Kartavya Path : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के ऐतिहासिक इंडिया गेट के सामने सेंट्रल विस्टा एवेन्यू (सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना) का उद्घाटन किया। इसके साथ ही राजपथ अब इतिहास बन चुका है। राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक की सड़क अब कर्तव्य पथ के नाम से जानी जाएगी। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि कर्तव्य पथ केवल एक मार्ग नहीं वरन भारत के समृद्ध लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रतीक है। 19 महीने तक लगातार चले काम के बाद सेंट्रल विस्टा एवेन्यू बनकर तैयार हुआ है। 9 सितंबर से लोग यहां घूम सकेंगे। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में नया संसद भवन, केंद्रीय सचिवालय और अन्य कई सरकारी कार्यालय भी बनेंगे। पीएम मोदी ने कहा कि वो कर्तव्य पथ के लिए काम करने वाले सभी श्रमजीवियों को 2023 में गणतंत्र दिवस की परेड के लिए आमंत्रित करेंगे।
बता दें कि केंद्र सरकार ने जिस राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ किया वो ब्रिटिश काल में किंग्सवे के नाम से जाना जाता था। 100 साल के इतिहास में तीसरी बार इसका नाम बदला गया है। रायसीना हिल परिसर से इंडिया गेट तक फैले राष्ट्रीय राजधानी के इस पथ यानी राजपथ का नाम सबसे पहले किंग्सवे था, जो नयी दिल्ली के बीचों बीच एक राजसी केंद्रीय धुरी थी। ब्रिटिश सम्राट किंग जॉर्ज पंचम द्वारा प्रशासन के केंद्र कलकत्ता (अब कोलकाता) से दिल्ली स्थानांतरित करने के बाद इसका निर्माण किया गया।
आजादी के बाद साल 1955 में किंग्सवे का नाम बदलकर राजपथ कर दिया गया और इसके लंबवत मार्ग क्वींसवे का नाम बदलकर जनपथ कर दिया गया। और 7 सितंबर को राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया गया है।
इस मौके पर पीएम मोदी ने संबोधित भी किया। उन्होंने कहा कि आज अगर राजपथ का अस्तित्व समाप्त होकर कर्तव्यपथ बना है, आज अगर जॉर्ज पंचम की मूर्ति के निशान को हटाकर नेताजी की मूर्ति लगी है, तो ये गुलामी की मानसिकता के परित्याग का पहला उदाहरण नहीं है। ये न शुरुआत है ना ही अंत है, ये मन और मानस की आजादी का लक्ष्य हासिल करने तक निरंतर चलने वाली संकल्प यात्रा है।
पीएम नरेंद्र मोदी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का किया अनावरण
इसके साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी ने इंडिया गेट के पास नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 28 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि सुभाषचंद्र बोस महामानव थे जिनकी स्वीकार्यता ऐसी थी कि पूरी दुनिया उन्हें नेता मानती थी। उनमें साहस और स्वाभिमान था। उनके पास विचार और विजन थे। उनमें नेतृत्व क्षमता और नीतियां थीं। आजादी के बाद यदि हमारा देश सुभाष बाबू की राह पर चला होता तो कितनी ऊंचाइयों पर होता लेकिन दुर्भाग्य से, इस महानायक को भुला दिया गया। उनके विचारों और उनसे जुड़े प्रतीकों को नजरअंदाज कर दिया गया।