शंभू नाथ गौतम
विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में जातियों को रिझाने के लिए राजनीतिक दलों ने नया ‘ट्रेंड’ शुरू कर दिया है। वैसे नेताओं के चुनाव में जाति व्यवस्था को दूर रखने के लिए लंबे-चौड़े भाषण दिए जाते हैं। लेकिन यह सब बातें एक ‘मंच’ तक ही सीमित रह जाती हैं। ‘देश में उत्तर प्रदेश और बिहार दो ऐसे राज्य हैं जहां सबसे अधिक चुनावों में नेताओं का जातियों पर ही फोकस रहता है’। अभी यूपी विधानसभा चुनाव होने में करीब छह महीने का समय बचा है लेकिन एक बार फिर से अलग-अलग जाति के मतदाताओं को लुभाने के लिए ‘स्टेज’ सजा लिए हैं। ‘सपा, बसपा और कांग्रेस तीनों ही दल वोट बैंक को साधने में जुटे हैं’। जिसकी शुरुआत बसपा सुप्रीमो मायावती ने की।
मायावती 23 जुलाई से यूपी में ब्राह्मणों को अपने पाले में मिलाने के लिए सम्मेलन करने में जुटी हुईं हैं। बसपा के बाद समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव भी 5 अगस्त से ब्राह्मण सम्मेलन की शुरुआत करने जा रहे हैं। बसपा और सपा के बाद कांग्रेस भी अब मैदान में कूद गई है। लेकिन कांग्रेस पार्टी ब्राह्मणों को नहीं बल्कि दलित वोटर्स को अपनी ओर लाने की तैयारी शुरू कर दी है।
बता दें कि कांग्रेस 3 अगस्त को राज्य में ‘दलित स्वाभिमान यात्रा’ का आगाज करने जा रही है। यूपी के सभी जिलों में शुरू होने वाली इस यात्रा में कांग्रेसी कार्यकर्ता और पदाधिकारी राज्य में दलितों से जुड़े मुद्दों को उठाते हुए योगी सरकार से सवाल करेंगे। स्वाभिमान यात्रा के दौरान पार्टी के कार्यकर्ता राज्य के भीतर हो रहे दलित उत्पीड़न के मुद्दे को उठाने का काम करेंगे। पार्टी की ओर से राज्य सरकार को अगले 10 दिनों में दलित उत्पीड़न रोकने के लिए ठोस कदम उठाने को लेकर अल्टीमेटम दिया जाएगा।
विधानसभा चुनाव से पहले बसपा के दलित वोटों पर कांग्रेस और सपा की नजर
बता दें कि मायावती इन दिनों यूपी में ब्राह्मणों को लुभाने में लगी हुई हैं, इसका पूरा फायदा कांग्रेस ने उठाया। दलित वोटरों को साधने के लिए कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने नया सियासी दांव चल दिया है। कांग्रेस पार्टी जान रही है कि मायावती से पिछले दो विधानसभा चुनाव 2012, 2017 में दलित वोटर उससे लगातार दूर होता चला गया।
यहां हम आपको बता दें कि पिछले काफी समय से कांग्रेस की नजर बसपा के दलित वोटों पर है। ‘दलित मुद्दों को कांग्रेस और प्रियंका गांधी आक्रमक तरीके से उठा रही हैं। सोनभद्र नरसंहार से लेकर हाथरस और आजमगढ़ सहित तमाम दलित समुदाय के मामलों में प्रियंका गांधी आक्रामक रहीं और घटनास्थल पर पहुंचकर योगी सरकार को घेरने का काम किया है’। इतना ही नहीं प्रियंका गांधी आरोप लगातीं रहीं हैं कि मायावती विपक्ष के तौर पर नहीं बल्कि बीजेपी के प्रवक्ता के तौर पर काम कर रही हैं।
वहीं यूपी में भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर भी बसपा के दलित वोटरों पर नजर लगाए हुए हैं। दूसरी ओर अखिलेश सत्ता में वापसी के लिए हरसंभव कोशिशों में जुटे हुए हैं। ऐसे में उनकी नजर बसपा के असंतुष्ट नेताओं को जोड़ने के साथ-साथ मायावती के कोर वोटबैंक दलित समुदाय पर भी है, जिसके सहारे अपनी चुनावी वैतरिणी पार लगाना चाहते है। हालांकि ‘अभी कांग्रेस की 3 अगस्त को यूपी में निकाली जाने वाली दलित स्वाभिमान यात्रा को लेकर मायावती का कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन इतना तो तय है कि कांग्रेस के इस नए दलित दांव पर मायावती और प्रियंका गांधी के बीच तल्खी जरूर बढ़ गई है’।