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देहरादून: भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (CSIR-IIP) देहरादून में शनिवार को संस्थान द्वारा पेट्रोलियम संरक्षण अनुसंधान संघ(पीसीआरए), नई दिल्ली के वित्तीय सहयोग से विकसित “उन्नत घरेलू पीएनजी बर्नर” की प्रस्तुति, प्रदर्शनी तथा उत्पाद लाइसेंसीकरण करार हस्ताक्षरण संबंधी एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में 40 उद्यमियों ने भाग लिया, इनमें  25 बड़े एलपीजी स्टोव/बर्नर निर्माता भी शामिल थे।

इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आलोक त्रिपाठी, कार्यकारी निदेशक पेट्रोलियम संरक्षण अनुसंधान संघ (पीसीआरए) तथा सुरेंद्र प्रताप, निदेशक (अनुसंधान एवं विकास), पीसीआरए विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। एके जैन प्रमुख, ट्राइबोलॉजी एवं दहन तथा अनुसंधान योजना एवं परियोजना मॉनिटरन।

इस अवसर पर सीएसआईआर- IIP ने संस्थान की गतिविधियों तथा संस्थान द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों पर एक प्रस्तुति दी। उन्होंने इस कार्यक्रम के महत्त्व बताते हुए कहा कि यह कार्यक्रम अपने आप में अद्वितीय और ऐतिहासिक है तथा इसकी सार्थकता इसी से स्पष्ट है कि सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, संस्थान द्वारा विकसित एक जनोपयोगी उत्पाद का प्रस्तुति, चर्चा तथा लाइव प्रदर्शनी के उपरांत आज पहली बार प्रदर्शनी स्थल पर ही कई उद्यमियों को लाइसेंस भी प्रदान कर रहा है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया सीएसआईआर-IIP द्वारा पेट्रोलियम क्षेत्र के लिए अरबों डॉलर की प्रौद्योगिकियाँ का वाणिज्यीकरण किया गया है। परन्तु आज यह गर्व, प्रसन्नता एवं संतोष का अवसर है। क्योंकि कि आज हम संस्थान द्वारा विकसित इस जनोपयोगी ‘उन्नत घरेलू पीएनजी बर्नर’  को राष्ट्र एवं इसके नागरिकों को व्यापक उपयोगार्थ समर्पित कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अब हर उस व्यक्ति को यह विशिष्ट पीएनजी बर्नर प्राप्त हो सकेगा,  जो अब तक पीएनजी के लिए एक अनुरूपांतरित एलपीजी बर्नर का प्रयोग करता था। इसके अतिरिक्त अनुरूपांतरित बर्नर उष्मीय दक्षता में 20 से 30% तक कम होने के कारण ईंधन का नुकसान करता है। और फ्लेम लिफ्ट तथा फ्लैशबैक की संभावना के कारण जोखिमकारी भी है।domestic-png-burner

मुख्य अतिथि आलोक त्रिपाठी ने सभी उद्यमियों का स्वागत करते हुए उन्हें यह बताया कि पेट्रोलियम संरक्षण अनुसंधान संघ ने अपने शोध में पाया है कि वैज्ञानिक रूप से तथा विधिपूर्वक डिजाइन किए गए एक उपयुक्त पीएनजी बर्नर की तुलना में अनुरूपांतरित एलपीजी बर्नर की उष्मीय दक्षता 20 से 30% तक कम पाई गई है। इसलिए संघ द्वारा CSIR-IIP, जो औद्योगिक तथा घरेलू ईंधन एवं दहन समाधान उपलब्ध कराने के क्षेत्र में एक अग्रणी संस्थान है,  को यह प्रायोजित परियोजना सौंपी गई। आलोक त्रिपाठी ने कहा कि भारत ऊर्जा की खपत की दृष्टि से विश्व में चौथे स्थान पर है तथा ऊर्जा की मांग में निरंतर वृद्धि हो रही है। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि क्योंकि संपूर्ण राष्ट्र में शहरी गैस वितरण प्रणाली प्रारंभ हो चुकी है अतः इसके मद्देनजर एक दक्ष एवं उन्नत पीएनजी बर्नर की अत्यधिक आवश्यकता थी।csir-iip-dehradun

डॉ। अंजन रे, निदेशक, सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान ने अतिथियों का स्वागत करते हुये कहा कि उन्नत पीएनजी बर्नर के लाइसेंसीकरण का यह कार्यक्रम पूरे भारत में एलपीजी के स्थान पर पीएनजी गैस प्रणाली के स्थापन में बहुत सहयोगी होगा। इससे एलपीजी, जिसकी वर्तमान में आपूर्ति सीमित है को ग्रामीण अथवा ऐसे दूर-दराज इलाकों में जहां पीएनजी वितरण नेटवर्क स्थापित करना संभव नहीं है एलपीजी सिलेंडर के माध्यम से पहुंचाया जा सकेगा। एके जैन ने उद्यमियों के साथ उत्पाद लाइसेंसीकरण करार की जानकारी साझा की तथा इस पर चर्चा की और सभी उद्यमियों ने एक स्वर में इस उन्नत अत्याधुनिक घरेलू पीएनजी बर्नर प्रौद्योगिकी की विशेषताओं एवं इससे होने वाले लाभ की सराहना की। ध्यातव्य है कि सीएसआईआर-IIP द्वारा इस प्रौद्योगिकी के लिए पेटेंट फाइल किया गया है। एलपीजी उपकरणों के बड़े निर्माता 25 मुख्य उद्यमियों ने 15 मार्च 2019 को इस उत्पाद के लिए उत्पाद लाइसेंसीकरण करार पर हस्ताक्षर किए तथा संस्थान द्वारा इस अवसर पर लाइसेंस शुल्क में दी जा रही विशेष 50% की छूट का लाभ भी लिया। सीएसआईआर- IIP द्वारा लाइसेंस प्राप्त उद्यमियों के द्वारा बनाए एवं बेचे जाने वाले प्रति स्टोव पर नाममात्र रॉयल्टी रखी गई है।

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