Dehradun News: दून पुलिस ने 17 सालों से लापता बेटे को उसकी मां से मिलाकर मानवता का फर्ज निभाया है। देहरादून पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक 5 दिन पहले 25 जून को एक व्यक्ति द्वारा पुलिस कार्यालय स्थित एएचटीयू के कार्यालय में आकर बताया कि उसे करीब 17 साल पहले जब उसकी आयु करीब 9 साल थी तो एक व्यक्ति द्वारा घर के पास से उठाकर राजस्थान में किसी अनजान जगह पर ले जाया गया। जहां उनके द्वारा उससे भेड़-बकरी चराने का कार्य करवाया जाता था। वर्तमान में किसी व्यक्ति की सहायता से वह देहरादून पहुंचा पर उसे अपने घर का पता और परिजनों के सम्बंध में कोई जानकारी याद नहीं है और न ही उसे अपने असली नाम याद है। उसे यह याद था कि उसके पिताजी की परचून की दुकान थी और घर पर उसकी माता सहित 4 बहनें थी। लेकिन किसी का नाम याद नहीं था।

जिस पर पुलिस द्वारा व्यक्ति के रूकने और खाने की व्यवस्था करते हुए, सोशल मीडिया और पम्पलेट के माध्यम से व्यक्ति की जानकारी से जनपद के सभी थानों को बताते हुए अपने-अपने थाना क्षेत्रों में युवक के परिजनों की तलाश के निर्देश दिये गए। वहीं आम जनता से भी युवक के परिजनों को ढूंढने में सहयोग प्रदान करने की अपील भी की गई थी।

एसएसपी अजय सिंह ने बताया है कि आज बंजारावाला निवासी एक महिला आशा शर्मा पत्नी कपिल देव शर्मा द्वारा समाचार पत्र में प्रकाशित खबर को पढ़कर एएचटीयू कार्यालय में आकर जानकारी दी कि उनका बेटा जिसका नाम मोनू था, साल 2008 में घर से गायब हो गया था। जिसके उनके द्वारा उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और अन्य कई स्थानों पर काफी तलाश किया गया, लेकिन उसके संबंध में कोई जानकारी प्राप्त नहीं हो पाई। जिस पर युवक को महिला से मिलवाया गया, तो महिला द्वारा बताई गई बातों को याद करते हुए युवक द्वारा महिला की पहचान अपनी मां के रूप में की गई। साथ ही भावुक होकर अपनी मां को गले लगाया। 17 सालों बाद अपने खोये हुए बेटे को वापस पाकर महिला ने पुलिसवालों को आशीर्वाद दिया।

एक बहन है, मौसी की बेटियों को समझता था सगी बहनें

कपिल देव शर्मा किराना सामान की पैकिंग का काम करते हैं। युवक ने बताया था कि उसकी चार बहनें हैं, लेकिन मोनू की मां ने बताया कि उसकी सगी बहन एक ही है। उस वक्त उनकी बहन की बेटियां यहां रहती थीं, इसी कारण सभी को मिलाकर वह चार बहनें बता रहा था।