Russia Ukraine War: लंबे समय से चली आ रही तनातनी का अंजाम जंग में बदल गया। अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, इटली और जर्मनी समेत कई देशों ने रूस से शांति की अपील की थी। लेकिन राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जिद पर अड़े रहे। आखिरकार रूस ने गुरुवार सुबह यूक्रेन पर अटैक कर दिया। दुनिया इस जंग के लिए तैयार नहीं थी। जैसे ही रूसी सेनाओं ने यूक्रेन पर रॉकेट, लॉन्चर और मिसाइलों से हमला किया उसके बाद ही विश्व भर में उथल-पुथल का दौर शुरू हो गया है। रूसी सैनिक अब यूक्रेन की राजधानी कीव में घुस चुके हैं।
यूक्रेन में चारों ओर तबाही का मंजर है, रॉकेट लॉन्चर हवाई हमले लगातार हो रहे हैं। वहां एयरपोर्ट बंद कर दिया गया। इस कदम के चलते यूक्रेन में फंसे भारतीयों के रेस्क्यू मिशन को भी रोकना पड़ा। यूक्रेन गई एयर इंडिया की फ्लाइट खतरे के अलर्ट के चलते वापस लौट आई। यूक्रेन के लोगों में दहशत है। इस युद्ध को रोकने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जिद पर अड़े हुए हैं। पुतिन किसी की नहीं सुन रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब तक 40 यूक्रेनी सैनिक और 10 नागरिक मारे जा चुके हैं। वहीं, यूक्रेन ने रूस के 50 सैनिकों को मारने और 6 फाइटर जेट्स-टैंक्स तबाह करने का दावा किया।
रूस तीन तरफ से यूक्रेन पर हमले कर रहा है। रूस के हमले के बाद यूक्रेन में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। यूक्रेन के अलग-अलग शहरों से तबाही की तस्वीरें सामने आ रही हैं। यूक्रेन के कई शहरों पर क्रूज और बैलेस्टिक मिसाइल से हमला किया जा रहा है। इन बिगड़ते हालातों के बीच यूक्रेन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद की अपील की है। यूक्रेन के राजदूत इगोर पोलखा ने कहा कि भारत और रूस के संबंध अच्छे हैं। भारत यूक्रेन-रूस विवाद को कंट्रोल करने में अहम योगदान दे सकता है। हम पीएम नरेंद्र मोदी से गुजारिश करते हैं कि वह तत्काल रूस के राष्ट्रपति पुतिन और हमारे राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की से संपर्क करें।
रूस-यूक्रेन के बीच जंग के बाद भारत भी एक्टिव मोड में
रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग का असर भारत में भी देखा जा रहा है। केंद्र सरकार एक्टिव मोड में आ गई है। भारत की सबसे बड़ी चिंता यूक्रेन में फंसे करीब 18,000 छात्र और भारतीय नागरिकों को लेकर है। वहीं दूसरी ओर भारत में यूक्रेन के राजदूत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद की गुहार लगाई है।अमेरिका और यूरोपीय यूनियन सैन्य और आर्थिक हमले की तैयारी में जुट गए हैं। गुरुवार तड़के रूस ने यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई का आदेश दे दिया, जिसके बाद यूक्रेन में अब तक भारी तबाही मच चुकी है. यूक्रेन में बड़ी संख्या में भारतीय छात्र भी फंसे हुए हैं, जिनको पिछले कुछ दिनों से एयरलिफ्ट करने का काम चल रहा था। अब भी यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों समेत नागरिकों के लिए केंद्र सरकार ने एडवाइजरी जारी की है। केंद्र सरकार ने रूस के खिलाफ जारी युद्ध के बीच यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों की सहायता के लिए 24 घंटे की हेल्पलाइन शुरू की है। उत्तराखंड समेत कई राज्यों के छात्र यूक्रेन में फंसे हुए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड के छात्रों की सकुशल वापसी के लिए केंद्र सरकार से आज बात भी की है। वहीं दिल्ली में 24 घंटे का कंट्रोल रूम बनाया गया है और हेल्पलाइन नंबर +911123012113, +911123914104, +911123017905 और 1800118797 दिया गया है। वही दूसरी यूक्रेन में फंसे भारतीयों के लिए अतिरिक्त हेल्पलाइन नंबर: +38 0997300428, +38 0997300483, +38 0933980327, +38 0635917881, +38 0935046170 है।
