30th anniversary of Mussoorie GOLIKAND

Mussoorie Golikand 30th anniversary: दो सितंबर का दिन मसूरी के इतिहास का काला दिन माना जाता है। आज मसूरी गोलीकांड की 30वीं बरसी है। 30 साल पहले आज ही के दिन यानी 02 सितम्बर 1994 को अलग उत्तराखंड राज्य की मांग कप लेकर जुलूस निकाल रहे राज्य आंदोलनकारियों पर पुलिस ने गोलियां बरसा दी थी। इस गोलीकांड में छह राज्य आंदोलनकारी शहीद हो गए थे।

गौरतलब है कि 1990 के दशक में उत्तराखंड आन्दोलन एक बड़ा जन आंदोलन बन गया था। 1994 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव ने राज्य आंदोलनकारियों पर खुलकर पुलिस बल प्रयोग किया था। मुलायम सिंह यादव के शासनकाल में 42 राज्य आंदोलनकारियों की पुलिस की गोली और पिटाई से मौत हुई थी।

मसूरी गोलीकांड से एक रोज पहले यानी 1 सितंबर को तत्कालीन उत्तर प्रदेश की पुलिस ने खटीमा में भयानक गोलीकांड किया था। जिसमे पुलिस की गोली से 7 राज्य आंदोलनकारी शहीद हो गए थे। खटीमा गोलीकांड के विरोध में दो सितंबर 1994 को आंदोलनकारियों ने मसूरी में जुलूस निकाला। आंदोलनकारी मसूरी में जुलूस लेकर उत्तराखंड संयुक्त संघर्ष समिति के कार्यालय झूलाघर जा रहे थे। इस दौरान गनहिल की पहाड़ी से किसी ने पथराव कर दिया, जिससे बचने के लिए आंदोलनकारी कार्यालय में जाने लगे। इसी बीच पुलिस ने आंदोलनकारियों पर गोलियां चला दीं। गोलीकांड में राज्य आंदोलनकारी मदन मोहन मंमगाई, हंसा धनाई, बेलमती चौहान, बलवीर नेगी, धनपत सिंह, राय सिंह बंगारी समेत 6 आन्दोलनकारी शहीद हो गए थे। जबकि एक पुलिस अधिकारी की भी मौत हो गई। उसके बाद पुलिस द्वारा कई आदोलकारियों को जेल में डाल कर उनके साथ बबरता की गई।

मसूरी गोलीकांड को आज 30 साल पूरे हो चुके हैं। राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि जिस तरह के राज्य का सपना उन्होंने देखा था, वैसा नहीं हो सका है। हालांकि राज्य आंदोलनकारियों ने प्रदेश में क्षैतिज आरक्षण लागू होने पर मुख्यमंत्री का आभार जताया।