प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी दौरे पर न्यूयॉर्क में इस समय सबसे महत्वपूर्ण और सबसे बड़े मंच संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएन) में भाषण देने के लिए तैयार हैं। भारत समेत कई देश पीएम मोदी के संबोधन को सुनने के लिए इंतजार कर रहे हैं। पीएम आज संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र को संबोधित करेंगे। उनका संबोधन भारतीय समयानुसार शाम 6.30 बजे होना है। इस मौके पर आज हम संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना, इसका इतिहास, इस अंतरराष्ट्रीय संगठन के क्या-क्या उद्देश्य, और कितने देश जुड़े हैं आदि पर चर्चा करेंगे। लेकिन बात शुरू करते हैं कुछ देर बाद होने जा रहे पीएम मोदी के बहुप्रतीक्षित अंतरराष्ट्रीय मंच से भाषण की।
पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने यूएन जनरल असेंबली में अपने संबोधन के दौरान कश्मीर मसले का राग अलापने पर युवा भारतीय राजनयिक स्नेहा दुबे ने ‘कड़ा’ जवाब दिया है। अब बारी है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की। पीएम मोदी इस दौरान सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता, आतंकवाद सहित वैक्सीन की मान्यता जैसे मुद्दों पर अपनी बात रखेंगे। वहीं पीएम मोदी के संबोधन की पड़ोसी पाकिस्तान और चीन में भी हलचल है। बता दें कि यूएन की जनरल असेंबली की बैठक हर साल आयोजित की जाती है। पिछले वर्ष महासभा का सत्र कोविड-19 महामारी के कारण डिजिटल तरीके से आयोजित किया गया था। शुक्रवार को व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ पहली द्विपक्षीय बैठक करने के बाद पीएम मोदी वाशिंगटन से न्यूयॉर्क पहुंचे जहां भारतीय समुदाय के लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया।
इससे पहले पीएम ने क्वाड शिखर सम्मेलन में भी भाग लिया था जिसकी मेजबानी वाशिंगटन में जो बाइडेन ने की थी। क्वाड बैठक में पीएम मोदी और उनके समकक्ष ऑस्ट्रेलिया पीएम स्कॉट मॉरिसन और जापान के योशीहिदे सुगा क्वाड नेताओं की बैठक में शामिल हुए थे। क्वाड की बैठक से पहले चीन ने अपनी भड़ास निकाली। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि चार देशों के समूह को किसी तीसरे देश और उसके हितों को लक्षित नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संगठन का असफल होना निश्चित है। दिल्ली में चीनी राजदूत ने द्विपक्षीय संबंधों को लेकर ‘नसीहत’ दे डाली। पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के बीच जारी सैन्य गतिरोध के बीच चीनी राजदूत सुन वीडांग ने कहा कि भारत के साथ सीमा पर शांति और सौहार्द्र महत्वपूर्ण है, लेकिन द्विपक्षीय संबंधों में यह सब कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि संबंधों की वर्तमान स्थिति स्पष्ट रूप से दोनों पक्षों के मौलिक हित में नहीं है। अब आइए जानते हैं संयुक्त राष्ट्र संघ के बारे में।
संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 24 अक्टूबर 1945 को हुई थी–
बता दें कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र की स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र अधिकार पत्र पर 50 देशों के हस्ताक्षर होने के साथ हुई थी। यह एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है। संक्षिप्त रूप से इसे कई समाचार पत्र ‘संरा’ भी लिखते हैं। इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय कानून को सुविधाजनक बनाने के सहयोग, अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति, मानव अधिकार और विश्व शांति के लिए कार्यरत है। इसके अमेरिका फ्रांस, रूस, इंग्लैंड और चीन स्थाई सदस्य देश हैं। इन सभी को ‘वीटो पावर देश’ कहा जाता है। वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र में 193 देश है, विश्व के लगभग सभी अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त देश शामिल हैं। इस संस्था की संरचना में आम सभा, सुरक्षा परिषद, आर्थिक व सामाजिक परिषद, सचिवालय और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय सम्मिलित है। ‘जनरल असेंबली’ यूनाइटेड नेशंस के 6 मुख्य अंगों में से एक है।
यूनाइटेड नेशंस के सभी 193 सदस्य बराबर अधिकारों और जिम्मेदारी के साथ इसका हिस्सा हैं। यूएन के बजट, सिक्योरिटी काउंसिल की सदस्यता, अस्थायी सदस्यों की नियुक्ति जैसे सभी काम जनरल असेंबली के जिम्मे हैं। इसका काम इंटरनेशनल पीस और सिक्योरिटी पर डिस्कशन करना है। इनमें विकास, मानवाधिकार, इंटरनेशनल लॉ और देशों के बीच शांतिपूर्ण तरीके से विवादों का निपटारा करना शामिल है। हर साल न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र संघ के हेडक्वार्टर में जनरल असेंबली की सालाना मीटिंग होती है। इस साल यूएन की सालाना मीटिंग 21 सितंबर से शुरू होकर 27 सितंबर तक चलेगी। 6 दिनों तक चलने वाली जनरल असेंबली की सभा में अलग-अलग देशों के राष्ट्राध्यक्ष संबोधित करते हैं। पहले दिन यानी 21 सितंबर को हर बार की तरह सबसे पहले ब्राजील के राष्ट्रध्यक्ष के संबोधन से इसकी शुरुआत हुई। इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जनरल असेंबली को संबोधित किया। आज शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा में संबोधित करने जा रहे हैं।
शंभू नाथ गौतम