मुंबई: उत्तराखंड की संस्कृति, उसकी मिठास भरी बोली और लोक परंपराओं को जीवित रखने के उद्देश्य से डीपीएस फाउंडेशन (देवभूमि प्रतिभा संस्कृति फाउंडेशन) द्वारा रविवार, 14 सितंबर 2025 को नवी मुंबई के भूमिपुत्र हॉल, उल्वे में “मेरी बोली-भाषा” अभियान के अंतर्गत भव्य उत्तराखंडी नाट्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। यह आयोजन महान स्वतंत्रता सेनानी और उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री स्व. गोविंद बल्लभ पंत जी की पुण्यतिथि को समर्पित था।
आयोजन में प्रवासी उत्तराखंडियों की सात टीमों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इनमें “पहाड़ी प्रवासी सोसाइटी” द्वारा प्रस्तुत “खंड-खंड उत्तराखंड” नाट्य ने प्रथम स्थान प्राप्त कर सभी का मन मोह लिया। प्रतियोगिता में अन्य टीमों ने भी लोकभाषा, रीति-रिवाज और लोककथाओं को नए अंदाज़ में प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
फाउंडेशन के पदाधिकारियों ने बताया कि यह प्रतियोगिता केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि अपनी जड़ों से जुड़ने का माध्यम भी है। नाट्य प्रस्तुतियों के जरिए युवाओं को अपनी संस्कृति समझने का अवसर मिलेगा, बच्चों में भाषा व परंपरा के प्रति गर्व का भाव जागेगा और दर्शकों को मिलेगा मनोरंजन के साथ-साथ सांस्कृतिक समृद्धि का अनुभव।
इस अवसर पर “गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार” उन व्यक्तियों को प्रदान किया गया, जो पहाड़ी समाज और उसकी संस्कृति की सेवा में निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही प्रतिभागियों को आकर्षक पारितोषिक भी दिए गए।
मेरी बोली मेरी भाषा का प्रथम पुरस्कार जीतने वाली “पहाड़ी प्रवासी सोसाइटी” संस्था की सदस्या दीपा सजवाण ने बताया कि उनकी संस्था “पहाड़ी प्रवासी सोसाइटी” ने पहली बार इस तरह के आयोजन में प्रतिभाग किया है। संस्था का मुख्य उद्देश्य मुम्बई और आसपास के क्षेत्रों में ग़रीब, असहाय, ज़रुरतमंद व प्राकृतिक रूप से पीड़ित प्रवासी उत्तराखंडी व्यक्तियों तथा परिवारों की तत्काल सेवा और यथासंभव सहायता करने के साथ ही, आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश करना है।
उन्होंने बताया कि संस्था का प्रयास रहता है कि कोई भी असहाय, ज़रुरत मंद व्यक्ति या परिवार भूखे न रहें, कोई भी होनहार छात्र/छात्रा चंद रुपयों की कमी से उच्च व उच्चतम शिक्षा से वंचित न रह पाये, प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोग सरकार द्वारा दी गयी आवश्यक सुविधाओं से वंचित न रहें, दवाइयों या उचित इलाज के अभाव के चलते कोई भी स्वजन असमय काल का ग्रास न बन पाये। इसके अलावा सोशल मीडिया के माध्यम से देश के अन्य क्षेत्रों से गुमशुदा उत्तराखंडियों को खोजने के लिए भी उनकी संस्था प्रयत्नशील रहती है।