शंभू नाथ गौतम
फिर एक बार वैसे ही हुआ जैसा एक साल से होता आया है। पार्टी में बैठकों से पहले हर बार बड़े बदलाव की बातें कही जाती है। लेकिन आखिर में निकल कर कुछ नहीं आता। बात वहीं आकर ‘अटक’ जाती है। हम बात कर रहे हैं देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार शाम ‘संसदीय रणनीति समूह’ की एक अहम बैठक वर्चुअल माध्यम से आयोजित की। इससे पहले कहा जा रहा था ये बैठक कई मायने में महत्वपूर्ण होगी और संसद के मानसून सत्र से पहले हाईकमान पार्टी के भीतर ‘बदलाव’ करने का ‘मूड’ बना लिया है। जिसको लेकर कांग्रेस नेताओं के साथ भाजपा भी बुधवार सुबह से ही ‘निगाहें लगाए हुए थी। ‘पहले अटकलें थी कि मानसून सत्र के दौरान कांग्रेस, मोदी सरकार को घेरने के लिए लोकसभा में एक ‘नए नेता’ को सामने ला सकती है, इसके अलावा पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह-नवजोत सिंह सिद्धू, राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच जारी खींचतान पर गांधी परिवार कोई फैसला नहीं कर सका’। वहीं महाराष्ट्र में भी एनसीपी और शिवसेना के बीच गठबंधन को लेकर बढ़ रहे गतिरोध को रोकने के लिए कोई ‘पहल’ नहीं की गई। जबकि एनसीपी प्रमुख शरद पवार विपक्ष के नेता बनने के लिए ‘आतुर’ हैं। ‘शिवसेना के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ नेता संजय राउत कई बार मोदी सरकार से टक्कर लेने के लिए कांग्रेस का कमजोर नेतृत्व बता शरद पवार का गुणगान करते चले आ रहे हैं’। ऐसे ही उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के बदलाव को लेकर भी कांग्रेस हाईकमान कोई आदेश जारी नहीं कर सका। जबकि उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने में आठ महीने का समय बचा है। ‘पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत प्रदेश की बागडोर संभालने के लिए अपनी इच्छा जता चुके हैं लेकिन आलाकमान पशोपेश में फंसा हुआ है। इसके अलावा पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष को लेकर भी बात ‘जस की तस’ बनी रही। कांग्रेस पार्टी में राहुल गांधी की भूमिका को लेकर इस बार भी ‘सस्पेंस’ बना रहा। राहुल पार्टी की ‘कमान’ संभालेंगे या नहीं, इस पर भी आलाकमान फिर ‘उलझा’ रहा। ‘सबसे बड़ा सवाल यह है कि कांग्रेस के शीर्ष नेता कुछ वर्षों से क्यों नहीं बड़े फैसले कर पा रहे हैं’? कांग्रेस मामलों को सुलझाने के बजाय उलझती जा रही है। तमाम महत्वपूर्ण फैसले हर बार की तरह ‘पेंडिंग’ में ही अटकाए जा रहे हैं।
कांग्रेस पार्टी के भीतर बदलाव को लेकर फिर एक राय नहीं बन सकी
अहम बात यह रही कि कयासों के विपरीत इस बैठक के दौरान लोकसभा में कांग्रेस दल में बदलाव को लेकर कोई बात नहीं हुई। ‘पहले चर्चा थी कि राहुल गांधी को लोकसभा में पार्टी का नेता बनाया जाए जा सकता है, लेकिन इस पर भी पार्टी क भीतर एक राय नहीं बन सकी’। ‘फिलहाल पश्चिम बंगाल से सांसद अधीर रंजन चौधरी ही लोकसभा में कांग्रेस के नेता बने रहेंगे’। हर बार की तरह इस बार भी कांग्रेस की पार्लियामेंट्री स्ट्रेटजी ग्रुप की वर्चुअल बैठक बिना किसी समाधान के खत्म हो गई। 19 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र में कांग्रेस के नेता संसद में मोदी सरकार को घेरने के लिए आम मुद्दों, कोरोना टीका की धीमी रफ्तार, पेट्रोल, डीजल के बढ़ते दाम बेरोजगारी, राफेल सौदे की जेपीसी जांच और कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों के आंदोलन पर ही अपनी सहमति ही बना सके। इसके अलावा राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को अन्य दलों से बात करने की जिम्मेदारी दी गई। ‘आखिर में एकजुटता का संदेश लेकर कांग्रेस के रणनीतिकारों ने बैठक इतिश्री कर दी’, मोदी सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस के टॉप लीडर इस बार भी कोई ठोस रणनीति नहीं बना सके और माथापच्ची में उलझे रहे’ । बता दें कि सोनिया गांधी की अध्यक्षता में बुलाई गई कांग्रेस पार्लियामेंट्री स्ट्रेटजी ग्रुप की बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, एके एंटनी, राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राज्यसभा में उपनेता विपक्ष आनंद शर्मा, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, केसी वेणुगोपाल, के सुरेश, जयराम रमेश, मनीष तिवारी और गौरव गोगोई मौजूद थे। दूसरी ओर भाजपा ने मानसून सत्र से पहले अपने आप को ‘चुस्त-दुरुस्त’ कर लिया है। बीजेपी ने कैबिनेट विस्तार से लेकर राज्यसभा में अपना नेता तक चुन लिया। बता दें कि बुधवार को कांग्रेस की बैठक से पहले ही भाजपा ने राज्यसभा में पीयूष गोयल को अपना नेता घोषित कर दिया। दरअसल थावरचंद गहलोत को कर्नाटक का राज्यपाल नियुक्त किए जाने के बाद से राज्यसभा में यह सीट खाली थी, जिस पर गोयल को लाया गया है। यहां हम आपको बताते हैं कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के केंद्र सरकार से चाहे कैसे भी संबंध क्यों न हो लेकिन तृणमूल कांग्रेस के नेताओं से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के संबंध अच्छे बताए जाते हैं। इसी को लेकर राज्यसभा में भाजपा के रणनीतिकारों ने टीएमसी नेताओं को बैलेंस बनाने के लिए पीयूष गोयल को सामने खड़ा कर दिया है।