Ram Janmabhoomi

नई दिल्ली: देश के सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या में वर्षों से चले आ रहे रामजन्मभूमि/बाबरी मस्जिद विवाद पर आज ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए रामजन्मभूमि न्यास को विवादित जमीन सौंप दी है. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने सर्वसम्मति से विवादित जमीन को रामलला विराजमान की बताया है। इसके साथ ही मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन देने का भी आदेश दिया है. कोर्ट ने केंद्र सरकार को मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने के अन्दर ट्रस्ट बनाने के लिए कहा है.  केंद्र विवादित भूमि को मंदिर निर्माण के लिए बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज को सौंपेगा। मुस्लिमों को अयोध्या में 5 एकड़ की वैकल्पिक जमीन मिलेगी। यह जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को मिलेगी. मुस्लिमों ने इस बात के सबूत पेश नहीं किए कि 1857 से पहले इस स्थल पर उनका कब्जा था। इस बात के सबूत हैं कि अंग्रेजों के आने के पहले से राम चबूतरा और सीता रसोई की हिंदू पूजा करते थे। ASI यह स्थापित नहीं कर पाया कि मस्जिद का निर्माण मंदिर को ध्वस्त कर किया गया था. बाबरी मस्जिद का निर्माण खाली जगह पर हुआ था, जमीन के नीचे का ढांचा इस्लामिक नहीं था। ASI के निष्कर्षों से साबित हुआ कि नष्ट किए गए ढांचे के नीचे मंदिर था.