Breastfeeding mother

नोएडा : हम बचपन से एक जुमला सुनते आ रहे हैं ‘है कोई माई का लाल जिसने मां का दूध पिया है… तो सामने आये, चेलेंज करें, मैदान में आये’ इत्यादि। यह वही मां का दूध है जो बच्चे को बचपन से तमाम बीमारियों से लड़ने की ताकत देता है और बड़े होने पर न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी दुरुस्त बनाए रखने में मदद करता है। इसलिए जन्म के तुरंत बाद या एक घंटे के भीतर बच्चे को स्तनपान जरूर कराएँ इसका सभी धात्री माताओं को ध्यान रखना चाहिए। स्तनपान संकल्प है, विकल्प नहीं। यह कहना है होशियारपुर नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डा. वंदना कमल का।

डा. वंदना ने बताया, इन दिनों स्तनपान सप्ताह चल रहा है। एक अगस्त  से शुरू हुआ यह कार्यक्रम सात अगस्त तक चलेगा। उन्होंने कहा, यह  आधिकारिक रूप से मनाया जाने वाला केवल  साप्ताहिक कार्यक्रम नहीं है, स्तनपान के लिए वर्षभर जागरूकता की जरूरत होती है। हम केन्द्र पर आने वाली हर धात्री माता को हमेशा स्तनपान के लिए जागरूक करते हैं। उन्हें यह भी बताते हैं कि कब, कैसे और कितना दूध पिलाना है।

नवजात को जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान जरूरी

डा. वंदना ने बताया-  नवजात को जन्म के एक घंटे के भीतर मां को अपना पहला गाढ़ा पीला दूध अवश्य पिलाना चाहिये, क्योंकि इसमें कोलस्ट्रोम होता है जो बच्चे को कई रोगों से लड़ने की क्षमता देता है। इसमें बहुत अधिक मात्रा में एंटीबॉडीज होती हैं। मां का दूध बच्चे के लिए पहला टीका होता है। यही नहीं, आगे चलकर भी बच्चा स्वस्थ रहता है।  हर मां को अपने बच्चे को कम से कम छह माह तक सिर्फ और सिर्फ  अपना ही दूध पिलाना चाहिए। यहां तक कि छह माह तक ऊपर से पानी भी नहीं पिलाना है, मां के दूध में हर वह पोषक तत्व होता है, जो बच्चे के विकास के लिए जरूरी होता है।

स्तनपान से शिशु को फायदा

मां की त्वचा का संपर्क शिशु के तापमान को बनाये रखता है। दूध उतरने में सहायक, पहला गाढ़ा दूध अथवा कोलोसस्ट्रम शिशु को बीमारियों से बचाता है। दस्त रोग, निमोनिया, कान व गले के संक्रमण आदि का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। शिशु और मां के बीच जुड़ाव, बौद्धिक स्तर में सुधार, शिशु का समुचित विकास।

स्तनपान कराने से मां को लाभ

गर्भाशय का संकुचन। रक्तस्राव का खतरा कम हो जाता है। स्तन कैंसर , गर्भाशय कैंसर तथा अंडाशय कैंसर के खतरे कम हो जाते हैं। अस्टीयोपोरोसिस (हड्डियों का कमजोर पड़ना) के मामले कम हो जाते हैं। परिवार नियोजन में कुछ हद तक सहयोग प्राप्त होता है। प्रसवोत्तर वजन घटाने में सहयोगी होता है। शिशु के आहार पर व्यय पर संभावित लागत कम होती है।

दूध पिलाने का सही तरीका

स्तनपान के दौरान बच्चे का सिर स्तन से ऊंचा या 45 डिग्री के कोण में रखना चाहिए। इसीलिए बैठकर स्तनपान कराना सबसे उचित होता है। लेटकर स्तनपान कराने से कान में इंफेक्शन होने का खतरा पैदा हो सकता है। ऐसे में मांताओं को इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए। शिशु को दूध पिलाने के बाद तुरंत बिस्तर पर नहीं लिटाना चाहिए, क्योंकि ऐसी स्थिति में शिशु पिया गया दूध मुंह से निकाल सकता है। दूध पिलाने के बाद उसे कंधे पर लेकर पीठ पर धीरे-धीरे हाथ फेरें। इससे बच्चे के पेट में दूध का पाचन होता है।