गौतमबुद्धनगर जनपद की तीनों विधानसभा सीटों नोएडा, दादरी व जेवर पर फिर से भाजपा का ‘कमल’ खिला है। नोएडा सीट की बात करें तो यहां से भाजपा प्रत्याशी पंकज सिंह ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की है। पंकज सिंह ने अपने निकटतम प्रतिद्धंदी सपा के सुनील चौधरी को एक लाख से अधिक मतों से पराजित किया। वहीँ दादरी सीट पर भाजपा के तेजपाल नागर ने अपने निकटतम प्रतिद्धंदी सपा के राजकुमार भाटी को 70 हजार से अधिक वोटों से हराया। वहीं जेवर विधानसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी धीरेंद्र सिंह ने सपा-रालोद गठबंधन प्रत्याशी अवतार सिंह भड़ाना को 56 हजार से अधिक मतों से पराजित किया।
योगी ने मुख्यमंत्री रहते गौतमबुद्धनगर आने का तोड़ा था मिथक
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में भाजपा ने एक बार फिर से उत्तर प्रदेश में जीत का परचम लहराया है। भाजपा ने प्रदेश की कुल 403 विधानसभा सीटों में से 273 सीटों पर जीत हासिल कर दुबारा सत्ता पर कब्जा किया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मिथक को भी तोड़ दिया है कि जो मुख्यमंत्री नोएडा (गौतमबुद्धनगर) आता है उसकी कुर्सी चली जाती है। यानी वह दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बन पाता है।
बता दें कि योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद कई बार नोएडा, ग्रेटर नोएडा का दौरा किया। वह जब-जब नोएडा और ग्रेटर नोएडा आये, तब तब उन्होंने पूर्व के मुख्यमंत्रियों पर इस रुढ़वादिता को लेकर कटाक्ष भी किया था। उन्होंने हर कार्यक्रम में कहा था कि उन्हें कुर्सी की कोई चिंता नहीं है। वह क्षेत्र के विकास व जनता की सेवा के लिए नोएडा व ग्रेटर नोएडा हजार बार आयेंगे। और आज उन्होंने एक बार फिर से यूपी का सिंहासन जीतकर इस मिथक को तोड़ दिया है।
दररसल मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठकर नोएडा न आने की परम्परा वर्ष 1988 में शुरू हुई थी। उस समय प्रदेश के मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह थे। उनके नोएडा आने के बाद वह चुनाव हार गये। उसके बाद एनडी तिवारी, कल्याण सिंह, मुलायम सिंह यादव की भी कुर्सी चली गयी थी। वर्ष 2007 में मायावती मुख्यमंत्री बनीं। तो वह भी कई बार नोएडा व ग्रेटर नोएडा आयीं। संयोग से वर्ष 2012 के विधान सभा चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा और दुबारा मुख्यमंत्री नहीं बन सकीं।
वर्ष 2012 में अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने लेकिन डर की वजह से वह भी पूरे पांच साल नोएडा व ग्रेटर नोएडा नहीं आये, कहीं वर्ष 2017 में कुर्सी न चली जाए। इसके बावजूद सपा को वर्ष 2017 के विधानसभा के चुनाव में बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा। उधर योगी आदित्यनाथ ने सभी मिथक व रुढ़वादी परम्परा को तोड़ते हुए नोएडा व ग्रेटर नोएडा में विकास कायरे की समीक्षा से लेकर शिलान्यास व अन्य कार्यक्रमों में शामिल होकर एक रिकार्ड बना दिया। मुख्यमंत्री ने अपने पांच साल के कार्यकाल में सबसे ज्यादा ध्यान एनसीआर पर दिया। लिहाजा मुख्यमंत्री ने एक दर्जन से अधिक बार नोएडा व ग्रेटर नोएडा को दौरा किया।