आज प्लास्टिक एवं इससे बना सामान हमारी रोजमर्रा की जिन्दगी में इस कदर शामिल हो चुका है कि इसके दुष्प्रभाव जानते हुए भी हम लोग इससे अगल नहीं हो पा रहे हैं। हालाँकि प्लास्टिक से बनी वस्तुओं के बहिष्कार के लिए स्कूल, कॉलेजों से लेकर तमाम सामाजिक संस्थाओं द्वारा समय-समय पर जन जागरूकता अभियान चलाया जाता हैं। अभी हाल ही में इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट, ग्रेटर नोएडा में संयुक्त राष्ट्र के 14वें ग्लोबल सम्मलेन (UNCCD COP-14) में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहा था कि अब सिंगल यूज प्लास्टिक को अलविदा कहने का वक्त आ गया है।
सिंगल यूज प्लास्टिक आखिर होता क्या है और इसका पर्यावरण के साथ-साथ हमारी सेहत पर कितना बुरा असर पड़ता है इसके बारे में आपको बताते हैं।
सिंगल यूज प्लास्टिक यानी केवल एक बार में इस्तेमाल किया जाने वाला प्लास्टिक से बना सामान। उदहारण के लिए प्लास्टिक की (पन्नी) थैलियां, पानी व चाय पीने के गिलास, प्लेट, छोटी बोतलें, स्ट्रॉ, चम्मच, पाउच आदि जो दोबारा इस्तेमाल के लायक नहीं होती हैं। इसलिए एक बार इस्तेमाल के बाद इनको फेंक दिया जाता है। इस तरह के प्लास्टिक को रिसाइकिल नहीं किया जा सकता है। जिसकी वजह से इसका हमारी सेहत के साथ-साथ पर्यावरण पर भी बुरा असर पड़ता है। आपने अक्सर देखा होगा कि शादी, व्याह एवं छोटी मोटी पार्टियों में खाना खाने के बाद जूठी प्लेट, चम्मच इत्यादि या फिर घर में बचे हुए बासी खाने को भी प्लास्टिक की पन्नी में भरकर कूड़ेदान या सड़क किनारे जानवरों के लिए फेंक दिया जाता हैं। जिसे बाद में गाय एवं अन्य जानवर खाते हैं। और अक्सर खाने के साथ-साथ प्लास्टिक की पन्नियाँ व प्लेटस भी जानवरों के पेट में चली जाती हैं, जो आँतों में फंसकर उनकी मौत का कारण बन जाता है।
आंकड़े बताते हैं कि दुनिया भर में हर मिनट लोग करीब 10 लाख प्लास्टिक की बोतल खरीदते हैं। इनमे जितनी प्लास्टिक इस्तेमाल होती है उसमे से मात्र 9% प्लास्टिक का ही रिसाइकल होता है। एक अन्य अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में हर साल करीब 40 हजार करोड़ प्लास्टिक की थैलियों का इस्तेमाल होता है। उनमें से 99 प्रतिशत थैलियों की रिसाइक्लिंग नहीं होती है। इसके अलावा हर दिन दुनिया भर में करीब 5 लाख स्ट्रॉ तथा 500 अरब प्लास्टिक के कप का इस्तेमाल होता है। जिनका ना के बराबर रिसाइकल होता है। सिंगल यूज प्लास्टिक का उत्पादन काफी सस्ता होता है और इनका इस्तेमाल भी बहुत आसान होता है इसीलिए सिंगल उसे प्लास्टिक का इतना ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है।
परन्तु इस तरह की प्लास्टिक के अंदर जो रसायन होते हैं, उनका इंसान की सेहत पर तो प्रभाव पड़ता ही है साथ ही साथ पर्यावरण पर भी इसका काफी बुरा असर पड़ता है। एक अनुमान के मुताबिक हर साल करीब 11 लाख समुद्री पक्षियों और जानवरों की प्लास्टिक की वजह से मौत होती है। एक रिसर्च के मुताबिक, करीब 700 समुद्री जीव प्लास्टिक प्रदूषण के कारण लुप्त होने की कगार पर हैं। यही नहीं शोधकर्ताओं के मुताबिक एक इंसान हर साल औसतन 70 हजार माइक्रोप्लास्टिक का सेवन कर जाता है।
आगामी 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर भारत सरकार सिंगल यूज़ प्लास्टिक की छुट्टी करने जा रही है। प्रदूषण से निपटने और प्लास्टिक के बढ़ते इस्तेमाल को कम करने के लिए केंद्र सरकार सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ मुहिम चला रही है। सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार 2 अक्टूबर से सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूरी तरह से बैन लगाने का फैसला ले सकती है। हालाँकि सिंगल यूज प्लास्टिक जितना सस्ता है इसका उपयोग भी उतना ही सरल है यही वजह है कि लाख कोशिशों के बाद भी अभी तक दुनियाभर में इसका पूर्ण विकल्प नहीं मिल पाया है। अभी तक इसका एक ही विकल्प नजर आ रहा है और वह है जन जागरूकता। लोगों को प्लास्टिक के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान के बारे में ज्यादा से ज्यादा जागरूक किया जाए। ताकि लोग आगे आकर स्वतः ही इसके इस्तेमाल का त्याग करें। इसके साथ-साथ सरकार को भी इसके विकल्प के रूप में सोचना होगा।
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