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20 साल पहले विषम परिस्थितयों में लड़कर जीता गया ऐतिहासिक कारगिल युद्ध

आज यानी 26 जुलाई का दिन हमारे देश और हमारी सेना के लिए गौरवपूर्ण दिन है। भारत में हर साल 26 जुलाई को “कारगिल विजय दिवस” के रूप में  मनाया जाता है। आज से ठीक 20 वर्ष पूर्व 26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने करीब 60 दिनों तक चले कारगिल युद्ध में विषम परिस्थियों के बावजूद पाकिस्तानी सेना को खदेड़ कर जीत हासिल की थी। इस वजह से हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।

1999 में पाकिस्तानी सैनिकों ने घुसपैठ कर कारगिल की पहाड़ियों पर कब्जा जमा लिया था। शुरुआत में इसे घुसपैठ मान लिया था और दावा किया गया कि घुसपैठियों को कुछ ही दिनों में बाहर कर दिया जाएगा। लेकिन घुसपैठियों की सुनियोजित रणनीति का पता चलने के बाद भारतीय सेना को अहसास हुआ कि यह घुसपैठ एक बड़े हमले की योजना के तौर पर की गई है। इसके बाद भारत सरकार ने ऑपरेशन विजय नाम से करीब 2,00,000 सैनिकों को कारगिल भेजा। उस समय देश के प्रधानमंत्री स्व। अटल विहारी वाजपयी थे। यह युद्ध 18 हजार फीट की ऊंचाई पर लड़ा गया था। भारतीय सेना को कारगिल के युद्ध में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। पाकिस्तानी सैनिक ऊंची पहाड़ियों पर बैठे थे और हमारे सैनिकों को गहरी खाई में रहकर उनसे मुकाबला करना था। भारतीय जवानों को आड़ लेकर या रात में चढ़ाई कर ऊपर पहुंचना पड़ रहा था जोकि बहुत जोखिमपूर्ण था। करगिल लड़ाई में बोफोर्स तोपें भारतीय सेना के खूब काम आई थी। भारतीय सेना के अदम्य साहस के चलते दुश्मन को वापस भागना पड़ा।

8 मई 19199 से शुरू हुआ ऑपरेशन विजय आख़िरकार 26 जुलाई को समाप्त हुआ। इस युद्ध में भारतीय सेना के 527 जवान शहीद हुए जबकि करीब 1363 घायल हुए थे। वहीँ इस युद्ध पाकिस्तान के करीब 3000 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे, हालाँकि पाकिस्तान मानता है कि उसके करीब 357 सैनिक ही मारे गए थे। विपरीत परिस्थितियों में लड़े जाने के कारण ही कारगिल युद्ध का विश्व के इतिहास में एक अलग महत्व है।

कारगिल विजय दिवस के अवसर पर शहीद जवानों को मुख्यमंत्री ने दी श्रद्धांजलि

देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कारगिल विजय दिवस के अवसर भारतीय सेना के अदम्य साहस व शौर्य को नमन करते हुए देश की रक्षा के लिए अपनी शहादत देने वाले जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की है।

मुख्यमंत्री ने कारगिल विजय दिवस की पूर्व संध्या पर अपने संदेश में कहा कि आजादी से पूर्व व आजादी के बाद उत्तराखण्ड के जाबांज सैनिकों ने अपनी वीरता का परिचय दिया है तथा देश की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया है। कारगिल युद्ध में बड़ी संख्या में उत्तराखण्ड के वीर सपूतों ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कारलि युद्ध विषम परिस्थितियों में लड़ा गया। शत्रु सुरक्षित स्थानों पर थे और हमारे जवान उनके निशाने पर थे, उसके बाबजूद भी कारगिल युद्ध में भारत को ऐतिहासिक विजय मिली। इस संबंध में मुख्यमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का स्मरण करते हुए कहा कि अटल जी ने उस समय इस युद्ध में वायुसेना को भी सहयोगी बनाया था। विपरीत परिस्थितियों में लड़े जाने के कारण ही कारगिल युद्ध का विश्व के इतिहास में एक अलग महत्व भी है।