Yashpal Sharma passes away

भारत के पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी यशपाल शर्मा का आज हृदयघात के चलते निधन हो गया है। उनके आकस्मिक निधन से विश्व क्रिकेट जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। यशपाल शर्मा भारत को 1983 में पहली बार विश्व कप विजेता बनाने वाली टीम का हिस्सा थे. यशपाल के निधन की खबर सुनकर पूर्व कप्तान कपिल देव भी आंसू नहीं रोक पाए। 66 साल के यशपाल शर्मा का भारतीय क्रिकेट में काफी योगदान रहा। वह टीम इंडिया के चयनकर्ता भी रहे।

यशपाल शर्मा ने अपने करियर में भारत के लिए 37 टेस्ट और 42 वनडे खेले हैं। शर्मा ने अपना आखिरी वनडे साल 1985 में इंग्लैंड के खिलाफ चंडीगढ़ में जबकि आखिरी टेस्ट मैच वेस्टइंडीज के खिलाफ दिल्ली में साल 1983 में खेला था। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 2 शतक के साथ 1606 रन बनाए हैं। जबकि वनडे क्रिकेट में 883 रन दर्ज है। यशपाल शर्मा को आज तड़के दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उनका निधन हुआ। 11 अगस्त 1954 को लुधियाना में जन्मे क्रिकेटर यशपाल शर्मा ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू चिर प्रतिद्वंदी टीम पाकिस्तान के खिलाफ सियालकोट में साल 1978 में किया था। इसके बाद अगले ही साल उन्होंने अपना पहला टेस्ट मैच भी इंग्लैंड के खिलाफ क्रिकेट का मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स के मैदान पर खेला। शर्मा ने अपना आखिरी वनडे साल 1985 में इंग्लैंड के खिलाफ चंडीगढ़ में जबकि आखिरी टेस्ट मैच वेस्टइंडीज के खिलाफ दिल्ली में साल 1983 में खेला था।

यशपाल शर्मा 1983 में भारत के लिए वनडे का पहला विश्व कप जीतने वाली टीम के हीरो रहे थे। ओपनिंग मैच में 89 रन की पारी खेलकर उन्होंने वर्ल्ड कप की पिच पर वेस्ट इंडीज की पहली हार की स्क्रिप्ट लिखी थी। वहीं सेमीफाइनल में 61 रन बनाकर वो टीम के टॉप स्कोरर रहे थे। बॉब विलिस की यॉर्कर जैसी गेंद पर लेग साइड में जमाया उनका छक्का आज भी क्रिकेट इतिहास के यादगार शॉट्स में शुमार है। यशपाल शर्मा ने टेस्ट क्रिकेट में अपना पहला शतक सातवें मैच में लगाया। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दिल्ली में शतक जड़ा। अगले साल उन्होंने कोलकाता के ईडन गार्डंस में शानदार पारी खेली।

भारत के मीडिल ऑर्डर की रीढ़ रहे यशपाल शर्मा का लगभग पूरा जीवन क्रिकेट को समर्पित रहा। क्रिकेट से रिटायर होकर भी वो इस खेल से जुड़े रहे। वो टीम इंडिया के नेशनल सेलेक्टर भी बने। उनका पहला फेज सेलेक्टर की भूमिका में 2003 से दिसंबर 2005 तक का रहा। इसके बाद 2008 में इस रोल में उनकी दोबारा से वापसी हुई। बतौर सेलेक्टर उन्होंने भारतीय क्रिकेट से जुड़े कई अहम फैसलों में अपना योगदान दिया, जिसमें सौरव गांगुली बनाम ग्रेग चैपल विवाद भी शामिल है। टीम इंडिया के सेलेक्टर बनने से पहले उन्होंने कुछ वक्त तक अंपायरिंग भी की।