Badal returned Padma awards against agricultural laws

Farmers’ movement: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन लगातार आठवें दिन भी जारी है। किसानों और सरकार के बीच बातचीत जारी है। इसबीच कृषि कानूनों के खिलाफ अवॉर्ड वापसी का सिलसिला भी शुरू हो गया है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और अकाली दल के वरिष्ठ नेता प्रकाश सिंह बादल ने कृषि कानूनों के विरोध में अपना पद्म विभूषण सम्मान वापस कर दिया है। वहीँ राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींडसा ने भी पद्म विभूषण सम्मान वापस देने का एलान किया। इसके अलावा पूर्व हॉकी ओलम्पियन और टीम इंडिया के पूर्व कप्तान परगट सिंह ने भी पद्म सम्मानों को लौटाने की घोषणा की। पंजाबी मूल के कई खिलाड़ी और कलाकार किसान आंदोलन को अपना समर्थन दे चुके हैं।

प्रकाश सिंह बादल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को करीब तीन पन्ने की चिट्ठी लिखते हुए कृषि कानूनों का विरोध किया, किसानों पर एक्शन की निंदा की और इसी के साथ अपना सम्मान वापस दिया। प्रकाश सिंह बादल ने लिखा कि किसानों के साथ जिस तरह का धोखा किया गया है, उससे उन्हें काफी दुख पहुंचा है। किसानों के आंदोलन को जिस तरह से गलत नजरिये से पेश किया जा रहा है, वो दर्दनाक है।

इससे पहले भी बादल परिवार की ओर से कृषि कानूनों का बड़ा विरोध किया गया था। हरसिमरत कौर बादल ने केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था और केंद्र के नए कानूनों को किसानों के साथ बड़ा धोखा बताया था। सिर्फ इतना ही नहीं सुखबीर बादल ने अकाली दल के NDA से अलग होने का ऐलान करते हुए पंजाब के चुनावों में अकेला लड़ने की बात कही थी।

किसानों को मनाने के लिए सरकार की ओर से लगातार बातचीत की जा रही है। अबतक चार दौर की चर्चा हो चुकी है, लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। वहीँ इसपर सियासत भी तेज हो गई है। इधर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने किसान आंदोलन के समर्थन में अपना पद्म विभूषण सम्मान लौटा दिया है। तो उधर पंजाब के वर्तमान मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की है।

किसानों के आंदोलन के चलते आज दिल्ली-नोएडा, दिल्ली-गुरुग्राम की सीमा पर लंबा जाम लगा हुआ है। यहां किसानों का प्रदर्शन लगातार हो रहा है। किसान कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। पंजाब समेत देश के कई राज्यों के किसान इस कानून का विरोध कर रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि किसान और सरकार बातचीत के माध्यम से जल्द से जल्द इसका कोई हल निकालने में सफल होंगे।