Jet-Airways closed

नई दिल्ली: गंभीर आर्थिक तंगी का सामना कर रही कर रही देश की पहली निजी एयरलाइंस कंपनी जेट एयरवेज ने गुरुवार को आख़िरकार 25 साल बाद अपनी सेवा अस्थायी तौर पर बंद कर दी है। करीब 8 हजार करोड़ रुपये के कर्ज में डूबी जेट एयरवेज को बैंकों से इमरजेंसी फण्ड ना मिलने के बाद यह निर्णय लेना पड़ा। बुधवार को भारतीय स्टेट बैंक की अगुआई वाले बैंकों के कर्जदाता समूह ने जेट को 400 करोड़ रुपये की आपात वित्तीय मदद देने से इनकार कर दिया।

जेट एयरवेज के बंद होने से कंपनी के करीब 20,000 कर्मचारियों का भविष्य अधर में लटक गया है। वर्तमान कंपनी पर कर्जदाताओं के 8 हजार करोड़ रुपये के अलावा कर्मचारियों का तीन महीने से ज्यादा का वेतन, विमान पट्टेदारों का बकाया और रद हुई उड़ानों के एवज में यात्रियों का करोड़ों रुपये का रिफंड भी बकाया भुगतान करना है।

कई महीनो से बिना सैलरी के काम कर रहे कर्मचारियों के पास अब एक मात्र विकल्प बचा है कि किसी तरह कंपनी बिक जाये और उन पैसों से कर्मचारियों का बकाया पैसा चुकाया जाये। इस बीच बुधवार को जेट एयरवेज के सीईओ विनय दूबे ने कर्मचारियों से कहा कि कंपनी की बिक्री में वक्त लगेगा और चुनौतियां और बढ़ सकती हैं, लेकिन उन्हें विश्वास है कि एयरलाइन एक बार फिर उड़ान भरेगी। कंपनी के ज्यादातर कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें तीन से चार महीनों से वेतन नहीं मिला है। जिस वजह से वे लोग  होम लोन की क़िस्त, स्कूल फीस और ट्यूशन फीस आदि नहीं दे पा रहे हैं।


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