सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश, लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ने आज सीबीआई के एक मामले में 1989 बैच के आईआरएस अधिकारी व तत्कालीन उपायुक्त, आयकर, लखनऊ अरविंद मिश्रा को छः वर्ष की कारावास के साथ टेढ़ लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
सीबीआई ने एक शिकायत के आधार पर आरोपी अरविंद मिश्रा के विरुद्ध 29 नवम्बर 1999 को मामला दर्ज किया था, जिसमें निर्धारित प्रारूप 34 (ए) में “अदेयता प्रमाण पत्र”(No Dues Certificate) जारी करने के लिए अरविंद मिश्रा (आईआरएस: 1989), उपायुक्त, आयकर, लखनऊ द्वारा 20,000/-रु. की मांग का आरोप लगाया गया था। इसके पश्चात, सीबीआई ने 30 नवम्बर 1999 को जाल बिछाया और अरविंद मिश्रा, तत्कालीन उपायुक्त (आयकर), लखनऊ को शिकायतकर्ता से 15,000/-रु. माँगने और स्वीकार करने के दौरान रंगे हाथों पकड़ा।
जांच के पश्चात, सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश, लखनऊ की अदालत में आरोपी के विरुद्ध आरोप पत्र दायर किया। इस मामले में, उच्च न्यायालय के समक्ष विभिन्न याचिकाएं लंबित होने के कारण अधिकांश अवधि के लिए विचारण पर रोक लगी रही। आरोपी द्वारा दायर याचिकाओं का सीबीआई अभियोजकों ने समुचित प्रतिवाद किया। विचारण अदालत और उच्च न्यायालय दोनों को अभियोजन मामले के गुण-दोष के बारे में समझाने में सीबीआई सफल रही जिसके कारण आरोपी की याचिकाओं एवं आरोपी के पक्ष में स्थगन/अंतरिम राहत से छूट को खारिज कर दिया गया। विचारण अदालत ने आरोपी को कसूरवार पाया एवं उन्हे दोषी ठहराया।
मिताली चंदोला