quality of life beyond cancer
  • इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स ने कैंसर जागरूकता पर कार्यक्रम का आयोजन किया
  • इस कार्यक्रम में कैंसर से बचे लोगों ने भी भाग लिया जिन्होंने अपनी यात्रा के बारे में बताया

नई दिल्ली : कैंसर बीमारी एक चुनौतीपूर्ण है लेकिन इसके आगे भी एक जीवन है। उस जीवन के लिए मरीज का समय पर इलाज होना जरूरी है। कैंसर मरीजों के उपचार प्रबंधन और रिकवरी के बाद की देखभाल को लेकर जागरूकता लाने के लिए इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स ने एक कार्यक्रम की मेजबानी की। इसमें कैंसर के बाद जीवन की गुणवत्ता को लेकर विशेषज्ञों ने चिंता और मिथ्य पर अहम जानकारियां साझा कीं।

इस कार्यक्रम में उन बहादुर दिलों की उपस्थिति भी थी, जो कैंसर से बचे रहे हैं, जिन्होंने कैंसर से जूझने की अपनी यात्रा और कैंसर के बाद की प्रक्रिया को साझा किया। कार्यक्रम में मुख्य अति​थि नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्रा​धिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी रहीं। वहीं कार्यक्रम को सिस्टर बीके शिवानी ने भी संबोधित किया।

कार्यक्रम के दौरान डॉक्टरों ने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य विभिन्न भावनात्मक एवं सामाजिक चुनौतियों का समाधान करना है, जो कैंसर से बचे लोगों को ठीक होने के दौरान या उसके बाद हो सकती हैं। विशेषज्ञों ने सुझाव साझा किए कि कैसे भ्रांतियों से बचा सकता है। कार्यक्रम में इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल की ऑन्कोलॉजी टीम के विशेषज्ञों ने भाग लिया, जिसमें डॉ. रमेश सरीन, वरिष्ठ सलाहकार, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, और डॉ. मनीष के सिंघल, वरिष्ठ सलाहकार, मेडिकल ऑन्कोलॉजी शामिल थे।

इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. रमेश सरीन ने कहा, “मरीज को पूरी तरह से ठीक करने के लिए कैंसर से परे गुणवत्तापूर्ण जीवन बहुत महत्वपूर्ण है। कैंसर से ठीक होने के बाद कई तरह के मिथक हैं जो सामाजिक-भावनात्मक चुनौतियों को जन्म देते हैं। ये रोगियों के मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करते हैं। हालांकि नैदानिक ​​सहायता से इन चुनौतियों पर काबू पाना संभव है। आज प्रारंभिक अवस्था में निदान होने पर 90% से अधिक मामलों को ठीक किया जा सकता है। कुछ साल पहले तक ऑन्कोलॉजिस्ट नई तकनीकों को विकसित करने में व्यस्त थे, जिससे अधिक जीवन बचाया जा सकता था, लेकिन अब ऑन्कोलॉजिस्ट ने वर्षों की संख्या की तरह, जीवन की गुणवत्ता भी उतनी महत्वपूर्ण होने पर जोर दिया है।

इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स के मेडिकल ऑन्कोलॉजी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ मनीष के सिंघल ने कहा, “हमें बेहतर सर्जिकल परिणामों और उपचार के बाद जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने के साथ ही संरक्षित करने पर जोर देने की जरूरत है। हमारे कई रोगियों के साथ हमने देखा है कि इलाज के बाद उनका जीवन बदल गया है, वे मानसिक रूप से मजबूत हो गए हैं।’’

डॉक्टरों ने बताया कि विश्व स्तर पर स्तन कैंसर बढ़ रहा है। यह बढ़ोतरी इसलिए भी हो सकती है क्योंकि पहले से ज्यादा अब लोगों में स्तन कैंसर के प्रति जागरुकता बढ़ी है। तथ्यों पर गौर करें तो हमारी जीवन शैली में परिवर्तन और औद्योगीकरण के कारण घटनाओं में वास्तविक वृद्धि दोनों के कारण है। जीवन शैली में आहार, व्यायाम, मोटापा और बच्चे न होना या देरी से बच्चे का जन्म शामिल है। स्तन कैंसर के एक तिहाई को प्राथमिक रूप से रोका जा सकता है जबकि बाकी का प्रारंभिक चरण में निदान किया जा सकता है जिससे द्वितीयक रोकथाम हो सकती है। इसके लिए शुरुआती संकेत और लक्षण दोनों और सर्वोत्तम ऑन्कोलॉजी केंद्रों तक पहुंच की आवश्यकता होती है।

सिस्टर बीके शिवानी ने कहा कि ध्यान और सकारात्मक आत्म-पुष्टि आपके सामने आने वाली कठिन परिस्थितियों से उबरने के लिए आपकी मानसिक मजबूती को बढ़ाती है। सर्जिकल ऑन्कोलॉजी में वर्षों के अनुभव के साथ मुझे विश्वास है कि सर्जिकल उपचार के लिए ब्रेस्ट कंजर्वेटिव सर्जरी सेंटीनेल नोड बायोप्सी के साथ मिलकर न केवल कई स्तन और बांह की सूजन को सफलतापूर्वक बचा रही है, बल्कि यह किसी भी तरह से परिणामों से समझौता किए बिना अंग खोने के भावनात्मक आघात से भी बचाती है।