Almora Fire Incident: उत्तराखंड के जंगलों में लगी भीषण आग ने इन दिनों तबाही मचाई हुई है। बृहस्पतिवार को अल्मोड़ा के बिनसर अभयारण्य में लगी भीषण आग को बुझाने के दौरान 4 वन कर्मियों की जिंदा जलकर मौत हो गयी है। जबकि 4 अन्य कार्मिक बुरी तरह जुलसकर जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। आग इतनी विकराल थी कि फायर वाचरों और पीआरडी के जवानों को इससे बचने का मौका तक नहीं मिला। वन विभाग के अधिकारियों को टीम के जंगल में फंसे होने की जानकारी मिली तो वन क्षेत्राधिकारी मनोज सनवाल और अन्य कर्मचारी मौके पर पहुंचे। तब तक चार लोगों की मौत हो चुकी थी। इस हादसे के बाद 3 अधिकारियों को सस्पेंड भी कर दिया गया है।
जानकारी के मुताबिक रानीखेत बिनसर के जंगल में आग लगने की सूचना मिलने पर 8 लोगों की टीम मौके पर गई। तेज हवा के कारण आग ने भयंकर रूप ले लिया, जिसके कारण चार लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 4 लोग गंभीर रूप से घायल हैं, जिन्हें बेस अस्पताल रेफर किया गया है। घायल वन कर्मियों को जब अन्य वन कर्मी उपचार के लिए अल्मोड़ा लेकर आ रहे थे तो झुलसे एक वन कर्मी ने बड़ी हिम्मत कर आपबीती बयान की। उसने बताया कि आग लगने की सूचना पर वह सात अन्य साथियों के साथ विभाग के वाहन से मौके पर पहुंचे। वाहन से उतरने के बाद उन्होंने देखा की सड़क के नीचे ढलान से आग ऊपर की ओर आ रही थी। उस समय आठ वन कर्मियों में से कुछ आग बुझाने की रणनीति बना रहे थे और कुछ वाहन से अपना सामान बाहर निकाल रहे थे। तभी आग की लपटों ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया। बचने की कोई उम्मीद बाकी नहीं रही। सभी कर्मचारी लपटों से बचने का प्रयास करते रहे लेकिन आग इतनी भयानक थी कि सड़क पर खड़ा वाहन तक उसकी चपेट में आ गया। एक-एककर सब धुएं के गुबार में गायब होने लगे और उसकी आंखों के सामने भी अंधेरा छा गया।
इसके बाद क्या हुआ उसे कुछ पता नहीं। एंबुलेंस में जब उसे होश आया तो लड़खड़ाती आवाज में कभी अपने साथियों की कुशलक्षेम पूछता तो कभी अपने परिजनों को पास बुलाने की गुहार लगाता। बीच-बीच में उसके जख्मों का दर्द असहनीय हो जाता तो वह चीखने लगता। मौके से अस्पताल तक पहुंचने तक का करीब एक घंटे का सफर वाहन में सवार अन्य वन्य कर्मियों के लिए बेहद मुश्किल भर था।
वन कर्मी चारों घायलों के सकुशल अस्पताल पहुंचने की भगवान से प्रार्थना करते रहे। हालांकि चारों घायलों को बेस अस्पताल तक तो पहुंचा दिया गया लेकिन दो की हालत गंभीर होने के कारण चिकित्सकों ने उन्हें हल्द्वानी रेफर कर दिया। डॉक्टरों के अनुसार एक घायल की हालत गंभीर है, वह 82 प्रतिशत से अधिक जला हुआ है। उधर तीन घायल 40 प्रतिशत से अधिक जले हैं। अल्मोड़ा से वनाग्नि में जले वन कर्मी और पीआरडी जवानों के हल्द्वानी आने की सूचना पर जिला प्रशासन अलर्ट था। सबसे पहले घायल को रात 10 बजे, इसके बाद अलग-अलग एंबुलेंस में आधा घंटा बाद दो और आग से जले घायल को लाया गया। उधर रात 11:15 बजे चौथे घायल को लाया गया। कोई भी घायल बोलने की स्थिति में नहीं था।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर एयर एम्बुलेंस से दिल्ली शिफ्ट
मुख्यमंत्री धामी के निर्देश के बाद दो एयर एम्बुलेंस से एम्स दिल्ली शिफ्ट किए जाएंगे। घायलों को हल्द्वानी अस्पताल में भर्ती कराया गया। शुक्रवार सुबह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इन चारों वन कर्मियों को दो एयर एंबुलेंस से दिल्ली एम्स में भर्ती कराने के निर्देश दिए हैं। पहाड़ी राज्य में प्रकृति के इस सितम के सामने पुरुषों के साथ ही महिलाएं भी कंधे से कंधा मिलाकर राहत अभियान में शामिल हो रही हैं।
इनकी हुई मौत
घायलों की सूची
- कृष्ण कुमार 21 वर्ष पुत्र नारायण राम, फायर वाचर, ग्राम भेटुली, अयारपानी, अल्मोड़ा
- कुंदन सिंह नेगी 44 साल पुत्र प्रताप नेगी, पीआरडी जवान, ग्राम खांखरी
- भगवत सिंह भोज 38 साल पुत्र बची सिंह, वाहन चालक, ग्राम भेटुली, अयारपानी
- कैलाश भट्ट 54 साल पुत्र बद्रीदत्त भट्ट, दैनिक श्रमिक, ग्राम धनेली, अल्मोड़ा
2 IFS अफसर सस्पेंड, 1 मुख्यालय अटैच
अल्मोड़ा बिनसर वन्यजीव अभ्यारण्य में वनाग्नि की घटना को सरकार ने बेहद गंभीरता से लिया है। इस पूरे मामले में बड़े अधिकारियों की भी लापरवाही सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि राज्य के जंगलों में लगी आग पर काबू पाने के लिए रणनीति बनाने के बजाय विभाग के बड़े अफसर दो दिन से कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में प्रोटोकॉल बजाने में व्यस्त थे, जबकि कॉर्बेट से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर भीमताल, नैनीताल से लेकर अल्मोड़ा तक के जंगलों में लगातार आग की घटनाएं सामने आ रही हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में दो आईएफएस अफसरों को सप्सेंड किया है। एक आईएफएस अफसर को वन मुख्यालय में अटैच कर दिया गया है।