Axiom Mission 4 SHUBHANSHU SHUKLA: भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन व भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष की यात्रा पर निकल चुके हैं। भारत और अमेरिका की स्पेस एजेंसी यानी इसरो और नासा के जॉइंट मिशन यानी Axiom-4 को आखिरकार लॉन्च कर दिया गया है। इस मिशन को पहले कई बार स्थगित किया गया था, लेकिन अब इसे आज 25 जून 2025 को भारतीय समयानुसार 12:01 PM IST (2:31 AM EDT) पर नासा के केनेडी स्पेस सेंटर से सफलतापूर्वर लॉन्च कर दिया गया है। इस मिशन को कई बार स्थगित करने के बाद लॉन्च करने से पहले स्पेसएक्स ने मौसम की 90 प्रतिशत अनुकूलता की पुष्टि की थी, जिसके बाद इस मिशन को लॉन्च करने की प्रक्रिया में तेजी लाने की मंजूरी मिली।
इसके साथ ही ग्रुप कैप्टन व भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने इतिहास रच दिया। वह 41 वर्ष पहले लगातार आठ दिन पृथ्वी के चक्कर लगाने वाले राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में रवाना होने वाले दूसरे भारतीय बन गए हैं।
इस मिशन में कुल चार सदस्य शामिल हैं, जो पृथ्वी से अंतरिक्ष में गए हैं। उनमें नाम के पुराने एस्ट्रोनॉट Peggy Whitson हैं, जो कमांडर की भूमिका निभा रहे हैं। उसके अलावा भारत के शुभांशु शुक्ला पायलट की भूमिका निभा रहे हैं, जो भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन भी रह चुके हैं। इन दोनों के अलावा मिशन स्पेशलिस्ट के तौर पर पोलैंड की Sławosz Uznanski Wiśniewski और हंगरी की Tibor Kapu का नाम शामिल हैं।
भारत के शुभांशु शुक्ला समेत Axiom Mission 4 के चारों क्रू मेंबर्स को अंतरिक्ष में लेकर जाने वाले रॉकेट का नाम Falcon 9 है।
पीएम मोदी बोले- 1।4 बिलियन भारतीयों की इच्छाएं, उम्मीदें और आकांक्षाएं लेकर गए
हम भारत, हंगरी, पोलैंड और अमेरिका के अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर अंतरिक्ष मिशन के सफल प्रक्षेपण का स्वागत करते हैं। भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर जाने वाले पहले भारतीय बनने की राह पर हैं। वे अपने साथ 1।4 बिलियन भारतीयों की इच्छाएं, उम्मीदें और आकांक्षाएं लेकर गए हैं। उन्हें और अन्य अंतरिक्ष यात्रियों को सफलता की शुभकामनाएं!
कौन हैं शुभांशु शुक्ला :
वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु उत्तर प्रदेश के लखनऊ के रहने वाले हैं। 10 अक्टूबर 1985 को लखनऊ में जन्में शुभांशु ने कारगिल युद्ध के बाद ही एनडीए में शामिल होने का मन बना लिया था। उन्हें 2006 में फाइटर पायलट के रूप में वायुसेना में शामिल हुए थे। शुभांशु फाइटर कॉम्बैट लीडर और एक टेस्ट पायलट हैं, जिनके पास लगभग 2 हजार घंटे की उड़ान का अनुभव है। उन्होंने Su-30MKI, MIG-21, MIG-29, जगुआर, हॉक जैसे लड़ाकू विमान उड़ाए हैं। शुभांशु तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। उनकी शादी कामना शुभा शुक्ला से हुई हैं जो कि एक डेंटिस्ट हैं। वे आर्म्ड फोर्सेज में शामिल होने वाले अपने परिवार के पहले व्यक्ति हैं। 2024 में ही उन्हें वायुसेना ने ग्रुप कैप्टन के रूप में पदोन्नति दी थी।
एक्सिओम-4 मिशन क्या है
25 जून 2025 तारीख भारत के लिए ऐतिहासिक हो गई है। अमेरिकी वाणिज्यिक स्पेस कंपनी- एक्सिओम (Axiom) अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) के लिए अपना एक्सिओम-4 मिशन लॉन्च कर चुकी है। भारत के शुभांशु शुक्ल पायलट के तौर पर इस मिशन में शामिल हैं। 41 साल बाद भारत का कोई शख्स अंतरिक्ष यात्री बनेगा। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय थे।
ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर यह एक्सिओम-4 मिशन क्या है, जिसके जरिए भारत को दूसरा अंतरिक्ष यात्री मिलेगा? यह मिशन कब, कहां से और कैसे लॉन्च हुआ है? भारत के लिए इसके क्या मायने हैं? एक्सिओम मिशन के लिए चुने गए शुभांशु शुक्ल कौन हैं? किन उपलब्धियों के चलते उन्हें चुना गया? उनके अलावा कौन-कौन से अन्य बड़े चेहरे इस मिशन में शामिल हैं? आइये जानते हैं।।।
कैसे आईएसएस के लिए भेजे जाएंगे अंतरिक्षयात्री?