रूस-यूक्रेन के बीच जंग की क्या है असली वजह
रूस के विघटन से पहले यूक्रेन भी सोवियत संघ का एक अंग था। साल 1991 में यूक्रेन ने सोवियत संघ से स्वतंत्रता की घोषणा की थी। जिसके बाद यूरोपीय संघ से यूक्रेन की नजदीकियां बढ़ी। यूक्रेन अमेरिका के नेतृत्व वाले सैन्य संगठन नाटो (NATO) का सदस्य बनना चाहता है लेकिन रूस ये नहीं चाहता है कि यूक्रेन नाटो की विस्तार योजना का हिस्सा बने। रूस अमेरिका और नाटो (NATO) से इस बात की गारंटी भी चाहता था कि यूक्रेन को नाटो का सदस्य न बनाया जाए लेकिन अमेरिका और पश्चिमी देश इस बात के लिए राजी नहीं हैं। रूस ये नहीं चाहता था कि उसकी सीमा के पास तक नाटो सैनिकों की पहुंच हो। यूक्रेन पर हमला करने से पहले रूस पिछले कई दिनों से सीमा के पास भारी संख्या में अपने सैनिकों को जमावड़ा लगाया हुआ था। रूस का कहना है कि यूक्रेन की वजह से अमेरिका और नाटो के मेंबर वाले देश उसकी सीमा के नजदीक पैठ बनाना चाहते हैं।
साल 2014 में रूस ने क्रीमिया पर नियंत्रण स्थापित कर लिया था। इसके कुछ ही वक्त के बाद यूक्रेन के डोनत्स्क और लुहांस्क में रूस समर्थक अलगाववादियों ने इन क्षेत्रों को स्वायत्त घोषित कर दिया। यूक्रेन के डोनत्स्क और लुहांस्क को व्लादिमीर पुतिन की ओर से अलग देश की मान्यता देने के बाद वैश्विक स्तर पर तनाव गहरा गया। सोवियत संघ के टूटने के बाद रूस और अमेरिका के बीच रिश्तों में मतभेद बने रहे हैं। लेकिन यूरोप से सटे कुछ आजाद राष्ट्र अमेरिका और कई पश्चिमी देशों के संपर्क में आए और नजदीकियां बढ़ी लेकिन ये रूस को कभी नहीं भाया। यूक्रेन संकट को अमेरिका और रूस के बीच एक तरह से वर्चस्व की लड़ाई के तौर भी देखा जा रहा है।
राष्ट्रपति पुतिन ने सख्त लहजे में किसी को रूस-यूक्रेन के बीच न आने की चेतावनी दी
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एलान किया कि अगर रूस और यूक्रेन के बीच कोई आएगा तो उसका अंजाम भी बहुत बुरा होगा। पुतिन बोले हम सभी नतीजों के लिए तैयार हैं । यूक्रेन में राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर दिया गया है। रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध से दुनिया सहम गई है। रूसी हमले में यूक्रेन को हुआ भारी नुकसान। नाटो ने आपात बैठक बुलाई है। अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ग्रेट ब्रिटेन समेत तमाम देश राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन को तत्काल प्रभाव से युद्ध रोके जाने को कहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि हमले से होने वाली तबाही के लिए रूस अकेला जिम्मेदार है। लेकिन फिलहाल व्लादिमीर पुतिन किसी भी देश की कोई बात सुनने के लिए तैयार नहीं हैं। वहीं दूसरी ओर दोनों देशों के बीच जारी जंग से भारत भी चिंतित नजर आ रहा है। व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि रूस स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन लॉन्च कर रहा है। इसका लक्ष्य यूक्रेन का गैर फौजीकरण है। पुतिन की तरफ से यूक्रेन की सेना को कहा गया है कि वह हथियार डालें और अपने घर जाएं।
शंभू नाथ गौतम