष 11 जुलाई का दिन पूरी दुनिया में विश्व जनसंख्या दिवस के रुप में मनाया जाता है। विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य दुनियाभर में तेजी से बढ़ती जनसंख्या सम्बंधित समस्याओं पर वैश्विक चेतना जागृत करना है। विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर भारत समेत पूरी दुनिया में अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इन कार्यक्रमों के द्वारा लोगों को बढ़ती आबादी के बारे में जागरूक किया जाता है। इस दिन स्कूल, कॉलेज, सार्वजनिक स्थलों और टीवी चैनल पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। जिसमें बढ़ती आबादी के दुष्परिणाम के बारे में लोगों को समझाया जाता है।

क्यों जरुरत पड़ी विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की

जहाँ एक तरफ संसार में प्राकृतिक संसाधन कम होते जा रहे हैं, वहीँ दूसरी तरफ इंसानों की आबादी तेजी से बढ़ती जा रही है। बढ़ती जनसंख्या पूरे विश्व के लिए एक गंभीर समस्या बनती जा रही हैं। खासकर भारत जैसे बड़े देशों के लिए जनसँख्या बढ़ोतरी एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। वर्तमान में भारत आबादी के मामले में दुनिया में चीन के बाद दूसरे नंबर पर है। परन्तु जिस रफ़्तार से हमारे देश की जनसंख्या बढ़ रही है, उसे देखते हुए तो लगता है कि हम बहुत जल्द चीन को पीछे छोड़कर पहले स्थान पर पहुँच जायेंगे जोकि एक गंभीर चिंता का विषय है। आज विश्व की जनसंख्या 7 अरब 63 करोड़ से भी ज्यादा है, जिसमें से अकेले भारत देश की आबादी 1 अरब 35 करोड़ है संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक स्तर पर घटते प्रजनन दर के बावजूद 2050 तक विश्व की आबादी 9.8 अरब हो जाने की उम्मीद है। हर साल करीब 8.3 करोड़ आबादी बढ़ रही है। पूरी दुनिया को लगातार तेजी से बढ़ती आबादी के दुष्परिणामों को गंभीरता समझना और उसके अनुरूप जनसंख्या नियंत्रण के प्रयासों में भागीदारी निभाना जरूरी है।

परिवार नियोजन को समर्पित है वर्ष 2018 का विश्व जनसंख्या दिवस

 परिवार नियोजन एक मानवाधिकार” (Family Planning is a Human Right) है वर्ष 2018 की थीम

वर्ष 2018 का विश्व जनसंख्या दिवस परिवार नियोजन को समर्पित है। इसीलिए वर्ष 2018 के विश्व जनसंख्या दिवस की थीम को “परिवार नियोजन एक मानवाधिकार” (Family Planning is a Human Right) नाम दिया गया हैं। इस थीम को चुने जाने का महत्वपूर्ण कारण यह है कि यह वर्ष परिवार नियोजन को पहली बार मानवाधिकार का दर्जा देने वाली तेहरान घोषणा की 50वीं वर्षगांठ का वर्ष है।

11 जुलाई को ही क्यों मनाया जाता है विश्व जनसंख्या दिवस

11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाने का मुख्य कारण यह है कि 11 जुलाई 1987 को दुनिया में इंसानों की आबादी का आंकड़ा पांच अरब पहुंचा था और तब इसे “फाइव बिलियन डे” माना गया लेकिन बाद में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने जनसंख्या सम्बन्धी मुद्दों पर जागरूकता फ़ैलाने के लिए विश्व जनसंख्या दिवस की नींव रखी गयी। और इस तरह यूएनडीपी की आम सभा ने 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। पहला विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई 1989 को मनाया गया। तभी से प्रत्येक वर्ष एक अलग थीम के साथ 11 जुलाई को विश्व जनसँख्या दिवस के रूप मे मनाया जाता है।

इसे मनाये जाने का उद्देश्य लोगों के बीच जनसंख्या से जुड़े तमाम मुद्दों पर जागरूकता फैलाना है। इसमें लिंग भेद, लिंग समानता, परिवार नियोजन इत्यादि मुद्दे तो शामिल हैं ही, लेकिन यूएनडीपी का मुख्य मकसद इसके माध्यम से महिलाओं के गर्भधारण सम्बन्धी स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर लोगो को जागरूक करना है। भारत जैसे देश के लिए ये और भी अहम् हो जाता है क्योंकि दुनिया की साढ़े सात अरब की आबादी में से लगभग 130 करोड़ लोग भारत में बसते हैं।

क्या है कारण तेजी से बढ़ती जनसंख्या के :

भारत में जनसंख्या बढ़ने का मुख्य कारण अशिक्षा, स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का अभाव और अंधविश्वास हैं। जिसके कारण भारत में संसाधनों का अभाव हो रहा है, भूख और कुपोषण बढ़ रहा है, प्रदूषित गटर और नाले हैं जिनके किनारे बसे लोग लोग अभिशप्त नारकीय जीवन जीने के लिये मजबूर हैं। प्रदूषित होती नदियाँ और खाद्यान्न हैं तथा हड़बड़ी में किये अविवेकीय विकास के साइड इफेक्ट से उपजी वह गरीब तथा अल्पशिक्षित आबादी है जो सही पुर्नवास के अभाव में बरसों से विस्थापन का दंश भोग रही हैं।
विश्व जनसंख्या दिवस हमें याद दिलाता है कि भारत के सुविधा विहीन गरीब परिवारों की राह में जन  सुविधाओं की गम्भीर कमी है। इस आबादी को पीने का साफ पानी, जल जनित एवं पर्यावरण जनित बीमारियों, सेनेटरी सुविधाओं, खुले में शौच की समस्याओं, इलाज की सुविधा, इत्यादि आजीविका के सामने अनेक चुनौतियाँ हैं। यह सन्देश मूलतः तीसरी दुनिया के गरीब देशों और युवाओं को जागरूक तथा सचेत करता है तथा दर्शाता है कि बेतहाशा बढ़ती जनसंख्या के कारण टिकाऊ विकास, शहरीकरण, स्वास्थ्य सुविधाओं तथा युवाओं के लिये रोज़गार उपलब्ध कराने के लिये गम्भीर चुनौती बन रहा है। यह दिवस भारत जैसे देश के लिये बेहद महत्त्वपूर्ण है।