नई दिल्ली : अजीत डोभाल को एक बार फिर से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) बनाया गया है। वहीं डॉ. पीके मिश्रा को भी दोबारा प्रधानमंत्री का प्रधान सचिव नियुक्त किया गया है। मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद यह तीसरी बार है जब अजीत डोभाल को यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। साल 2014 में पीएम मोदी द्वारा अजीत डोभाल को पहली बार देश का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया था। तब से डोभाल ही इस पद को संभाल रहे हैं।

क्या होता है एनएसए का काम

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार देश की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का नेतृत्व करते हैं, जिनका मुख्य काम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर प्रधानमंत्री को सलाह देना होता है। एनएसए का यह पद पहली बार 1998 में तब बनाया गया था जब देश में दूसरी बार परमाणु परीक्षण किए गए थे। सरकार में यह काफी अहम पद होता है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भारत के वरीयता क्रम में सातवें स्थान पर होता है और उसे केंद्रीय कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त होता है।

“राष्ट्रीय सुरक्षा से तात्पर्य राष्ट्र की भौतिक अखंडता और भू-भाग को सुरक्षित रखने की क्षमता से है; शेष विश्व के साथ उचित शर्तों पर अपने आर्थिक संबंधों को बनाए रखने की क्षमता से है; अपनी प्रकृति, संस्था और शासन को बाहरी व्यवधान से बचाने की क्षमता से है; तथा अपनी सीमाओं को नियंत्रित करने की क्षमता से है।

अजीत डोभाल के बारे में

अजीत डोभाल का जन्म 1945 में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के घीरी (बनेलस्यूं) गांव में हुआ था। अजीत डोभाल के पिता मेजर जीएन डोभाल भारतीय सेना में अधिकारी थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजस्थान के अजमेर स्थित अजमेर मिलिट्री स्कूल में प्राप्त की। उन्होंने 1967 में आगरा विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की।

पुलिस और खुफिया करियर

अजीत डोभाल 1968 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वे 1968 में केरल कैडर में कोट्टायम जिले के सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) के रूप में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में शामिल हुए। वह पंजाब में उग्रवाद विरोधी अभियानों में सक्रिय रूप से शामिल थे । केंद्रीय सेवा में शामिल होने से पहले, डोभाल ने 1972 में कुछ महीनों के लिए केरल के थालास्सेरी में काम किया था। आईबी प्रमुख रहे डोभाल 31 मई 2014 को प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने थे। डोभाल 1972 में इंटेलिजेंस ब्यूरो में शामिल हुए थे। अपनी 46 साल की सर्विस में उन्होंने सिर्फ 7 साल ही पुलिस की वर्दी पहनी क्योंकि डोभाल का ज्यादातर समय देश के खुफिया विभाग में बीता है, इसीलिए डोभाल का करियर भी उतना ही करिश्माई रहा है, जितना पहली नजर में वह सामान्य नजर आते हैं। अजीत डोभाल एक ऐसे शख्स हैं जिन्हें देश की आंतरिक और बाहरी दोनों ही तरह की खुफिया एजेंसियों में लंबे समय तक जमीनी स्तर पर काम करने का बड़ा अनुभव है। वह इंटेलिजेंस ब्यूरो के चीफ रह चुके हैं।

कीर्ति चक्र से सम्मानित हो चुके डोभाल

अजीत डोभाल को तेज तर्रार अधिकारी माना जाता है। उनकी विशिष्ट सेवाओं के लिए उन्हें 1988 में कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया, जो आम तौर पर वीरता के लिए सशस्त्र बलों को दिया जाता है। इसके अलावा वह भारतीय पुलिस पदक पाने वाले सबसे कम उम्र के अधिकारी थे। वह विवेकानंद के गैर-सरकारी संगठन की एक शाखा विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के निदेशक रहे हैं। पीएम मोदी का अजीत डोभाल पर भरोसा यूं ही नहीं है। अजीत डोभाल ने कई अहम मौके पर अपनी काबिलियत को दर्शाया है। जब भी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा हो या कोई संकट की स्थिति हो तो पीएम मोदी को अपना ‘ब्रह्मास्त्र’ डोभाल ही याद आते हैं।

पीके मिश्रा बने रहेंगे प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह जिम्मेदारी पीके मिश्रा ही संभालते रहेंगे। केंद्रीय कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने अजीत डोभाल और पीके मिश्रा की पुनर्नियुक्ति पर मुहर लगा दी है। आईएएस (सेवानिवृत्त) पीके मिश्रा को 10 जून 2024 से प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के रूप में नियुक्त किया गया। पीके मिश्रा 1972 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह पिछले 1 दशक से प्रधानमंत्री मोदी के साथ प्रधान सचिव के तौर पर काम कर रहे हैं।

पीके मिश्रा प्रशासनिक मामले और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में नियुक्तियों का काम देखेंगे। इसके अलावा अजीत डोभाल राष्ट्रीय सुरक्षा, सैन्य मामले और इंटेलिजेंस की जिम्मेदारी संभालेंगे।