saans campaign
  • लक्षणों के आधार पर चिन्हित होंगे बच्चे, गंभीर होने पर अस्पताल में भर्ती किया जाएगा
  • निमोनिया के लक्षण बताएंगी, घरेलू देखभाल के बारे में परामर्श भी देंगी आशा

नोएडा :  गृह भ्रमण के दौरान आशा कार्यकर्ता निमोनिया की रोकथाम के लिए लोगों को जागरूक करेंगी। आशा कार्यकर्ता बीमारी के लक्षणों के आधार पर बच्चों को चिन्हित करेंगी और गंभीर निमोनिया होने पर स्वास्थ्य इकाई में भर्ती किये जाने के लिए संदर्भित करेंगी। चिकित्सा इकाई से छुट्टी होने के बाद उनके द्वारा फालोअप भी किया जाएगा। निमोनिया न होने की स्थिति में आशा कार्यकर्ता घरेलू देखभाल के लिए परामर्श देंगी।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. सुनील कुमार शर्मा ने बताया-सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन टू न्यूटरलाइज निमोनिया सक्सेसफुली (“सांस”) अभियान के तहत यह जिम्मेदारी आशा कार्यकर्ताओं को दी गयी है। अभियान “सांस” जनपद में 28 फरवरी 2022 तक चलेगा।

सामुदायिक एवं चिकित्सा इकाई पर संक्रमित शिशुओं का प्रबंधन

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (आरसीएच) डा. भारत भूषण ने बताया- सैप्सिस, मेनिन्जाइटिस एवं निमोनिया से 33 प्रतिशत नवजात शिशुओं की मृत्यु होती है, जबकि दूसरे माह में निमोनिया मृत्यु का एक बड़ा कारण है। छोटे बच्चों मे निमोनिया सेप्सिस एवं मेनिन्जाइटिस का पता चलना मुश्किल होता है, जबकि इन स्थितियों का उपचार लगभग एक समान होता है। इस कारण इन स्थितियों को एक ग्रुप पोसिबिल सीरियस बैक्टीरियल इन्फेक्शन (पीएसबीआई) नाम दिया गया है।

सांस तेज चलना

जिन शिशुओं को खांसी आ रही हो तथा सांस तेज चल रही हो, यह निमोनिया पहचानने के लिए महत्वपूर्ण लक्षण हैं। दो माह से एक वर्ष तक के शिशुओं में सांस की गति 50 प्रति मिनट से अधिक तथा एक वर्ष से पांच वर्ष तक के बच्चों में सांस की गति 40 प्रति मिनट से अधिक होना निमोनिया पहचानने में सहायक होता है।

छाती का धंसना

निमोनिया में सांस अन्दर लेते समय बच्चे की छाती के नीचे का हिस्सा अन्दर की ओर धंस जाता है। छाती का गंभीर रूप से धंसना फेफड़ों के संक्रमण को दर्शाता है। गंभीर निमोनिया में छाती अन्दर धंसने के साथ सांस लेने की गति तीव्र होना आवश्यक नहीं है। गंभीर निमोनिया होने पर शिशु के थक जाने के कारण सांस की गति धीमी हो सकती है। शिशुओं में आक्सीजन की कम मात्रा को पहचानने के लिए पल्स आक्सीमीटर प्रयोग करना चाहिए।

गंभीर लक्षण- बच्चे का दूध न पी पाना, सुस्त होना, झटके आना, छाती का धंसना, सांस का तेज चलना। (दो से 11 माह तक 50 प्रति मिनट, 12 से 59 माह तक 40 प्रति मिनट)

खांसी-जुकाम की घरेलू देखभाल

डा. भारत भूषण ने बताया- जिन शिशुओं में निमोनिया एवं गंभीर निमोनिया के कोई लक्षण न हों  और खांसी जुकाम हो तो स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा घरेलू देखभाल की सलाह दी जाएगी। जैसे छह माह से कम आयु के शिशु जो कि पूर्णतया स्तनपान पर निर्भर हों, उन्हें कोई घरेलू उपचार नहीं दिया जाए। उन्हें स्तनपान जारी रखने की सलाह दी जाएगी। माता को शिशु की बीमारी में भी स्तनपान जारी रखने की सलाह दी जाएगी। यदि शिशु छह माह से ऊपर का हो तो माता द्वारा घर में बने खांसी की दवा के देशी नुस्खे जैसे शहद, तुलसी अदरक, हर्बल तथा अन्य सुरक्षित घरेलू उपायों को किये जाने की सलाह दी जानी चाहिए।

शिशु में गंभीर बीमारी के लक्षण जैसे दूध न पी पाना, तीव्र सांस गति, सांस लेने में कठिनाई बुखार होने पर तुरंत शिशु को स्वास्थ्य इकाई पर संदर्भन के लिए आशा-एएनएम को संपर्क करना चाहिये।