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Hit And Run Law: केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में हिट एंड रन कानून में किए गए संशोधन से देशभर में बवाल खड़ा हो गया है। नए हिट एंड रन कानून का देशभर में चक्काजाम कर विरोध हो रहा है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तराखंड समेत देशभर के अलग-अलग राज्यों/शहरों में बस और ट्रक डाइवरों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी है। आज इस बेमियादी हड़ताल का तीसरा दिन है। जिसके चलते पेट्रोल, गैस, सब्जियों जैसी जरूरी चीजों की किल्‍लत होनी शुरू हो गई है। सब्जियों और दूसरी चीजों के दाम बढ़ने लगे हैं। गैस सिलेंडर मिलने में लोगों को दिक्‍कत हो रही है। पेट्रोल पंपों पर लंबी-लंबी कतारें लगी हुई हैं। सबसे ज्यादा असर मध्य प्रदेश में देखा जा रहा है। आइये जानते हैं कि आखिर होता है क्या हिट एन्ड रन? इस पर नया नियम क्या आया है? पहले क्या नियम था? नए नियम की जरूरत क्यों पड़ी? हिट एन्ड रन कानून में ऐसा क्या है जिसका विरोध हो रहा है?

हिट एन्ड रन होता क्या है?

हिट एंड रन का सीधा सा अर्थ है कि दुर्घटना के बाद ड्राइवर का गाड़ी के साथ मौके से भाग जाना। अगर किसी गाड़ी से किसी को टक्कर लग गई और घायल की मदद करने के बजाय ड्राइवर गाड़ी को लेकर फरार हो जाता है तो ऐसे केस हिट एंड रन में गिने जाते हैं। हिट एंड रन के पुराने कानून के मुताबिक ऐसे मामलों में ड्राइवर को जमानत भी मिल जाती थी और अधिकतम दो साल की सजा का प्रावधान था। कई बार तो एक्सीडेंट करके भाग जाने वाले दोषियों को सबूतों और प्रत्यक्षदर्शियों के अभाव के कारण पकड़ना और सजा देना बहुत मुश्किल हो जाता है। वहीँ दुर्घटना में घायल व्यक्ति को अगर एक्सीडेंट करने वाला समय पर अस्पताल पहुंचा देता है तो उसकी जान बच जाती है।

क्या है नया ‘हिट एंड रन’ कानून

नया ‘हिट एंड रन’ कानून हाल ही में संसद से पारित तीन नए कानून का हिस्सा है। दरअसल, आईपीसी की जगह लेने वाली भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 104 में हिट एन्ड रन का जिक्र किया गया है। यह धारा लापरवाही से मौत का कारण के लिए दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान करती है। धारा 104 (1) कहती है,’जो कोई भी बिना सोचे-समझे या लापरवाही से कोई ऐसा कार्य करके किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनता है जो गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में नहीं आता है, उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा।’ नए ‘हिट एंड रन’ कानून में हिट एंड रन के केस में गलत ड्राइविंग या लापरवाही के चलते किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है और ड्राइवर बिना पुलिस को सूचना दिए मौके से फरार हो जाता है, तो उसे 10 साल तक की सजा हो सकती है. इसके अलावा 7 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लग सकता है.

नए नियम की जरूरत क्यों पड़ गई?

फिलहाल हिट एंड रन के मामलों में सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि अपराध स्थल पर अपराधी के खिलाफ किसी भी प्रत्यक्ष सबूत का अभाव होता है। इस वजह से पुलिस अधिकारियों के लिए जांच को आगे बढ़ाना और अपराधी को ढूंढना बेहद मुश्किल हो जाता है। इनमें से ज्यादातर अपराधी भाग जाते हैं और शायद ही कभी पकड़ा जाते हों।

दूसरी समस्या यह है कि जिन गवाहों पर जांच निर्भर करती है वे भी मदद करने से कतराते हैं क्योंकि वो किसी भी तरह के कानूनी मसले में फंसना नहीं चाहते हैं।

क्यों हो रहा है नए कानून का विरोध?

नए नियम आने से ड्राइवरों में इस बात का डर है कि यह उनके खिलाफ बनाया गया है। यदि नए नियम के अनुसार वो घायल की मदद करने जाते हैं तो ऐसे में उन्हें भीड़ के गुस्से का सामना करना पड़ सकता है और गुस्साई भीड़ उनकी जान भी ले सकती है। वहीँ यदि भागते हैं तो इस नए कानून के तहत उनको 10 साल की सजा और भारी जुर्माना जेलना पड़ेगा। ड्राइवरों के लिए आगे कुआं और पीछे खाई वाली स्थिति हो गई। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के अध्यक्ष अमृतलाल मदान का दावा है कि संशोधन से पहले जिम्मेदार व्यक्तियों से सुझाव नहीं लिए गए। इसके अलावा मदान ने यह भी कहा कि देश में एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन प्रोटोकॉल का अभाव है। पुलिस वैज्ञानिक जांच किए बिना ही दोष बड़े वाहन पर मढ़ देती है।

विवाद पर सरकार का क्या रुख है?

हाल ही में संसद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया था कि सरकार ने उन लोगों के लिए सख्त दंड का प्रावधान किया है जो सड़क दुर्घटना करने के बाद मौके से भाग जाते हैं और पीड़ितों को मरने के लिए छोड़ देते हैं। इसके साथ ही गृह मंत्री ने यह भी कहा था कि उन लोगों के लिए कुछ उदारता दिखाई जाएगी जो खुद से पुलिस को सूचित करेंगे और घायलों को अस्पताल ले जाएंगे। हालांकि, भारतीय दंड संहिता में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।