चन्द्रकुँवर बर्त्वाल के रचना संसार से गुजरना और उसे जन-जन में प्रचारित एवं प्रसारित कर अनेक साहित्यिक, सांस्कृतिक मंचों से नयी पीढी के लोगों तक पहुंचना। यह अपने आप में बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य है। जिसे आज के समय में कई संस्थाएं और लोग कर रहे है। उक्त विचार हिमवंत कवि चन्द्रकुँवर बर्त्वाल जन्म शताब्दी समारोह के अवसर में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. श्याम सिंह ‘शशि’ ने व्यक्त किए।
शनिवार को नई दिल्ली के ‘गढ़वाल भवन’ मे एक भव्य साहित्यिक सम्मान समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम में गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद रहे। जबकि दिल्ली संस्कृत तथा हिन्दी अकादमी में सचिव डॉ. जीत राम भट्ट, दिल्ली हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय शर्मा दरमोड़ा एवं डीपीएमआई के अध्यक्ष डॉ. विनोद बछेती इस साहित्यिक समारोह में विशिष्ट अतिथि रूप में मौजूद रहे।
इस मौके पर सर्वप्रथम हिमवंत कवि स्वर्गीय चन्द्रकुँवर बर्त्वाल के छाया चित्र पर देश भर से समरोह में आए लेखक, पत्रकार एवं संस्कृतिकर्मियों माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रधांजलि दी गई।
चन्द्रकुँवर बर्त्वाल सम्मान से सम्मानित व्यक्तितत्वों को शुभकामनाएं देते हुए डाक्टर श्याम सिंह शशि ने कहा कि चंद्र कुँवर बर्त्वाल के काव्य में वेदना की गहरी गम्भीर धारा उसके अंतरतम में प्रवाहित हुई हैं। उनकी कविता वेदना के अभाव में जी नहीं सकती। इस लिए बर्त्वाल के रचना संसार पर समय-समय पर इस तरह के आयोजन किए जाने चाहिए। डॉ. शशि ने हिमवंत कवि चन्द्रकुँवर बर्त्वाल जन्म शताब्दी समारोह का भव्य आयोजन के लिए आयोजन समिति को बधाई दी।
समाजसेवी संजय शर्मा दरमोड़ा ने स्व. चन्द्रकुँवर बर्त्वाल की छात्र जीवन के दौरान अपने पिता को लिखी चिट्ठी का जिक्र करते हुए सभागार में उपस्थित श्रोताओं को मात्र 28 वर्ष की अल्पायु में इस संसार को छोड़कर चले गए प्रकृति के कवि स्वर्गीय चन्द्रकुँवर बर्त्वाल के जीवन के कुछ अनसुने पहलुओं से अवगत कराया.
इस दौरान साहित्यकार पृथ्वी सिंह केदारखंडी के गढ़वाली काव्य संग्रह “धार मा कु गौं छ म्यारु” का लोकार्पण किया गया। साथ ही सार्वभौमिक संस्था की सार्वभौमिक संस्था की टीम द्वारा पहाड़ से पलायन पर चोट करती हुई एक लघु नाटिका “अब क्या होलु” का भी खूबसूरत मंचन किया गया।
इस मौके पर हिमवंत संस्था द्वारा उत्तराखंड के हिंदी एवं गढ़वाली साहित्यकार, समाज सेवी, कवि एवं पत्रकारिता से जुड़ी 20 व्यक्तित्वों को हिमवंत कवि चन्द्रकुँवर बर्त्वाल के नाम से विभिन्न सम्मानों से समानित किया गया।
हिमवंत कवि चंद्र कुँवर बर्त्वाल सम्मान से सम्मानित व्यक्तित्व
- चंद्र कुँवर बर्त्वाल राष्ट्रीय साहित्य शिरोमणि सम्मान
डॉ. श्याम सिंह ‘शशि’
डॉ. योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण’
2. चंद्र कुँवर बर्त्वाल साहित्य सेवाश्री सम्मान
संदीप रावत (गढ़वाली कवि)
डॉ. लक्ष्मी भट्ट
मदन डुकलाण
कुंज बिहारी मुंडेपी ‘कलजुगी’
कवित्री रामेश्वरी नादान
विजयलक्ष्मी भट्ट शर्मा
डॉ. चंद्रमणि ब्रह्मदत्त
3. चंद्र कुँवर बर्त्वाल समाज सेवी सम्मान
बीएन शर्मा
मनमोहन बुडाकोटी
डॉ. अंजली थपलियाल कौल
गीता रौतेला
खेमेंद्र सिंह
कुसुम असवाल
अजय सिंह बिष्ट
4. चंद्र कुँवर बर्त्वाल मेघदूत सम्मान
प्रदीप वेदवाल
जगमोहन आज़ाद
जगमोहन जिज्ञासु
दीप सिलोड़ी
इस अवसर पर हिमवंत कवि सम्मलेन का आयोजन भी किया गया। जिसमें कवि गिरीश चन्द्र बिष्ट ‘हंसमुख’, पृथ्वी सिंह केदारखंडी, जगमोहन जयाड़ा, सुरेन्द्र रावत ‘लाटा’ नीरज ‘बवाड़ी’, नरेन्द्र नीहार, रमेश कुमार गंगेले, लोकेन्द्र कैंथुरा आदि ने अपनी कविताओं से सभागार ने उपस्थित लोगों का मनोरंजन किया।