तुर्की और सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप से अब तक 8 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। मलबे से अभी भी शवों का निकलना जारी है। दोनों देशों के कई शहरों में तबाही का मंजर है। भारत समेत तमाम देशों ने तुर्की और सीरिया में राहत सामग्री भेजी है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन का कहना है कि मौत का आंकड़ा 20 हजार के पार जा सकता है। मलबे में कई बच्चे दबे हुए हैं। रेस्क्यू टीम ने कई बच्चों को 24 घंटे बाद सुरक्षित निकाल भी लिया है।
तुर्की में 5,894 लोगों ने अपनी जान गंवाई है, जबकि 34,810 लोग घायल हैं। वहीं विद्रोहियों के नियंत्रण वाले सीरिया में 1,220 लोगों की जान गई है। जबकि सीरिया में सरकार नियंत्रित इलाकों में 812 लोगों की मौत हुई है। तुर्की में भूकंप से करीब 6000 इमारतें तबाह हो गई हैं। जबकि सीरिया में 400 इमारतें पूरी तरह से जमींदोज हो गईं, जबकि 1220 से ज्यादा इमारतों को नुकसान पहुंचा है।
भूकंप में तुर्की की ऐतिहासिक मस्जिद भी तबाह हो गई। तुर्की के मालाटया शहर में स्थित यह ऐतिहासिक येनी कैमी मस्जिद खंडहर में तब्दील हो गई। यह मस्जिद 100 साल से अधिक पुरानी थी लेकिन भूकंप से यह तहस-नहस हो गई है। इससे 100 सालों का इतिहास जुड़ा हुआ है, जो अब मलबे में दब गया। सभी स्कूलों को 13 फरवरी तक बंद कर दिया गया। इतना ही नहीं सभी सरकारी इमारतों को शेल्टर होम बनाया गया है।
तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब इरदुगान ने बताया कि अब तक 70 देश और 14 अंतरराष्ट्रीय संगठन मदद के लिए आगे आए हैं। उन्होंने कहा कि यह तुर्की ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए बड़ी आपदा है। तुर्की में 10000 कंटेनर को शेल्टर बनाने की तैयारी की गई है।
बता दें कि तुर्की और सीरिया में 6 फरवरी को सुबह 3 बड़े भूकंप आए थे। तुर्की के वक्त के मुताबिक, पहला भूकंप सुबह करीब चार बजे (7.8), दूसरा करीब 10 बजे (7.6) और तीसरा दोपहर 3 बजे (6.0) आया। इसके अलावा 243 आफ्टर शॉक्स भी दर्ज किए गए। इनकी तीव्रता 4 से 5 रही। तुर्किये में 7 फरवरी सुबह 8.53 पर फिर भूकंप आया। इसके बाद दोपहर 12.41 बजे 5.4 तीव्रता का भूकंप आया।