Noida News: उत्तराखंड मूल के अंतरराष्ट्रीय समाजसेवी रोशन रतूड़ी दुबई में अपने व्यावसायिक कार्यों के साथ-साथ मानव सेवा के लिए भी जाने जाते हैं। हाल ही में दुबई से भारत पहुंचे वरिष्ठ समाजसेवी रोशन रतूड़ी ने नोएडा में आयोजित उत्तराखंड महाकौथिग मेले में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। इस दौरान उन्होंने महाकौथिग के आयोजन को लेकर आयोजक मण्डल की दिल खोलकर प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में इस भव्य और इतना व्यवस्थित मेला कभी नहीं देखा।

इसी बीच शनिवार को प्रेस क्लब नोएडा में पत्रकारों से प्रेस वार्ता के दौरान रोशन रतूड़ी ने बताया कि वह विदेशों में फंसे हुए भारतीय श्रमिकों की मदद करने के लिए तत्पर रहते हैं। उन्होंने बताया कि यहाँ से अक्सर हमारे युवा साथी नौकरी के लालच में या अन्य कई कारणों से विदेशों में फंस जाते हैं। इस तरह की जानकारी जब भी उनके संज्ञान में आती है तो वे इसे एक मिशन मानकर ऐसे लोगों की मदद करते हैं। उनका मानना है कि किसी भी देश या मजहब से ऊपर मानवता है। और उनकी इसी सोच  की वजह से दुनियाभर में लोग उन्हें स्नेह करते हैं। उन्होंने बताया कि अब तक विगत 22 वर्षों में उन्होंने 26,000 से अधिक श्रमिकों को विभिन्न देशों से मुक्त कराया है और उन्हें स्वदेश भेजने का कार्य किया है।

रोशन रतूड़ी मूलरूप से उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल के अंतर्गत हिंडोलाखाल के निवासी हैं। उनके माता-पिता 1980 में देहरादून में व्यवसाय के लिए बस गए थे। रोशन रतूड़ी ने जीवन में कभी शादी न करने का निर्णय लिया, क्योंकि उनका मानना है कि यदि परिवार होगा तो वे लोगों की सेवा नहीं कर पाएंगे। उन्होंने अपना जीवन पूरी तरह से मानवता की सेवा में समर्पित कर दिया है।

गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय समाजसेवी रोशन रतूड़ी को विदेशों में दलालों और होटल मालिकों द्वारा शोषित भारतीय श्रमिकों की मदद के लिए जाना जाता है। उन्होंने बताया कि विदेशों में अक्सर दलालों और होटल मालिकों द्वारा भारतीय श्रमिकों का शोषण किया जाता है, जिसके तहत उनका पासपोर्ट बंधक बनाकर रखना, किसी की तबीयत बिगड़ने पर उसका उपचार न कराना शामिल है।

उन्हें विदेशों में फंसे श्रमिकों के बंधक पासपोर्ट दिलवाने, बीमार श्रमिकों का अस्पताल में इलाज कराने, किसी कारण वीजा खत्म होने पर जेल में सजा काट रहे व्यक्तियों का जुर्माना भरकर उनको अपने स्वदेश लौटने में मदद करना, कई डेड बॉडी को उनके वतन भेजना तथा उसका पूरा खर्चा स्वयं की जेव से करना, इसके अलावा कई वर्षों से लापता लोगों को खोजकर अपने वतन भेजना जैसे कई मानवता सेवा उनके नाम से जाना जाता है।

रोशन रतूड़ी एक ग़ैर-राजनीतिक व्यक्ति हैं और सत्य के मार्ग पर चलने का विश्वास रखते हैं। उनका कहना है कि उनका यह कार्य जनता के प्यार और समर्थन से संभव हो पाया है। सत्य के मार्ग पर चलने वाले लोगों को ईश्वर का आशीर्वाद मिलता है, यह उनका दृढ़ विश्वास है।

महाकौथिग के मंच से दिया सुझाव

इससे पहले रोशन रतूड़ी ने भारत सरकार और राज्य सरकार को मंच के माध्यम से संदेश दिया है कि विधवा महिला जिनके छोटे बच्चे है, उनकी 18 वर्ष तक की निशुल्क शिक्षा (व्यक्तिगत या संस्थागत) की सरकार को जिम्मेदारी लेनी चाहिए, आयुषमान के अतिरिक्त वृद्ध जनों को स्वास्थ्य में 50% दवाई सहित उपचार हेतु (व्यक्तिगत या संस्थागत) छूट देनी चाहिए।

होटल श्रमिकों को प्रोत्साहन हेतु सरकार द्वारा ठोस पॉलिसी और जीवन बीमा में विशेष सहयोग करना चाहिए।  क्योंकि होटलियर्स भाई भी विदेशी धरती पर भारत का नाम रोशन करता है और स्वास्थ्य बिगड़ने पर आर्थिक तंगी के कारण उनका उपचार नहीं कर पाता है, और दुर्भाग्य से अगर किसी की मृत्यु हो जाती है तो उनके परिवार जनों को पार्थिव शरीर भी नसीब नहीं होता है।

रोशन रतूड़ी ने कहा है कि उनका प्रेस वार्ता करने का मुख्य कारण यह है कि पीड़ित लोग अक्सर पत्रकार बंधुओं के पास अपनी समस्या लेकर आते है। और पत्रकार उनकी आवाज उठाने का काम करते हैं। ऐसे में पत्रकार बंधुओं से जुड़ने से पत्रकार बंधु मुझे सीधा अवगत करा सकते हैं और मुझे सेवा का मौका दे सकते हैं। रोशन रतूड़ी ने सभी पत्रकारो का आभार व्यक्त करते हुए कहा है की मीडिया देश का चौथा स्तंभ है जो कि अपनी कलम से भ्रष्टाचार से लेकर समाज में हो रही तमाम बुरी चीजों पर नकेल कसने काका करता है।

प्रेस क्लब वार्ता में रौशन रतूड़ी के साथ वरिष्ठ समाजसेवी एवं व्यावसायिक गिरीश कोटनाला एवं समाजसेवी हरीश असवाल उपस्थित रहे।