अल्मोड़ा: उत्तराखण्ड के जंगलों के आग अब घरों एवं सरकारी दफ्तरों तक पहुँचने लगी है. ताजा जानकारी के अनुसार अल्मोड़ा जिले के सरना पशु सेवा केंद्र वनाग्नि की चपेट में आने से पूरी तरह जलकर खाक हो गया। सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह रही कि रविवार रात में लगी इस आग की सूचना स्थानीय नागरिकों द्वारा कई बार वन विभाग व आपदा केंद्र के नंबरों पर दी गई,लेकिन किसी ओर से आग पर काबू पाने के कोई प्रयास नहीं किये गये। इस अग्निकांड में कमरों में रखी तमाम महत्वपूर्ण दवाईयां, रजिस्टर व जरूरी सामान जलकर खाक हो गया है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा.रवींद्र चंद्रा ने कहा कि इस अगिकांड से केंद्र को भारी नुकसान पहुंचा है। टिन की छते ध्वस्त हो गई, बल्लियां जलकर खाक हो गई। दरवाजों को भी भारी नुकसान पहुंचा है। उन्होंने सीधे कहा कि इस मामले की सूचना अग्निशमन अधिकारियों को भी दी गई, लेकिन इसका कोई लाभ नहीं हुआ। मिली जानकारी के अनुसार यहा रब के निकट पशु सेवा केंद्र सरना का भवन स्थित है। बीती शाम जंगल से आई आग की लपटें यहां भी पहुंच गयी। कार्यरत पशुधन प्रसार अधिकारी अपने पति के साथ लगातार पानी डाल-डालकर आग बुझाने के लिए कई घंटों तक जूझती रहीं, लेकिन संबंधित विभाग की ओर से उन्हें कोई मदद नहीं मिली। कई घंटे की मशक्कत के बाद शाम 7.30 बजे जब आग थमी तो यह लोग वापस लौटे। लेकिन पुन यहां आग भड़क गई और सब कुछ जलकर खाक हो गया। स्थानीय पटवारी भी मौके पर पहुंचे और उन्होंने आग से हुए नुकसान का जायजा लिया। स्थानीय लोगों का आरोप है कि यदि प्रशासन व एनडीआरएफ की टीम आग बुझाने का प्रयास करती तो इतना बड़ा नुकसान नहीं होता। इस घटना ने प्रशासन, वन विभाग और वनाग्नि नियंत्रण केंद्र दावे करने वाले तमाम विभागों पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।