एक्सिओम-4 मिशन में शामिल अंतरिक्ष यात्री एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स की तरफ से निर्मित ड्रैगन कैप्सूल में बैठाकर रवाना किए जाएंगे। इसे अंतरिक्ष तक पहुंचाने में भी स्पेसएक्स के फैल्कन 9 रॉकेट की सहायता ली जाएगी, जो कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी- नासा का अहम साझेदार बन चुका है।
केप कैनेवरल से बुधवार दोपहर (भारतीय समयानुसार) लॉन्च होने के बाद फैल्कन 9 रॉकेट अंतरिक्ष में पहुंचकर ड्रैगन कैप्सूल से अलग हो जाएगा और अपनी गति के जरिए यह कैप्सूल स्वायत्त तौर पर आईएसएस तक पहुंच जाएगा। अगर स्थितियां सामान्य रहीं तो ड्रैगन कैप्सूल लॉन्च के करीब 28 घंटे बाद 26 जून को आईएसएस पर डॉक हो जाएगा।
भारत के लिए अहम होने वाले इस मिशन को भेज कौन रहा है?
एक्सिओम कंपनी को 2016 में नासा से जुड़े रहे दो पूर्व वैज्ञानिकों- माइकल टी। सफ्रेडिनी और कैम गैफेरियन ने ह्यूस्टन से शुरू किया था। इस कंपनी ने अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) में मिशन भेजने का लक्ष्य रखा। इसमें कुछ और निजी कंपनियों और नासा से मदद लेना शुरू किया। इस कंपनी ने कुछ समय बाद अपना एक्सिओम स्टेशन बनाने का भी लक्ष्य रखा है, जो कि आईएसएस के सेवानिवृत्त होने के बाद उसकी जगह ले सकेगा। एक्सिओम ने अपने स्पेस स्टेशन की लॉन्चिंग 2030 तक करने का लक्ष्य बनाया है। एक्सिओम इससे पहले तीन मिशन्स के जरिए अलग-अलग देशों के यात्रियों को अंतरिक्ष में पहुंचा चुका है। इनमें इस्राइल का पहला एस्ट्रोनॉट और सऊदी अरब का अंतरिक्ष यात्री शामिल है। इसके अलावा इस कंपनी ने यूरोपीय संघ (ईयू) और अमेरिकी एजेंसी नासा के साथ कई अंतरराष्ट्रीय मिशन्स को अंजाम दिया है।
एक्सिओम मिशन क्या है और यह क्यों अहम?
एक्सिओम-4 मिशन एक्सिओम कंपनी का चौथा मानव मिशन है। इसे नासा और स्पेसएक्स की मदद से अंजाम दिया जाएगा। इसके तहत एक्सिओम निजी, वाणिज्यिक स्पेसक्राफ्ट में चार अंतरिक्ष यात्रियों को आईएसएस भेजेगा। अंतरिक्ष यात्री अपने लक्ष्यों के हिसाब से आईएसएस पर 60 से ज्यादा प्रयोग (एक्सपेरिमेंट) करेंगे। इन प्रयोगों के जरिए अंतरिक्ष के माहौल में इंसानों के शरीर पर पड़ने वाले असर, अंतरिक्ष में होने वाली खेती और पदार्थों से जुड़े विज्ञान (मैटेरियल साइंस) को समझने की कोशिश की जाएगी। एक्सिओम मिशन इस लिहाज से भी अहम है कि इससे सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग को सफलतापूर्वक दर्शाया जा सकता है। एक्सिओम-4 मिशन में जिन लोगों को आईएसएस पर भेजा जा रहा है, उनमें अमेरिका और भारत के अलावा पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री भी आईएसएस पर जा रहे हैं, जो कि कई दशकों में पहली बार हुआ है।
इसके अलावा एक्सिओम अपने इन मिशन्स के जरिए दुनिया का पहला वाणिज्यिक स्पेस स्टेशन बनाने पर भी सारी अहम जानकारी जुटाने में लगा है। इसके जरिए कंपनी अंतरिक्ष के क्षेत्र में कुछ चुनिंदा देशों की मनमर्जी और दखल को कम करने की कोशिश में जुटी है।
एक्सिओम-4 मिशन पर जाने वाली टीम
1 पेगी व्हिट्सन:
