7th India Water Week

ग्रेटर नोएडा : इंडिया एक्सपोमार्ट में चल रहे सातवें भारत जल सप्ताह के दूसरे दिन बुधवार को कई तकनीकी सत्र का आयोजित किए गए। जिसमें केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी मौजूद रहे। सत्र को संबोधित करते हुए कैलाश चौधरी ने कहा कि मानव जीवन के लिए पानी की सबसे ज्यादा जरूरत रहती है। आज के दिन में पानी का सबसे अधिक उपयोग खेती के लिए हो रहा है। पानी के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। आने वाले समय में हम इस दिशा में क्या करें, कि पानी के संकट का समाधान हो और कृषि क्षेत्र में वृद्धि हो, सरकार ने इस दिशा में काम किया है।

उन्होंने कहा कि आज विश्व की भूमि लगभग 328 मिलियन हेक्टेयर भूमि हिन्दुस्तान में है। विश्व के कुल पानी का 4 प्रतिशत पानी हिन्दुस्तान में है, जबकि आबादी 18 प्रतिशत है,जिसमें 50 प्रतिशत क्षेत्र सिंचित क्षेत्र के अंदर आता है। आज देश में 70 लाख हेक्टेयर भूमि पर माइक्रो इरीगेशन से खेती की जा रही है। वर्ष 2016 से लेकर आज तक भारत सरकार की तरफ से माइक्रो इरीगेशन के लिए काम किया गया। माइक्रो इरिगेशन से ही पानी को बचाया जा सकता है। पाली हाऊस और ग्रीन हाउस खेती के लिए सरकार की तरफ से 50 प्रतिशत की सब्सिडी किसानों को दी जा रही है।

जल शक्ति मंत्रालय, कृषि मंत्रालय व ग्रीम विकास मंत्रालय मिलकर पानी बचाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। आईसीआर के माध्यम से किसानों को नई तकनीकी पहुंचायी जा रही है। आईसीआर ने लगभग 1951 किस्म की फसलें तैयार की हैं, जिसमें पानी की कम आवश्यकता होती है। सरकार के प्रयास से पिछले 7 साल में कृषि के क्षेत्र में उत्पादन बढ़ा है। सरकार का प्रयास है कि कम पानी वाली फसल का किसान उत्पादन करें। एक किलो चावल पैदा करने के लिए 3 से 5 हजार लीटर पानी की आवश्यकता होती है, कम पानी वाली फसल को उत्पादन के लिए सरकार प्रयासरत है। डायवर्सी फिकेशन के लिए सरकार काम कर रही है, यही वजह है कि देश में कृषि का उत्पादन बढ़ा है। वहीं

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने पीने के पानी की शुद्धता के मानक को सिद्ध करने के लिए ‘हर घर में नल और नल से जल मिशन’ की सफलता व शुरू किए गए स्टार्टप को विस्तार से समझाया। उन्होंने वसुधैव कुटुम्बकम के उद्धरण को दोहराते हुए कहा कि भौगोलिक अंतर पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय सतत विकास लक्ष्यों से निपटने के लिए एक साथ आए हैं, जो कि समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि ओडीएफ पहल का लक्ष्य 2019 तक सफलतापूर्वक प्राप्त किया गया, जिसे 2030 तक प्राप्त करने के लिए निर्धारित किया गया था। यह मील का पत्थर पूरे देश के एकीकृत और समग्र दृष्टिकोण के साथ हासिल किया गया।