Gyanvapi-Mosque-Varanasi

ज्ञानवापी : वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद में आज सर्वे का काम पूरा हो गया। सर्वे के तीसरे दिन सोमवार को मस्जिद के अंदर सर्वे टीम को शिवलिंग मिलने का दावा किया गया है। वहीं सर्वे का काम खत्म होने के बाद पक्ष हर कई तरह के बड़े ने दावे कर रहा हैं। जिसमें हिंदू पक्ष के अनुसार दावा किया गया है कि नंदी के मुख के सामने मस्जिद के वजू खाने से 12 फीट 8 इंच व्यास का शिवलिंग मिला है। इसके बाद वाराणसी कोर्ट ने डीएम को आदेश दिया है कि जिस जगह शिवलिंग मिला है उसे  सील कर दिया जाए।

कोर्ट ने डीएम, पुलिस कमिश्नर और सीआरपीएफ कमांडेंट को यह आदेश दिया है। अदालत ने इन अधिकारियों को जगहों को संरक्षित और सुरक्षित रखने की व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदारी दी है। सोमवार को ज्ञानवापी में सर्वे के लिए तीसरे दिन टीम गई थी। बताया जा रहा है कि वहां टीम को शिवलिंग नजर आया। सर्वे टीम में शामिल हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने तुरंत वाराणसी कोर्ट में एप्लीकेशन दी। इसमें कोर्ट को बताया गया कि वहां पर शिवलिंग मिला है। यह बहुत ही महत्वपूर्ण साक्ष्य हैं। सीनियर डिवीजन के जज रवि कुमार दिवाकर ने तुरंत डीएम को उस जगह को सील करने का आदेश दिया है।

सर्वे के बाद हिंदू पक्ष के पैरोकार डॉ. सोहनलाल बाहर आए तो उन्होंने बड़ा दावा किया। कहा कि अंदर बाबा मिल गए। दूसरी ओर सर्वे करके बाहर आए मुस्लिम पक्ष के वकील ने हिंदू पक्ष के दावों का खारिज किया है। वकील ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं मिला। हम सर्वे से संतुष्ट हैं। बता दें कि मुस्लिम पक्ष की याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने वाराणसी कोर्ट के सर्वे के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच कल सुनवाई करेगी।

जानिए क्या है ज्ञानवापी विवाद

वाराणसी के जिस ज्ञानवापी परिसर का सर्वे हुआ उसी में मस्जिद है। मस्जिद के ठीक बगल में काशी विश्वनाथ मंदिर है। दावा है कि इसे औरंगजेब ने एक मंदिर तोड़कर बनवाया था। ज्ञानवापी विवाद को लेकर हिन्दू पक्ष का दावा है कि इस के नीचे 100 फीट ऊंचा आदि विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है। काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करीब 2050 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने करवाया था, लेकिन मुगल सम्राट औरंगजेब ने साल 1664 में मंदिर को तुड़वा दिया। दावे में कहा गया है कि मस्जिद का निर्माण मंदिर को तोड़कर उसकी भूमि पर किया गया है जो कि अब ज्ञानवापी मस्जिद के रूप में जाना जाता है।

याचिकाकर्ता ने मांग की है कि ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कर यह पता लगाया जाए कि जमीन के अंदर का भाग मंदिर का अवशेष है या नहीं। साथ ही विवादित ढांचे का फर्श तोड़कर ये भी पता लगाया जाए कि 100 फीट ऊंचा ज्योतिर्लिंग स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ भी वहां मौजूद हैं या नहीं। मस्जिद की दीवारों की भी जांच कर पता लगाया जाए कि ये मंदिर की हैं या नहीं। याचिकाकर्ता का दावा है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के अवशेषों से ही ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण हुआ था।

इन्हीं दावों पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करते हुए आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) की एक टीम बनाई। इस टीम को ज्ञानवापी परिसर का सर्वे करने के लिए कहा गया था। सोमवार को सर्वे का काम पूरा हो गया। मस्जिद के अंदर सर्वे टीम को शिवलिंग मिलने का दावा किया गया है।

मौजूदा समय ज्ञानवापी मस्जिद में प्रशासन ने केवल कुछ ही लोगों को नमाज पढ़ने की अनुमति दे रखी है। ये वो लोग हैं जो हमेशा से यहां नमाज पढ़ते आए हैं। इन लोगों के अलावा यहां किसी को भी नमाज पढ़ने की अनुमति नहीं है।