World Sparrow Day 2024: आज है विश्व गौरैया दिवस है। विलुप्त हो रही नन्ही सी गौरैया पक्षी को बचाने के लिए हर साल 20 मार्च के दिन ‘विश्व गौरैया दिवस’ मनाया जाता है। इस साल गौरेया दिवस की थीम आई लव स्पैरो है। पहली बार विश्व गौरैया दिवस सन् 2010 में मनाया गया था। पिछले कुछ सालों से प्रति वर्ष 20 मार्च विश्व गौरैया दिवस को लोगों में गौरैया के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। गौरैया को शहर के मुकाबलों गांव में रहना अधिक पसंद आता है। हम आपको बताते हैं नन्हीं और प्यारी सी चिड़िया गौरैया के बारे में।
क्यों मनाया जाता है विश्व गौरैया दिवस?
आपने बचपन में अक्सर घरों की मुंडेर और आंगन में चहचहाने और फुदकने वाली छोटी सी चिड़िया गौरैया को दाना चुगते देखा होगा। लेकिन अब यह नन्हीं सी चिड़िया धीरे-धीरे विलुप्त हो रही है। विश्व गौरैया दिवस मनाने का उद्देश्य गौरैया पक्षी की लुप्त होती प्रजाति के संरक्षण के हेतु लोगों को जागरूक करना है। गौरैया पृथ्वी पर सबसे आम और सबसे पुरानी पक्षी प्रजातियों में से एक है। गौरैया की लुप्त होती प्रजाति और कम होती आबादी बेहद चिंता का विषय है। पेड़ों की अंधाधुंध होती कटाई, आधुनिक शहरीकरण और लगातार बढ़ रहे प्रदूषण से गौरैया पक्षी विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी है। गौरैया पक्षी की संख्या में लगातार कमी एक चेतावनी है कि प्रदूषण और रेडिएशन प्रकृति और मानव के ऊपर क्या प्रभाव डाल रहा है। तो इस ओर काम करने की जरूरत है।
गौरैया के विलुप्त होने के कारण: गौरैया के विलुप्त होने का मुख्य कारण शहरीकरण, रासायनिक प्रदूषण और रेडिएशन को माना जा रहा है। लगातार हो रहे शहरीकरण, पेड़ों के कटान और फसलों में रासायनिक का छिड़काव गौरैया पक्षियों की विलुप्ति का कारण बन रहा है। फसलों में पड़ने वाले कीटनाशक खतरनाक होते हैं। जब छोटी सी पक्षी इन फसलों के दानों को खाती है तो कीटनाशक का असर उसके विभिन्न अंगों पर पड़ता है, जिसके चलते गौरैया पक्षी की प्रजनन क्षमता में कमी आई है जो विलुति का मुख्य कारण बन रहा है। पिछले 15 सालों में गौरैया की संख्या में 70 से 80 फीसदी तक की कमी आई है।
प्रकृति में संतुलन बनाती हैं गौरैया:
बता दें कि गौरैया पक्षी का पृथ्वी पर प्रकृति का संतुलन बनाए रखने में भी बड़ा योगदान है। बदलते परिवेश में गौरैया पक्षी अब ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहर तक देखने को नहीं मिल रही है। दुर्भाग्य की बात है कि इनकी तदादा धीरे-धीरे कम हो गई है। ऐसे में गौरैया दिवस पर इनके संरक्षण को लेकर कई कार्यक्रम कराए जाते हैं।
गौरैया को बचाने के लिए ये है जरूरी:
आज विश्व गौरैया दिवस के मौके पर जगह-जगह गौरैया पक्षी को बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। ऐसे में हम सभी की जिम्मेदारी बनती है कि इस नन्हीं सी चिड़िया को बचाने में अपना अहम योगदान दें और फसलों में पड़ने वाले पेस्टिसाइड की जगह पर ऑर्गेनिक खाद का प्रयोग करें, जिससे इंसान के साथ-साथ इन पक्षियों को भी बचाया जा सके।
विश्व गौरैया दिवस का इतिहास :
विश्व गौरैया दिवस की स्थापना द नेचर फॉरएवर सोसाइटी के संस्थापक मोहम्मद दिलावर ने की थी। उन्होंने जैव विविधता फोटो प्रतियोगिता, वार्षिक स्पैरो अवार्ड्स, प्रोजेक्ट सेव अवर स्पैरो और कॉमन बर्ड मॉनिटरिंग ऑफ इंडिया कार्यक्रम सहित कई परियोजनाएं शुरू कीं। पहला विश्व गौरैया दिवस वर्ष 2010 में आयोजित किया गया था। 2011 में, वर्ल्ड स्पैरो अवार्ड्स की स्थापना की गई थी। यह पुरस्कार उन व्यक्तियों को मान्यता देता है जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण और सामान्य प्रजातियों के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।