Kapkot Primary School of Bageshwar

उत्तराखंड का एक प्राइमरी स्कूल इन दिनों खूब चर्चा में है। जिस स्कूल में ऐसे अध्यापक हों, जो मुफ्त में कोचिंग संस्थानों से बढ़िया पढ़ाई करवाते हों, जहां के शिक्षक बच्चों की पढ़ाई को मिशन मानकर चलते हों, जहां बच्चों को सुलेख में यही लिखाया जाता हो कि उन्हें सैनिक स्कूल में चयनित होना है, वह स्कूल भला पीछे कैसे रह सकता है। गौरतलब है कि पिछले दिनों सैनिक स्कूल में कक्षा 6 एवं कक्षा 9 में एडमिशन के लिए प्रवेश परीक्षा (Entrance Exam) हुई थी। जब इस परीक्षा के नतीजे आए तो, उत्तराखंड के इस सरकारी स्कूल का परचम लहरा रहा था। इस स्कूल के एक-दो नहीं बल्कि  22 बच्चे एक साथ सैनिक स्कूल के लिए चयनित हुए हैं। आज देश भर में पहाड़ के इस सरकारी स्कूल की चर्चा हो रही है।

आइये हम आपको बताते हैं कि उत्तराखंड में कहाँ है यह स्कूल और इस स्कूल में कैसे संभव हुआ यह करिश्मा। हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड में बागेश्वर जिले के राजकीय प्राथमिक विद्यालय कपकोट की। जहां के 22 बच्चे एक साथ सैनिक स्कूल घोड़ाखाल के लिए चयनित हुए हैं। यह सब संभव हुआ स्कूल के प्रधानाध्यापक केडी शर्मा की मेहनत और जज्बे की वजह से। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी में छठवीं और 9वीं कक्षा में प्रवेश के लिए आवेदन मांगे थे। कुछ दिन पहले इस प्रवेश परीक्षा के नतीजे आए। एक ही स्कूल से एक साथ इतने बच्चों के चयनित होने की पूरे देश में वाहवाही हो रही है। इन बच्चों की उपलब्धि पर पूरे स्कूल और क्षेत्रवासियों में खुशी की लहर है। लोगों का मानना है कि अगर सरकारी स्कूल के शिक्षक इसी तरह लगन से बच्चों को पढ़ाएं तो सभी सरकारी स्कूल इस तरह की उपलब्धि हासिल कर सकते हैं।

विद्यालय के प्रधानाध्यापक केडी शर्मा ने बताया सैनिक स्कूल के परीक्षा परिणामों ने अध्यापकों के साथ-साथ बच्चों के अभिभावकों को भी खुश होने का मौका दिया है। प्रधानाध्यापक केडी शर्मा ने बताया कि यह सबके मिले-जुले प्रयासों से संभव हो सका है। उन्होंने बताया कि हमारी स्कूल में कक्षा एक में एडमिशन के लिए सामान्यता हमारे पास 40 बच्चे आते थे। लेकिन इस बार 150 से 200 तक बच्चे पहली कक्षा में एडमिशन के लिए पहुंच गए। ऐसी स्थिति में हमारे पास एक ही विकल्प था कि उनको एंट्रेंस के द्वारा हम अपने स्कूल में दाखिला दे सकें।

अगर हम अध्यापकों की बात करें तो इस स्कूल के प्रधानाध्यापक केडी शर्मा, शिक्षक मंजू गढ़िया, हरीश ऐठाणी व अजय तिवारी सुबह 6:00 बजे से रात 10:00 बजे तक अध्यापन के लिए उपलब्ध रहते हैं। शिक्षक 6 घंटे की ड्यूटी के बाद 7 से 8 घंटे तक स्कूल में रहकर बच्चों की एक्स्ट्रा क्लास लेते हैं। वे प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बच्चों की निशुल्क तैयारी कराते हैं। बच्चों में हमेशा आगे रहने का जज्बा भरा जाता है। सुलेख में भी उन्हें यही लिखाया जाता है कि मुझे सैनिक स्कूल के लिए चयनित होना है, मुझे सैनिक स्कूल के लिए चयनित होना है। जब लगन ही ऐसी हो तो कामयाबी तो मिलनी है।

जहां एक तरफ बच्चे सरकारी स्कूलों से मुंह मोड़ रहे हैं, वहीं पहाड़ का यह सरकारी स्कूल नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। आलम यह है कि इस सरकारी स्कूल में कक्षा एक में एडमिशन के लिए बच्चों को लंबा इंतजार करना पड़ता है। जब सबको एडमिशन मिलना संभव नहीं हो पाता तो स्कूल के शिक्षकों ने इसके लिए एडमिशन टेस्ट का रास्ता चुना है। गौतरलब है कि शैक्षणिक सत्र शुरू होते ही एंट्रेंस टेस्ट के फार्म हाथोंहाथ भर लिए जाते हैं। लोग प्राइवेट स्कूल से अपने बच्चों को निकाल कर यहां भर्ती करवाना चाहते हैं। यही वजह है कि स्कूल में तैनात शिक्षकों के अतिरिक्त कई सरकारी अधिकारियों के बच्चे भी इस सरकारी स्कूल में पढ़ना चाहते हैं।

कपकोट स्कूल की नीव सन1872 में पड़ी थी। पिछले साल तक यहां से हर साल औसतन 5 से 6 बच्चे सैनिक स्कूल घोड़ाखाल में प्रवेश पा रहे थे। परंतु इस बार सारे रिकॉर्ड टूट गए। इस बार इस स्कूल के 22 बच्चे सैनिक स्कूल घोड़ाखाल के लिए चयनित हुए हैं। यहाँ के बच्चों का सैनिक स्कूल के अलावा जवाहर नवोदय विद्यालय और राजीव नवोदय विद्यालय के लिए हर साल 8 से 10 बच्चों का चयन होता है। अब तक इस स्कूल के 30 बच्चे जवाहर नवोदय विद्यालय में तथा 20 बच्चे राजीव नवोदय विद्यालय पढ़ रहे हैं। वहीँ हिमज्योति देहरादून के लिए 17 बच्चों का चयन हुआ है। इसके अलावा जिला व राज्यस्तरीय परीक्षाओं में भी यहाँ के बच्चे अव्वल रहेते हैं।

वर्ष 2016 में यह आदर्श विद्यालय बना। और ख्याली दत्त शर्मा ने इस स्कूल के प्रधानाध्यापक का पदभार संभाला। उससे पहले तक इस स्कूल में मात्र 30 बच्चे पढ़ते थे। उन्होंने न सिर्फ इस विद्यालय का इन्फ्रास्ट्रक्चर और वातावरण सुधारा, बल्कि बच्चों को बारीकी से पढ़ाई पर फोकस करना सिखाया। बच्चों के हर कांसेप्ट को क्लियर किया। प्रधानाध्यापक ख्याली दत्त शर्मा एवं उनकी टीचर टीम स्कूल अवधि के अलावा भी बच्चों की शैक्षिक योग्यता निखारने एवं समस्या निस्तारण के लिए हमेशा तैयार रहती है।

इस स्कूल का क्रेज इतना है कि वर्तमान में इस स्कूल में बच्चों की संख्या 284 के पार चली गयी है। और तीन शिफ्ट में स्कूल चलता है। अगर ऐसे ही लगन और मेहनत से हर सरकारी स्कूल में पढ़ाया जाये तो उत्तराखंड में शिक्षा का स्तर काफी बढ़ सकता है।

साभार: चन्द्रमोहन ज्योति, जुन्याली उत्तराखंड यूटूब चैनल