Himachal Pradesh assembly elections

Himachal Pradesh Assembly Elections : चुनाव आयोग ने हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने बताया कि प्रदेश में 12 नवंबर को चुनाव होगा। वहीं 8 दिसंबर को नतीजों का एलान होगा। आज गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान नहीं किया गया है। ‌चीफ इलेक्शन कमिश्नर राजीव कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि लोग अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकें इसके लिए पिक एंड ड्रॉप की सुविधा दी जाएगी।‌ हालांकि यह सुविधा विशेष परिस्थितियों में ही मिलेगी।

चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि 80 साल से ज्यादा उम्र के लोग, दिव्यांग या कोविड संक्रमित जो वोट देना चाहते हैं लेकिन पोलिंग बूथ तक नहीं आ सकते हैं, आयोग ऐसे वोटरों के घर जाकर उन्हें मतदान करने की सुविधा देगा। हिमाचल विधानसभा का कार्यकाल 8 जनवरी को खत्म हो रहा है। हिमाचल प्रदेश में विधानसभा की कुल 68 सीटें हैं। इनमें 20 सीटें आरक्षित हैं। 17 सीटें अनुसूचित जाति के लिए और 3 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व हैं।

2017 में भाजपा ने पूर्ण बहुमत से जीत दर्ज कर सरकार बनाई थी। चुनाव में भाजपा 44, तो कांग्रेस को 21 सीटों पर जीत मिली थी। एक सीट पर सीपीआईएम और दो सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे। वहीं दूसरी ओर प्रियंका गांधी ने आज सोलन में जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान प्रियंका ने कहा कि जनता को अपने भविष्य के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने बीजेपी पर हमला साधते हुए कहा कि बीजेपी के पास पेंशन के लिए पैसा नहीं है, लेकिन वे उद्योगपतियों का लोन माफ कर रहे हैं। उनके पास युवाओं, महिलाओं को देने के लिए कुछ नहीं है।‌ सरकारी नौकरियां पिछले 5 साल से खाली पड़ी हैं। प्रियंका गांधी ने कहा कि आज मैं दो गारंटी का एलान करती हूं।‌ कांग्रेस की सरकार बनने के बाद पहली कैबिनेट में दो फैसले लिए जाएंगे। पहला एक लाख लोगों को नौकरी दी जाएगी, दूसरा पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) लागू की जाएगी।

उत्तराखंड और यूपी के तरह मिशन रिपीट को लेकर तैयार है भाजपा  

हालाँकि हिमाचल प्रदेश में हर 5 साल बाद सरकार बदलने की परंपरा रही है, लेकिन इस बार मोदी लहर, कांग्रेस की गुटबाजी और अपने काम के नाम पर मिशन रिपीट के लिए भाजपा कमर कसे हुए है। बीजेपी को लगता है कि वह उत्तराखंड और यूपी की तरह ही हिमाचल में भी सरकार बदलने की परंपरा को तोड़ने में सफल होगी। पीएम नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा जैसे नेताओं के दौरे, कसी हुई स्टेट लीडरशिप और कार्यकर्ताओं की सक्रिय टोली उसके लिए बड़ी ताकत है।