Geological Survey of India

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले की सोन पहाड़ी में करीब 3000 टन सोना मिलने की बात बीते कुछ दिनों से देशभर के मीडिया में आग की तरह फ़ैल गई थी। परन्तु अब यह एक पहेली बनता नजर आ रहा है। क्योंकि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) ने उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में करीब 3000 टन सोना मिलने की बात खारिज कर दी है। दरसल एजेंसी का कहना है कि सोनभद्र से 3000 टन नहीं, बल्कि सिर्फ 160 किलो औसत दर्जे का सोना मिलने की संभावना है। जीएसआई की सफाई के साथ ही अब उन तमाम खबरों पर भी ब्रेक लग गया, जिसमें पिछले एक हफ्ते से सोनभद्र में भारी पैमाने पर सोना मिलने का दावा किया जाता रहा है। आखिर सोनभद्र में तीन हजार टन सोना होने की बात कहां से फैली, ये भी एक बड़ा सवाल है?

सूत्रों के मुताबिक यह सारा खेल उत्तर प्रदेश के खनन विभाग और सोनभद्र के कलेक्टर के बीच हुए कुछ पत्र-व्यवहार के लीक होने के बाद शुरू हुआ। उत्तर प्रदेश के भूतत्व एवं खनन निदेशालय (माइनिंग डायरेक्टरेट) के 31 जनवरी 2020 के एक पत्र में भी इसे लेकर जानकारी दी गई। इस पत्र में सोनभद्र जिले के सोन पहाड़ी ब्लॉक में कुल 2943.26 टन और हरदी ब्लॉक में 646.15 किलोग्राम सोना होने की संभावना जताई गई। यानी इस लेटर से सोनभद्र जिले के दो ब्लॉक में करीब तीन हजार टन सोना होने की संभावना की बात सामने आई। इस पत्र में कहा गया है कि जीएसआई की तरफ से खनिजों की नीलामी की रिपोर्ट उपलब्ध कराई गई है। खनिजों के ब्लॉकों की नीलामी से पहले भूमि के क्षेत्र की टैगिंग का कार्य किया जाना है। साथ ही सोना निकालने के लिए इस पत्र में सात सदस्यीय टीम के गठन की भी जानकारी दी गई है। 31 जनवरी का यह पत्र बीते 19 फरवरी को सोनभद्र की स्थानीय मीडिया के हाथ लगा, तो यह खबर आग की तरह फैल गई कि सोनभद्र की कोख में सोना ही सोना भरा है। उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव मौर्य तो इसे भगवान का आशीर्वाद बताने लगे। मामले ने जब ज्यादा तूल पकड़ा तो शनिवार को जीएसआई के कोलकाता स्थित मुख्यालय को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सफाई देनी पड़ी। संस्थान ने कहा कि सोनभद्र में तीन हजार टन सोना मिलने की बात गलत है।