जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी सुप्रीमो महबूबा मुक्ति अपने बयानों की वजह से चर्चा में रहती हैं। अब वह मंदिर जाने पर भाजपा और मौलाना के निशाने पर आ गई हैं। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने पिछले दिनों पुंछ जिले की अपनी यात्रा के दौरान नवग्रह मंदिर में पूजा-अर्चना की। उन्होंने पूरे मंदिर का चक्कर लगाया और शिवलिंग का जलाभिषेक भी किया। उन्होंने मंदिर परिसर में बनी यशपाल शर्मा की प्रतिमा पर भी पुष्पवर्षा की परन्तु, बीजेपी ने मुफ्ती की मंदिर यात्रा को ‘नौटंकी’ बताते हुए निशाना साधा है।
जम्मू-कश्मीर के भाजपा प्रवक्ता रनबीर सिंह पठानिया ने कहा कि 2008 में महबूबा और उनकी पार्टी ने अमरनाथ धाम के लिए जमीन के अलॉटमेंट का विरोध किया था। श्रद्धालुओं के लिए इस जमीन पर निवास स्थान बनाए जाने थे। अब उनका मंदिर जाना केवल एक ड्रामा है। इससे उन्हें कुछ हासिल नहीं होगा। अगर राजनीतिक ड्रामों से कुछ हासिल होता तो जम्मू-कश्मीर आज समृद्धि का बाग बन गया होता।
राज्य के वरिष्ठ भाजपा नेता कविंद्र गुप्ता ने कहा, मैं भी मंदिर का दर्शन करके आया हूं लेकिन खबर महबूबा बनीं क्योंकि वह कुछ अलग कर रही हैं। जाहिर है कि चुनाव नजदीक आने पर वे लोग इस तरह का ड्रामा और दिखावा करने लगते हैं। अगर ये लोग वास्तव में राज्य का भला करना चाहते हैं तो इन्हें देश एवं जम्म-कश्मीर के हित में काम करना चाहिए।
वहीँ देवबंद के मौलाना असद कासमी ने महबूबा के मंदिर जाने और वहां शिवलिंग पर जल चढ़ाने का विरोध किया है। कासमी ने कहा- महबूबा ने जो किया, वह गलत है। यह इस्लाम के खिलाफ है। इससे पहले पुंछ जिले में महबूबा मुफ्ती ने जनसभा को संबोधित करते हुए केंद्र सरकार और बीजेपी पर जमकर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि बीजेपी का मकसद देश को हिंदू राष्ट्र बनाने का नहीं, बल्कि ‘भाजपा राष्ट्र’ बनाने का है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी भारत को ‘बीजेपी राष्ट्र’ बनाने के लिए विपक्षी दलों पर कथित हमले कर रही है, जिस पर उनकी पार्टी चुप नहीं बैठेगी।
वहीं दूसरी ओर महबूबा मुफ्ती ने पूजा के बाद कहा था, ‘यह मंदिर यशपाल शर्मा और उनके बेटे ने बनवाया था। महबूबा मुफ्ती ने पुंछ के नवग्रह मंदिर में पूजा करने को लेकर सफाई पेश की है। मामला बढ़ने पर मुफ्ती ने कहा कि, यह मंदिर यशपाल शर्मा ने बनवाया था और उनका बेटा चाहता था कि मैं मंदिर के अंदर जाऊं। इसके बाद किसी ने मुझे पानी से भरा बर्तन दिया। तो मना करना गलत होता इसलिए मैंने पूजा की। मुफ्ती ने कहा कि अगर इतनी श्रद्धा से आपके हाथ में पूजा के लिए कोई चीज देता है तो आप कैसे किसी को मना कर सकते हैं? साथ ही साथ महबूबा ने कहा कि हमारा देश एक धर्मनिरपेक्ष देश है। यहां की तहजीब गंगा जमुनी है।
मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी महबूबा मुफ्ती ने साल 1996 में शुरू की सियासी पारी
बता दें कि साल 1996 में कांग्रेस में शामिल हो अपना सियासी सफर शुरू करने वाली महबूबा ने राजनीति का ककहरा पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद से सीखा। उन्होंने पहला चुनाव बिजबेहरा विधानसभा सीट से जीता। कांग्रेस नेताओं से पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद के अच्छे संबंधों के चलते महबूबा राज्य विधानसभा में नेता की विपक्ष बन गईं। 1999 में महबूबा ने कांग्रेस छोड़ दी। नवगठित जम्मू-कश्मीर डेमोक्रेटिक पार्टी की वो उपाध्यक्ष बनीं। 1999 का लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया, लेकिन उमर अबदुल्ला से चुनाव हार गईं। 2002 में राज्य विधानसभा चुनाव में वे पहलगाम से चुनाव जीतीं। 2004 में महबूबा मुफ्ती कांग्रेस गठबंधन सरकार का हिस्सा बनीं और लोकसभा चुनाव में भी जीत गईं।
कश्मीर में महबूबा मुफ़्ती ‘डैडी गर्ल’ के नाम से मशहूर है, उन्हें राजनीति पिता से विरासत के रूप में मिली है। उनके पिता मुफ़्ती मोहम्मद सईद 2002 से 2005 के दरमियान जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री थे। सन 1989 में वीपी सिंह सरकार में वे भारत के गृहमंत्री बनाए गए थे। गौरतलब है कि महबूबा की बहन रुबिया सईद को आतंकियों ने किडनैप किया था। आतंकियों ने इस किडनैपिंग को तब अंजाम दिया था, जब उनके पिता मुफ़्ती मोहम्मद सईद गृहमंत्री थे। यह घटना 1989 की है। तब रुबिया मेडिकल कॉलेज में पढ़ रही थी। रुबिया जब कॉलेज की बस से घर लौट रही थी, तब उन्हें बीच रास्ते में आतंकियों ने नोवगाम से बंदूक की नोंक पर किडनैप कर लिया था।
किडनैपिंग के लिए आतंकियों ने एक सफेद मारुति 800 कार का इस्तेमाल किया था। रुबिया को अगवा करने के बाद भारत सरकार से आतंकियों ने उनके पांच साथियों को रिहा करने की मांग की थी। इन पांच आतंकियों में जेकेएलएफ के कमांडर शेख अब्दुल हमीद, गुलाम नबी बट, नूर मोहम्मद कलवल, मोहम्मद अल्ताफ, जावेद अहमद जरगर शामिल थे। महबूबा मुफ्ती ने 1996 में विधानसभा चुनाव जीतकर राजनीति में कदम रखा। उन्होंने 2004 में अनंतनाग निर्वाचन क्षेत्र से संसद के निचले सदन के लिए चुने जाने से पहले लगातार दो बार कश्मीर के विधायक के रूप में कार्य किया। 2014 में फिर से वो सांसद बनीं। इसके बाद 2016 में अपने पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद वो जम्मू-कश्मीर की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। उन्होंने दो साल तक सरकार चलाई, लेकिन 2018 में जब भाजपा ने समर्थन वापस लिया तो उनको इस्तीफा देना पड़ा।