मिशन का नेतृत्व अमेरिका की पेगी व्हिट्सन कर रही हैं। पेगी नासा से जुड़ी रही हैं और अंतरिक्ष यात्री के तौर पर अपने एतिहासिक करियर में तीन लंबी अवधि की अंतरिक्ष उड़ानों में हिस्सा ले चुकी हैं। उन्होंने कुल मिलाकर अंतरिक्ष में 675 दिन बिताए हैं। इनमें 665 दिन वह नासा के मिशन्स के दौरान अंतरिक्ष में रहीं, जबकि एक्सिओम के दूसरे मिशन (एक्सिओम-2) के दौरान वे 10 दिन अंतरिक्ष में गुजार चुकी हैं। यह किसी भी अमेरिकी और महिला अंतरिक्ष यात्री के लिए अंतरिक्ष में रहने का रिकॉर्ड है। वे 10 बार आईएसएस से बाहर निकलकर स्पेसवॉक में भी हिस्सा ले चुकी हैं।
2 शुभांशु शुक्ल
भारत के शुभांशु शुक्ल वायुसेना में ग्रुप कैप्टन हैं। वे उत्तर प्रदेश के लखनऊ से आते हैं और पायलट हैं। उनके पास जैगुआर से लेकर सुखोई-30एमकेआई जैसे लड़ाकू विमानों को उड़ाने का 2000 घंटे का अनुभव है। शुभांशु को अंतरिक्ष भेजे जाने वाले भारत के पहले मानव मिशन गगनयान के लिए पहले ही चुना जा चुका है। एक्सिओम-4 मिशन के साथ ही शुभांशु शुक्ल 41 साल में अंतरिक्ष जाने वाले दूसरे भारतीय बन जाएंगे। उनसे पहले सिर्फ राकेश शर्मा ही स्पेस में गए हैं। उन्हें तब रूस के सल्युत-7 स्पेसक्राफ्ट के जरिए आईएसएस पहुंचाया गया था।
3 स्लावोज उज्ना स्की विज्निएवस्की
पोलैंड को वैज्ञानिक और इंजीनियर स्लोवाज उज्ना को यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) में अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए 22,500 आवेदकों में से चुना गया था। वे 2022 की एस्ट्रोनॉट रिजर्व क्लास का हिस्सा हैं, जिससे उनका आईएसएस के लिए अगले मिशन और इसके आगे के लिए भी चुना जाना तय हो गया था। स्लावोज अंग्रेजी और फ्रेंच भाषा धाराप्रवाह बोल सकते हैं। वे रेडिएशन साइंस और हाई-एनर्जी फिजिक्स में विशेषज्ञ हैं। स्लावोज को मिशन विशेषज्ञ के तौर पर चुना गया है।
4 टिबोर कापू
हंगरी से आने वाले टिबोर कापू एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं। वे भी स्लावोज की तरह मिशन विशेषज्ञ के तौर पर एक्सिओम-4 के साथ रवाना होंगे। कापू की स्कूल से अंतरिक्ष तक का सफर भी आश्चर्य पैदा करने वाला है। उन्हें स्कूल में एक कार्यक्रम के जरिए 247 आवेदकों में से चुना गया था। वे हंगरी के हंगैरियन टू ऑर्बिट प्रोग्राम का हिस्सा बने। इस कार्यक्रम का लक्ष्य अंतरिक्षयात्री को आईएसएस पर वैज्ञानिक टेस्ट्स और रिसर्च करने के लिए प्रशिक्षित करना था। इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद उन्हें एक्सिओम मिशन के लिए चुना गया।
अंतरिक्ष यान से शुभांशु शुक्ला का हिंदी में संदेश
शुभांशु शुक्ला ने स्पेसएक्स यान के प्रक्षेपण के बाद यान से ही एक वीडियो संदेश दिया है. उन्होंने कहा,”मेरे प्यारे देशवासियों! क्या सफ़र है! हम 41 साल बाद वापस अंतरिक्ष में पहुंच गए हैं. यह एक अद्भुत सफ़र है. हम 7.5 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ़्तार से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं. मेरे कंधों पर मेरा तिरंगा मुझे बताता है कि मैं आप सभी के साथ हूँ. यह मेरी यात्रा अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की शुरुआत नहीं है, ये भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत है. मैं चाहता हूँ कि आप सभी इस सफ़र का हिस्सा बनें. आपका सीना भी गर्व से चौड़ा होना चाहिए… आइए हम सब मिलकर भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत करें. जय हिंद! जय भारत!”