Valley Of Flowers: इस समय पूरे देश में घूमने का सीजन शुरू हो चुका है। स्कूलों में भी अब गर्मियों की छुट्टी होने की डेट भी घोषित कर दी गई है। कई प्रदेशों में तो गर्मियों की छुट्टी हो चुकी हैं। तेज गर्मी और व्यस्त भरे जीवन में कुछ दिन सुकून से गुजारने चाहते हैं तो आइए उत्तराखंड आपका इंतजार कर रहा है। इस राज्य में पर्यटन और धार्मिक स्थलों की कोई कमी नहीं है। ऋषिकेश, हरिद्वार, गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ ऐसे धार्मिक पर्यटन स्थल है जहां इन दिनों श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। इसके साथ ही मसूरी, नैनीताल, रानीखेत, धनोल्टी, औली और फूलों की घाटी की हरी-भरी मनोहर वादियां मन मोह लेती हैं।
अगर गर्मियों की छुट्टी में प्रकृति की अद्भुत छटा देखने चाहते हो तो आइए फूलों की घाटी आपका इंतजार कर रही है। इस बार सैलानियों के लिए फूलों की घाटी राष्ट्रीय पार्क के गेट एक जून से खुलने जा रहे हैं।
फूलों की घाटी (वैली ऑफ फ्लावर)
हिमालय की गोद में बसी फूलों की घाटी उत्तराखंड में गढ़वाल क्षेत्र के चमोली जिले में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है। विश्व धरोहर में शुमार फूलों की घाटी सैलानियों को हमेशा आकर्षित करती रही है। यहां हर साल लाखों की संख्या में देश विदेश से पर्यटक आते हैं। फूलों की घाटी अपनी सुंदरता के लिए पूरे विश्व में विख्यात है। 1982 में घाटी को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था और अब यह एक विश्व धरोहर स्थल है। फूलों की घाटी की खोज की 1931 में एक ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक स्मिथ और उनके साथी होल्डसवर्थ ने थी। इसके बाद से यह एक मशहूर पर्यटन स्थल बन गया। फूलों की घाटी को लेकर स्मिथ ने एक किताब भी लिखी है। जिस का नाम है “वैली ऑफ फ्लॉवर्स”।
87.5 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली फूलों की घाटी में 500 से अधिक फूलों की प्रजातियां देखने को मिलती हैं। यहाँ हर 15 दिनों में अलग-अलग प्रजाति के फूल खिलते हैं,जिससे हर बार घाटी का रंग बदल जाता है। शीतकाल में बर्फ से ढंकी घाटी में इन दिनों बर्फ पिघलने के साथ ही सीजनल फूल खिलने लगे हैं। फूलों की घाटी में फूलों का खिलना मई से ही शुरू हो जाता है और जुलाई तक विभिन्न प्रजातियों के फूलों का खिलना बना रहता है। गंगरिया(जो घाटी से लगभग 3 किमी दूर है), से ही फूलों की सुगंध आने लगती है, जो पर्यटकों को दूर से मंत्रमुग्ध कर देती है। स्थानीय लोगों के अनुसार फूलों की घाटी में परियां निवास करती हैं। परियों का निवास स्थान होने की वजह से लंबे समय तक यहां लोग जाने से कतराते थे। इस घाटी में उगने वाले फूलों से दवाई भी बनाई जाती है।
प्रवेश शुल्क
- भारतीय पर्यटक: 150 रुपये
- प्रति व्यक्ति बच्चे: 75 रुपये
- विदेशी पर्यटक: 600 रुपये प्रति व्यक्ति
- डंडी-कंडी मजदूर की दर निर्धारित
कैसे पहुंचे फूलों की घाटी
फूलों की घाटी के लिए कोई सीधी फ्लाइट कनेक्टिविटी या ट्रेन या सड़क मार्ग नहीं है। फूलों की घाटी का निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। यहाँ से फूलों की घाटी तक पहुँचने के लिए गोविंदघाट(जोशीमठ के पास)सबसे नजदीकी क्षेत्र है, जो घाटी से लगभग 17 किमी दूर है। गोविंदघाट से तीन किमी पुलना गांव तक सड़क मार्ग से और फिर यहां से 13 किमी पैदल (ट्रेकिंग)चलकर फूलों की घाटी के बेस कैंप घांघरिया पहुंचा जाता है। यहां से तीन किमी पैदल चलकर फूलों की घाटी राष्ट्रीय पार्क पहुंच सकते हैं। वैसे गोविंद घाट से घांघरिया के लिए हेलीकॉप्टर सेवा भी है। घांघरिया के हेलीपैड मैदान में हेलीकॉप्टर आपको छोड़ेगा।
गोविंदघाट के लिए उत्तराखंड के प्रमुख स्थलों जैसे ऋषिकेश, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, ऊखीमठ, श्रीनगर, चमोली आदि से गोविंदघाट के लिए बसें और टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं।